मॉनसून ने बढ़ायी चिंता, अब रिमझिम नहीं, एकाएक बरसेंगे बादल, कुछ घंटों में बिहार में मौसम का ये रहेगा हाल

ड्रेनेज सिस्टम पर बुरा असर पड़ने की चेतावनी पटना : जलवायु परिवर्तन ने बिहार को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया है. इस साल माॅनसून भी जलवायु परिवर्तन के पेच में फंसा है. हालिया वैज्ञानिक अध्ययन में आशंका व्यक्त की गयी है कि बिहार में बाढ़ और सूखा दोनों एक साथ देखने को मिल सकते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2018 7:25 AM
ड्रेनेज सिस्टम पर बुरा असर पड़ने की चेतावनी
पटना : जलवायु परिवर्तन ने बिहार को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया है. इस साल माॅनसून भी जलवायु परिवर्तन के पेच में फंसा है. हालिया वैज्ञानिक अध्ययन में आशंका व्यक्त की गयी है कि बिहार में बाढ़ और सूखा दोनों एक साथ देखने को मिल सकते हैं.
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक बिहार में 24 घंटे में 50 मिलीमीटर से अधिक बारिश के स्पैल अधिक देखने को मिलेंगे. साफ है कि रिमझिम बारिश के दिन बिहार में लदते जा रहे हैं. इस बदलाव का असर न केवल कृषि अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, बल्कि इसका सबसे बुरा असर शहरी ड्रेनेज (वर्षा जल निकासी) पर पड़ेगा. राज्य के बड़े शहरों में बाढ़ की स्थिति और भयावह हो सकती है, क्योंकि यहां वर्षा जल निकासी की व्यवस्था लचर है.
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने ड्रेनेज प्रबंध को दुरुस्त करने को लेकर एक लिखा है. यह बात और है कि ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त करने का समय अब नहीं बचा है, क्योंकि बरसात सिर पर है. फिलहाल पिछले पांच वर्षों में भारी बरसात का ट्रेंड है और इस साल भारी वर्षा की आशंका कहीं ज्यादा है. बिहार में पिछले चार-पांच वर्षों में 24 घंटे में 50 मिलीमीटर से अधिक वर्षा वाले औसत दिनों की संख्या बढ़ कर 17-18 हो गयी है. इससे पहले के दशक में ऐसे दिनों की संख्या करीब बारह दिन थी.
बड़े शहरों में बाढ़ की स्थिति हो सकती है भयावह
विश्लेषण में एक अन्य खास बात यह है कि राज्य की औसत वर्षा में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया है. बदलाव सिर्फ यह है कि बिहार में सालाना औसत बारिश के दिनों की संख्या पहले की तुलना में अब कम हो गयी है. दूसरे शब्दों में वर्षा दिनों की संख्या घटती जा रही है. रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तरी बिहार में वर्षा के दिनों की परंपरागत संख्या 50-52 दिन थी, अब वर्षा दिनों की संख्या घट कर 42-43 तक रह गयी है.
दक्षिणी बिहार में भी कमोबेश यही स्थिति है. दरअसल बरसात के दिनों की संख्या घटने की वजह से ही रिमझिम बारिश के दिन घटे और भारी वर्षा की आशंका और पुख्ता होती जा रही है. इस परिदृश्य में सूखे की स्थिति इसलिए बनेगी क्योंकि बरसात के जितने दिन घट रहे हैं, वह अब बिना बरसात के रह जायेंगे. जाहिर है खेती के हिसाब से वे दिन सूखे की स्थिति बनायेंगे. मौसम विज्ञानी डॉ ए सत्तार के मुताबिक हेवी रेन का ट्रेंड बढ़ने से अनपेक्षित बाढ़ एवं सूखे जैसी दूसरी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.
– यहां फंसा है ‘अपना’
मॉनसून : बिहार में मॉनसून अभी तक प्रवेश नहीं कर सका है. वह अभी उत्तरी-पूर्वी राज्यों में ही अटका है. इसकी वजह हैरत में डालने वाली है. डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ ए सत्तार बताते हैं कि बिहार से करीब 16365 किलोमीटर दूर स्थित प्रशांत महासागर में इन दिनों निम्न दाब का केंद्र बना हुआ है. बिहार में भी है, लेकिन यहां कम दाब की स्थिति शक्तिशाली नहीं है. इसकी वजह से मॉनसून बिहार में प्रवेश नहीं कर पा रहा है. जब तक प्रशांत महासागर में उच्च दाब का केंद्र नहीं बनेगा, तब तक बिहार में मॉनसून का प्रवेश मुश्किल ही है.
धूप और उमस ने शहर को किया बेहाल
पटना : गुरुवार को धूप और उमस ने शहर को बेहाल कर दिया. अगले दो-तीन दिनों तक उमस और गर्मी का प्रकोप जारी रहेगा. गुरुवार की सुबह से ही तापमान बढ़ा हुआ महसूस किया गया. गुरुवार काे उच्चतम तापमान 40.3 और न्यूनतम तापमान 28.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
अगले तीन दिन तापमान चालीस डिग्री सेल्सियस से अधिक रहने की संभावना है. मौसम पूर्वानुमान आंकड़ों के मुताबिक गुरुवार को हवा में नमी की मात्रा 70 से अधिक रही. इसके चलते गुरुवार को उमस अधिक महसूस हुई. इसकी वजह से लोग खासे परेशान रहे.
कूलर फेल से दिखे. हालांकि हवा की रफ्तार सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक रही. वातावरण में नमी की मात्रा अधिक होने की वजह से लोग दोपहर में घर से बहुत कम निकले. हालांकि 23,24 और 25 जून को शहर के आसमान पर बादल छाये रह सकते हैं.

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