पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की जयंती पर सोमवार को रवींद्र भवन में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि सभी समाजवादी समय के साथ व्यक्तिवादी हो गये, नहीं तो कांग्रेस कब की उखड़ जाती. समय बीतने के साथ ही समाजवादियों की लड़ाई स्वार्थ निहित होते चली गयी, जिसके कारण कांग्रेस जैसी पार्टी को फिर से शासन करने का मौका मिलता रहा. उन्होंने बिना किसी का नाम लेते हुए समाजवादी आंदोलन के बाद उभर कर सामने आये बड़े राजनीतिक परिवारों की तरफ इशारा किया. कहा कि वीपी सिंह, जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर समेत अन्य सभी बड़े समाज सुधारकों के साथ काम करने का मौका मिला. उनके त्याग और समर्पण का अनुसरण करते हुए ही हम सिर्फ काम की चिंता करते हैं. इसकी परवाह नहीं करते कि कौन वोट देगा और कौन नहीं.
राष्ट्र सेवा मिशन की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि आज समाज में हर तरफ वोट के लिए माहौल बनाया जा रहा है. हमने कभी किसी की उपेक्षा नहीं की. समाज के सभी वर्गों के लिए समान रूप से काम किया. सवर्ण आयोग की सिफारिश की गयी है. सवर्णों को भी राज्य में इनकम लिमिट के हिसाब से कई सुविधाएं प्रदान की गयी हैं. इसी तरह महादलितों के लिए जो योजनाएं चलायी जाती हैं, उनका विस्तार पूरे एससी-एसटी समाज के लिए कर दिया गया है.
सीएम ने इस मौके पर वीपी सिंह की आदमकद प्रतिमा लगाने और किसी सड़क का नामकरण उनके नाम पर करने की मांग पर कहा कि उनके लिए किसी चीज की मांग करने की जरूरत नहीं है. उनके प्रति सम्मान बहुत ज्यादा है. खुद ही कई काम करेंगे. उन्होंने कहा कि आजकल कुछ लोग लगातार बोलते ही रहते हैं. वे बोलने के आदी हो चुके हैं. हम सुनते रहते हैं और चुपचाप अपना काम करते रहते हैं. समाज में एक तबका होगा ही, जो इधर-उधर करेगा. उसकी कोई चिंता या परवाह करने की कोई जरूरत नहीं है. कार्यक्रम को केंद्रीय मंत्री सह लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान, जदयू सांसद आरसीपी सिंह, उद्योग मंत्री जयकुमार सिंह, पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह समेत अन्य ने भी संबोधित किया.
सोशल मीडिया पर जिसको लिखने नहीं आता, वह भाड़े पर आदमी रख लेता है
नीतीश कुमार ने कहा कि कुछ लोग सरकारी तंत्र का सहारा लेकर भी गड़बड़ी या घोटाला करता है. ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि आजकल समाज सुधार से जुड़ी बातों के बारे में सोचना छोड़कर टकराव वाली भाषा का प्रयोग करते हैं. अपशब्दों तक का प्रयोग करने लगे हैं. सोशल मीडिया पर तो जो संवाद या विचारों का प्रभाव होता है, वह पूरी तरह से अनसोशल (असामाजिक) ही होता है. जिसको इस पर लिखने नहीं आता, वह भाड़े पर आदमी रख लेता है.
महिलाओं के सहयोग के बिना कोई आंदोलन संभवन नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आधी आबादी महिलाओं की है. उनके सहयोग के बिना कोई आंदोलन संभव नहीं है. इसी वजह से नगर निकायों से लेकर पंचायत तक में महिलाओं को 50% आरक्षण लागू किया गया. इसकी देखा-देखी दूसरे राज्यों ने भी इसकी शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि पहले दहेज प्रथा संपन्न लोगों के बीच ही प्रचलित थी. अब इसकी देखा-देखी गरीब वर्ग भी करने लगा है.
ये भी पढ़ें… रामविलास पासवान बोले, हर बार स्वर्णों ने ही दलितों के आंदोलन का किया नेतृत्व