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रामविलास पासवान बोले, हर बार स्वर्णों ने ही दलितों के आंदोलन का किया नेतृत्व

पटना : पूर्वप्रधानमंत्री बीपी सिंह की जयंती के मौके पर केंद्रीय खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री रामविलास पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराबबंदी, दहेज प्रथा और बाल विवाह समेत अन्य समाज सुधारक आंदोलनों की तारीफ की. साथ ही कहा कि शराबबंदी कानून का विरोध करना, उनकी विपक्ष में होने के कारण मजबूरी थी. […]

पटना : पूर्वप्रधानमंत्री बीपी सिंह की जयंती के मौके पर केंद्रीय खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री रामविलास पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराबबंदी, दहेज प्रथा और बाल विवाह समेत अन्य समाज सुधारक आंदोलनों की तारीफ की. साथ ही कहा कि शराबबंदी कानून का विरोध करना, उनकी विपक्ष में होने के कारण मजबूरी थी. विपक्ष धर्म का पालन करते हुए ही शराबबंदी कानून का विरोध किया था. यह कानून ऐतिहासिक है और इसने समाज में बड़ा परिवर्तन लाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से बिहार में आरक्षण मिल रहा है, उसी तर्ज पर केंद्र में भी आरक्षण मिलना चाहिए. सभी पार्टी मिलकर इसका समर्थन करें, केंद्र सरकार इसे पास करेगी.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीपी सिंह ऊंची जाति से थे, लेकिन नौ महीने के उनके शासन ने उनकी छवि ही बदल दी. हर बार स्वर्णों ने ही दलितों के आंदोलन का नेतृत्व किया है. दलित के हक के लिए आंदोलन करने वालों में कर्पूरी ठाकुर को छोड़कर जेपी, बीपी सिंह, मधुलिमय समेत अन्य सभी नेता स्वर्ण ही थे. ऊंची जाति के होते हुए भी दलितों के लिए लड़ाई लड़ना धारा के विपरीत नाव खेने के समान है. यह एक तरह से नामुमकिन काम है.

पासवान ने कहा कि बीपी सिंह कभी नहीं चाहते थे कि लालू प्रसाद सीएम बनें. उन्होंने मुझसे सीएम बनने का ऑफर दिया था. जिन मूल्यों को लेकर हम सभी एक साथ आये थे, उन मूल्यों से बाद में कुछ लोग अलग होने लगे. इसी वजह से वे सभी आज समाजवाद की मूल अवधारणा से अलग हो गये हैं. आज क्या कारण है कि लालू प्रसाद साथ नहीं रहे. जब-जब वह साथ रहे, उन्हें ज्यादा सीटें आयी हैं. अलग रहने पर उन्हें हमेशा हार का ही सामना करना पड़ा. रामविलास पासवान ने जेपी और बीपी सिंह दोनों के आंदोलनों से जुड़ी अपनी यादों को लंबी नारेबाजी को बोलते हुए याद किया. कुरीतियों और व्यवस्था के खिलाफ उस समय लगाये जाने वाले लंबे-लंबे नारों को बोलकर सुनाया. उन्होंने कहा कि जेपी और बीपी दोनों आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ ही हुए थे.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बीपी सिंह की सरकार ने ही भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न देने के साथ ही उनकी जन्मदिन पर छुट्टी की घोषणा और संसद में उनकी तस्वीर लगाने का काम किया है. मंडल कमीशन लाकर पिछड़ों और दलितों के हक के लिए बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया. सत्ता के लिए कभी समझौता नहीं किया. अगर वह चाहते, तो समझौता करके सरकार चला सकते थे. परंतु उन्होंने संघर्ष का रास्ता चुना. इस कार्यक्रम को पूर्व एमएलसी विनोद कुमार सिंह, राष्ट्र सेवा मिशन के अध्यक्ष जितेंद्र नीरज, सचिव माधवी सिंह, प्रो. नारेंद्र शर्मा समेत अन्य संबोधित किया.

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