बेटी को बंधक बनाने पर खगड़िया जिला जज पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

पटना : खगड़िया के जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा अपनी 24 वर्षीय बेटी को बंधक बनाये जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी व्यक्त की है. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा, ‘हम काफी शर्मिंदा हैं कि आप जैसे ज्यूडिशियल ऑफिसर हमारे अंदर काम कर रहे हैं.’ अदालत ने पटना के एसएसपी मनु […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 25, 2018 10:30 AM

पटना : खगड़िया के जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा अपनी 24 वर्षीय बेटी को बंधक बनाये जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी व्यक्त की है. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा, ‘हम काफी शर्मिंदा हैं कि आप जैसे ज्यूडिशियल ऑफिसर हमारे अंदर काम कर रहे हैं.’ अदालत ने पटना के एसएसपी मनु महाराज को निर्देश दिया है कि हर हाल में सीधी कार्रवाई करते हुए बंधक लड़की को मंगलवार (26 जून)को मुख्य न्यायाधीश के चैंबर में 2.15 बजे हाजिर किया जाये. अदालत ने एसएसपी को कहा कि वे अपने साथ दो महिला पुलिस को साथ लेकर खगड़िया जाएं और बंधक बनायी गयी लड़की को अपने साथ पटना लाकर अदालत में प्रस्तुत करें.

अदालत ने पटना पुलिस प्रशासन को यह भी निर्देश दिया कि यदि जरूरत हो तो पीड़िता के अभिभावकों को भी अदालत में उपस्थित कराया जाये. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन एवं न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने एक वेबसाइट पर प्रकाशित उक्त समाचार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सोमवार को इस मामले की सुनवाई की. इसके साथ ही अदालत ने अधिवक्ता अनृकृति जयपुरियार को कोर्ट को सहयोग करने के लिए सहयोगी नियुक्त किया है.

क्या है मामला
गौरतलब है कि बेटी के प्रेम संबंध से नाराज होकर जज पिता ने उसे घर में कैद कर रखा है. एक वेबसाइट पर यह खबर प्रकाशित होने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सोमवार को मामले की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था. जानकारी के अनुसार जज सुभाष चंद्र चौरसिया की बेटी यशस्विनी पटना के

चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से स्नातक है. उसका सुप्रीम कोर्ट के वकील सिद्धार्थ बंसल से वर्ष 2012 से प्रेम प्रसंग चल रहा है. जब इस बात की खबर लड़की के परिजनों को लगी तो उन्होंने खगड़िया स्थित आवास पर ही उसे बंधक बना लिया. रिपोर्ट के अनुसार, प्रेमी सिद्धार्थ बंसल अपने एक सीनियर साथी के साथ खगड़िया स्थित लड़की के आवास पर भी गये. वहां लड़की के पिता ने सिद्धार्थ से कहा था कि तुम्हारे सिविल सेवा की नौकरी पाने या जज बनने के बाद हम अपनी बेटी की शादी तुमसे करेंगे.

डीजीपी से मिल लगायी थी गुहार

सिद्धार्थ बंसल ने इस मामले में डीजीपी केएस द्विवेदी से भी मिलकर मदद करने और लड़की को बंधक से मुक्त करने का अनुरोध किया था. सिद्धार्थ की शिकायत पर डीजीपी ने खगड़िया के एसपी को आवश्यक कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन खगड़िया एसपी ने कोई कार्रवाई नहीं की. सुनवाई के क्रम में अदालत को यह भी बताया गया कि खगड़िया पुलिस पर उसे भरोसा नहीं है. इस मामले में खगड़िया पुलिस अधिकारी मीनू कुमारी जिला जज के घरजाकर लड़की की आंख पर चोट के कारण हुये काले निशान पर बर्फ लगाने की सलाह दे आयी जिससे कि चोट का निशान मिट जाये.

इन्होंने रखा पक्ष

सिद्धार्थ बंसल की ओर से अधिवक्ता राजीव श्रीवास्तव, आदित्य प्रकाश सहाय,जबकि राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर और पीड़िता के पिता की ओर से अधिवक्ता संदीप कुमार ने अपनी-अपनी बातों को अदालत में रखा.

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