पटना देश का सबसे गंदा शहर, नहीं है कोई इसे देखनेवाला : हाईकोर्ट

पटना : पटना हाईकोर्ट ने पटना को देश का सबसे गंदा शहर बताया है. न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी और न्यायाधीश नीलू अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. बरसात के दिनों की बात तो और, अन्य दिनों में भी यहां साफ-सफाई देखने को नहीं मिलती है. शहर में कूड़े […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 3, 2018 8:04 AM
पटना : पटना हाईकोर्ट ने पटना को देश का सबसे गंदा शहर बताया है. न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी और न्यायाधीश नीलू अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. बरसात के दिनों की बात तो और, अन्य दिनों में भी यहां साफ-सफाई देखने को नहीं मिलती है.
शहर में कूड़े का अंबार लगा रहता है. ड्रेनेज और चैंबर टूटे रहते हैं. इसे देखने वाला कोई नहीं है. सड़कों की भी स्थिति वही है. शहर में हर तरफ जाम ही जाम लगा रहता है. लोगों को पैदल चलने में भी परेशानी होती है. सड़कों पर नालों का गंदा पानी बहता रहता है.
शहर के विकास और साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये सरकार देती है. लेकिन इस राशि का बंदरबांट कर लिया जाता है. पीठ ने यह टिप्पणी अधिवक्ता शंभु शरण सिंह द्वारा दायर अदालती आदेश की अवमानना संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए की.
सुनवाई के दौरान नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव और पटना नगर निगम के आयुक्त अदालत में मौजूद थे. उन्हें अदालत के आदेश का पालन नहीं करने के कारण बुलाया गया था.
खंडपीठ ने इन अधिकारियों से कहा कि किसी भी मुहल्ले के बारे में सही जानकारी अदालत को दीजिए, जहां सब कुछ ठीकठाक है और वहां के लोगों को कोई भी आपसे संबंधित शिकायत नहीं हो. लेकिन, उन्होंने कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया. इस पर न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी ने कहा, मैं भी पिछले 36 साल से पटना से जुड़ा हुआ हूं.
पहले मैं वकील था, अब जज हूं. लेकिन यहां कुछ नहीं सुधरा. पूरा शहर कचरे से भरा हुआ है. अदालत ने कहा कि हमें कम उम्मीद है कि इस शहर का कायाकल्प होगा. नब्बे के दशक में भी हाईकोर्ट ने पटना शहर की स्थिति को सुधारने के लिए कई आदेश दिये, लेकिन पटना शहर की स्थिति यथावत बनी रही और आज भी वही है.
इस पर नगर आयुक्त ने कहा कि हम छह से नौ महीने के अंदर पूरे पटना शहर के रूप-रंग को बदल देंगे. इस पर अदालत ने कहा कि शहर की स्थिति बदलने के चक्कर में कहीं आप ही को बदल नहीं दिया जाये. अदालत ने कहा कि यहां यही होता है. जो भी यहां काम करना चाहता है, उसे किसी-न-किसी कारण से हटा दिया जाता है.
नगर आयुक्त ने अदालत को विश्वास दिलाया कि उन्हें अगर मौका मिला तो नौ महीने में पटना शहर की सूरत को बदल देंगे. नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव ने कहा कि नमामि गंगे योजना के तहत पटना शहर के लिए करोड़ों रुपये मिले हैं. अब उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी. उनकी देखरेख में नगर आयुक्त शहर में व्याप्त कमियों को दूर करेंगे.
ट्रैफिक एसपी नहीं आये तो कोर्ट ने जतायी नाराजगी
अदालत के निर्देश के बाद भी पटना के ट्रैफिक एसपी अदालत में उपस्थित नहीं हुए और न ही उनके तरफ से अदालती निर्देश के अनुरूप कोई शपथपत्र ही दायर किया गया. ट्रैफिक एसपी के इस रवैये पर खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर की.
साथ ही टिप्पणी की कि हो सकता है कि ट्रैफिक एसपी जाम में फंस गये हों. अदालत ने इस मामले की सुनवाई छह सप्ताह के लिए टालते हुए ट्रैफिक एसपी को अदालत में कार्रवाई रिपोर्ट के साथ अगली सुनवाई पर उपस्थित रहने को कहा है.

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