पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नीति आयोग को सुझाव दिया कि मिड डे मील योजना और आंगनबाड़ी केंद्रों पर दिये जा रहे पोषाहार को बंद कर उसकी राशि सीधे लाभार्थी के खाते में दी जाये. साथ ही केंद्र से आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका और मिड डे मील के तहत रसोइयों का मानदेय बढ़ाने का अनुरोध किया. उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में ऐसे कर्मियों को संविदा पर लंबी अवधि तक बहाल रखा जाता है, तो उनके मानदेय में एक निर्धारित समय पर उचित वृद्धि की जानी चाहिए. इसका पूर्ण वित्तीय भार भी केंद्र सरकार को वहन करना चाहिए.
केंद्रीय योजनाओं की राशि सीधे खाते में देने से आंगनबाड़ी केंद्रों से खत्म होगा भ्रष्टाचार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नीति आयोग को मिड डे मील योजना और आंगनबाड़ी केंद्रों पर दिये जा रहे पोषाहार को बंद कर उसकी राशि सीधे लाभार्थी के खाते में देने का सुझाव दिया. साथ ही कहा कि लाभार्थियों को भरोसा दिलाना होगा कि वह राशि का उपयोग उसी कार्य के लिए करेंगे, जिसके लिए उन्हें यह राशि दी गयी है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि बिहार सरकार ने पोशाक योजना और मुख्यमंत्री साइकिल योजना के तहत प्रत्यक्ष रूप से राशि सीधे लाभार्थी को दिया. योजनाएं सफल रहीं. साथ ही कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं. आंगनबाड़ी केंद्र अपने मूल उद्देश्य से हट कर खाना तैयार करने और वितरण केंद्र बन कर रह गये हैं. मिड डे मील के तहत विद्यालयों में आधारभूत संरचना नहीं होने से कम भुगतान वाले अकुशल रसोइये, राशन का अस्वच्छ भंडारण व प्रबंधन, गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने में बाधक हैं. भोजन की निम्न गुणवत्ता के कारण अक्सर बच्चे अस्वस्थ हो जाते हैं. इससे अभिभावकों के आक्रोश के कारण विधि-व्यवस्था की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है. यह सब विद्यालय के शैक्षणिक माहौल के अनुकूल नहीं है. शिक्षकों का ध्यान भी पठन-पाठन पर से अधिक भोजनशाला पर रहता है.
आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका के मानदेय में हो वृद्धि
मुख्यमंत्री ने केंद्र से आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका और मिड डे मील के तहत रसोइयों का मानदेय बढ़ाने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि बताया कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अनुसार, आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका और रसोइयों की ओर से मानदेय बढ़ाने की मांग की जाती है. ऐसे कर्मी बड़ी संख्या में होने के कारण संगठित रूप से अपनी मांगों को रखते हैं और पूरा नहीं होने पर विरोध करते हैं. इससे योजनाओं के क्रियान्वयन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. केंद्र सरकार द्वारा लंबी अवधि से मानदेय में वृद्धि नहीं की गयी है. इससे मानदेय की अतिरिक्त राशि का भुगतान बिहार जैसे कम संसाधन वाले राज्य को अपने संसाधनों से भी करना पड़ रहा है. उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में ऐसे कर्मियों को संविदा पर लंबी अवधि तक बहाल रखा जाता है, तो उनके मानदेय में एक निर्धारित समय पर उचित वृद्धि की जानी चाहिए. इसका पूर्ण वित्तीय भार भी केंद्र सरकार को वहन करना चाहिए.