पटना : युवाओं को मुकाम देंगी जियो, अमेजन व फ्लिपकार्ट, जानें कैसे

जल्द ही इन कंपनियों के प्रतिनिधि बिहार के दौरे पर आयेंगे, बैठक में लिये जायेंगे कई निर्णय पटना : राज्य के युवाओं को अब जियो, अमेजन व फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां मुकाम देंगी. इनकी प्रतिभा का उपयोग करेगी. यह सब होगा श्रम संसाधन विभाग की महत्वाकांक्षी योजना आरटीडी (रिक्रुट ट्रेंड डिप्लाॅय) के जरिये. इस योजना के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 26, 2018 6:38 AM
जल्द ही इन कंपनियों के प्रतिनिधि बिहार के दौरे पर आयेंगे, बैठक में लिये जायेंगे कई निर्णय
पटना : राज्य के युवाओं को अब जियो, अमेजन व फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां मुकाम देंगी. इनकी प्रतिभा का उपयोग करेगी. यह सब होगा श्रम संसाधन विभाग की महत्वाकांक्षी योजना आरटीडी (रिक्रुट ट्रेंड डिप्लाॅय) के जरिये. इस योजना के तहत अब तक 600 से अधिक युवा लाभ उठा चुके हैं. इसमें से ढाई सौ तो विदेश में काम कर रहे हैं. श्रम संसाधन विभाग की इन कंपनियों से बात हुई है. जल्द ही इन कंपनियों के प्रतिनिधि बिहार के दौरे पर आ रहे हैं. अगली बैठक में जॉब किस लेवल की होगी, सैलरी व आवेदन आदि मुद्दों पर चर्चा होगी.
श्रम संसाधन विभाग की महत्वाकांक्षी योजना
भर्ती, प्रशिक्षण व तैनाती (आरटीडी) योजना को पिछले साल दो नवंबर को लागू किया गया था. श्रम संसाधन विभाग की यह महत्वाकांक्षी की योजना है.
इसमें पहले युवाओं की भर्ती होती है, उसके बाद उन्हें प्रशिक्षण देकर उनकी तैनाती की जाती है. प्रशिक्षण का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करती है. प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने इस कंसेप्ट को तैयार किया है. आईटीआई और कौशल विकास के माध्यम से विभाग पहले से ही युवाओं का कौशल विकास कर रहा है.
आरटीडी में प्लेसमेंट की गारंटी : कौशल विकास में प्लेसमेंट की गारंटी नहीं है लेकिन आरटीडी में प्लेसमेंट की गारंटी है. अब तक करीब 600 युवा इसका लाभ उठा चुके हैं. श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह व इन कंपनियों के वरीय अधिकारियों के बीच पिछले दिनों बेंगलुरू में आरटीडी के संबंध में अच्छी चर्चा हुई.
प्रधान सचिव ने बताया कि अमेजन, जियो, फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के साथ सकारात्मक बाद हुई. जल्द ही इन कंपनियों के प्रतिनिधि यहां आकर विस्तार से चर्चा करेंगे. आरटीडी योजना में बहाल युवाओं के प्रशिक्षण पर जो खर्च आयेगा उसे विभाग वहन करेगा.
इस योजना का लाभ यह भी है कि कंपनी अपनी जरूरत के हिसाब से युवाओं को ट्रेनिंग देगी. ट्रेनिंग के बाद प्लेसमेंट भी हो जायेगा. पुराने कंसेप्ट में ट्रेनिंग के बाद जब प्लेसमेंट होता था, तो कंपनियां इन्हें फिर से ट्रेनिंग देती थी. इसमें समय और पैसा दोनों बर्बाद होता था.

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