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#ExclusiveInterview 2019 के चुनावी समर में अन्य सहयोगियों के साथ जदयू भी हमारे साथ : राजनाथ सिंह
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह देश से नक्सलवाद, उग्रवाद, आतंकवाद के खात्मे को लेकर आश्वस्त हैं. 2019 के चुनाव में एनडीए के एकजुट रहने और केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के भरोसे दोबारा सत्ता में लाैटने और को लेकर वे आशान्वित हैं. जम्मू-कश्मीर में सीजफायर काे तर्कसंगत करार देते हुए इसे अवाम पसंद जनता के […]
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह देश से नक्सलवाद, उग्रवाद, आतंकवाद के खात्मे को लेकर आश्वस्त हैं. 2019 के चुनाव में एनडीए के एकजुट रहने और केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के भरोसे दोबारा सत्ता में लाैटने और को लेकर वे आशान्वित हैं.
जम्मू-कश्मीर में सीजफायर काे तर्कसंगत करार देते हुए इसे अवाम पसंद जनता के हित में उठाया कदम बताया. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के दो बार राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे श्री सिंह वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. मौजूदा राजनीतिक हालात, कश्मीर समस्या और झारखंड में पत्थलगड़ी जैसे मसलों पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह की राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख अंजनी कुमार सिंह से हुई बातचीत के मुख्य अंश.
Qउत्तर से लेकर दक्षिण तक उपचुनाव और विधानसभा चुनावों के नतीजे भाजपा के लिए निराशजनक रहे हैं. जिस तरह से विपक्ष एकजुट है, उसे आप भाजपा के लिए कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं?
देखिए, उपचुनाव की बात आप छोड़िए. सारी विपक्षी पार्टियां जिस तरह से गठबंधन करके सिर्फ भाजपा को हराने के लिए एक साथ हो रही हैं, उसे देश की जनता समझ रही है. यह सच है कि जो चुनाव हुए हैं, उनमें हमें जो कामयाबी मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली. लेकिन जो आम चुनाव होते हैं, उनमें जितना ध्यान दिया जाता है, उतना उपचुनावों में नहीं दिया जाता है.
फिर भी हमारी अपेक्षा में कोई बहुत कमी नहीं आयी है. आज भी मतों का 45% भाजपा के पक्ष में है. हमारी कोशिश है कि इस प्रतिशत को बढ़ा कर 50% से अधिक ले जाये. जब प्रचार प्रारंभ करेंगे, तो मुझे विश्वास है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हमें स्पष्ट बहुमत मिलेगा. जो योजनाएं चल रही हैं, उनका लाभ मिलने लगेगा, उसके अलावा लोगों के हित के लिए कुछ और योजनाएं भी सरकार लायेगी. साथ ही जनता इस सच्चाई को समझती है कि सभी पार्टियां साथ मिलकर एक स्थायी सरकार नहीं दे सकती हैं.
यदि देश का समग्र विकास करना चाहते हैं, तो उसके लिए यह आवश्यक है कि एक सशक्त नेतृत्व होना चाहिए और साथ ही एक स्थायी सरकार भी होनी चाहिए. सशक्त नेतृत्व और स्थायी सरकार देने की स्थिति में कोई है, तो वह तो भाजपा ही है.
Qआपने बताया कि 2019 के चुनाव में भाजपा दोबारा सत्ता में आयेगी, लेकिन जिस तरह से एनडीए के घटक नाराज चल रहे हैं और उनके एनडीए से दूर जाने की आशंका जतायी जा रही है, उस परिस्थिति में आप विपक्षी दलों का मुकाबला किस तरह से कर पायेंगे. बिहार में आपके अहम सहयोगी जदयू के भी नाराज चलने की खबरें आ रही है?
एनडीए के जितने भी घटक हैं, वह सभी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. किसी के भी अलग होने का कोई कारण नहीं है. जदयू भी साथ ही चुनाव लड़ेगी.
Qबीते चार सालों में सरकार की क्या उपलब्धियां रही हैं. उसका आकलन आप किस रूप में करते हैं?
चार सालों का कार्यकाल हर दृष्टि से सफल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की साख और विश्वसनीयता तेजी से बढ़ी है. आर्थिक तौर पर भारत ने काफी तरक्की की है.
सरकार ने समाज के सभी वर्गों की समान रूप से चिंता की है. विशेष कर दलितों के सशक्तीकरण के लिए विशेष अभियान चलाया. प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत गरीबों का खाता खोला, यानी सभी का आर्थिक समावेश, गांव की महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उज्ज्वला योजना, लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए मुद्रा योजना, लोगों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए कई तरह की सुरक्षा बीमा योजना, पेंशन योजना, आम लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना, लोगों के घर-घर तक बिजली पहुंचाना, हर घर में शौचालय योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है. सरकार का लक्ष्य है कि 2022 तक आते-आते ऐसा कोई भी परिवार नहीं होगा, जिसे सर ढकने के लिए छत न हो.
युवाओं को रोजगार देने के लिए स्टार्टअप, स्टैंडअप जैसी कई योजनाएं शुरू की गयी हैं. वहीं आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद, नक्सलवाद, उग्रवाद आदि पर लगाम लगाने के मोर्चे पर सरकार ने बेहतर काम किया है. हमारे प्रधानमंत्री की सोच है ‘सबका साथ सबका विकास’ होना चाहिए और इसी सोच के आधार पर हमारी सरकार काम कर रही है.
Qलेकिन विपक्षी दलों का आरोप है कि मोदी सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है?
विपक्ष का यह आरोप पूरी तरह से निराधार और बेबुनियाद है. हम विपक्ष से यह पूछना चाहते हैं कि पहले वह अपने कार्यकाल को देखें, उसके बाद किसी तरह का आरोप लगाये. आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से भी देखें, तो उत्तर-पूर्व में उग्रवाद लगभग 85% कम हुआ है. झारखंड में नक्सली घटनाओं में 55 से 60% की कमी आयी है. जहां तक आतंकवाद का प्रश्न है, तो चार वर्षों में काेई भी बड़ी आतंकवादी घटना नहीं घटी है. दो घटनाएं गुरुदासपुर और पठानकोट में हुईं, लेकिन वहां पर भी हमारे सुरक्षाकर्मियों ने सारे आतंकियों को मार गिराया. सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण बड़े एयरबेस को तहस-नहस करने से बचाने में हमारे सुरक्षाकर्मी सफल रहे.
Qआप बता रहे हैं कि नक्सली घटनाओं में कमी आयी है, लेकिन झारखंड में जमीनी स्तर पर ऐसा दिख नहीं रहा है. हाल ही में राज्य में नक्सली वारदात की कई घटनाएं सामने आयी हैं. फिर कमी की बात कैसे सही हो सकती है?
आपको यह तो मानना पड़ेगा कि यह नक्सलवाद आज का रोग नहीं है. यह वर्षों पुराना रोग है और लगातार बढ़ता जा रहा था, जिसे हमलोगों ने न केवल रोका है, बल्कि काफी हद तक कम करने में कामयाबी हासिल की है. चार वर्षों में यह छोटी-मोटी कामयाबी नहीं है. इस समस्या का समाधान आगामी कुछ वर्षों में देखने को मिलेगा. निश्चित रूप से इस समस्या का समाधान निकलेगा. इसके लिए हम हमेशा राज्यों के संपर्क में रहते हैं.
सरकारों के साथ काे-अॉर्डिनेशन बनाकर चलना और देश से उग्रवाद, नक्सलवाद, आतंकवाद जैसे रोगों को उखाड़ फेंकने के लिए केंद्र सरकार संकल्पबद्ध है. हम खुद भी राज्यों में जाकर इस समस्या के समाधान की दिशा में बैठक करते हैं, जरूरी दिशा-निर्देश देते हैं. इसके लिए केंद्र से जो भी सहयोग चाहिए, वह उपलब्ध कराते हैं. साथ ही इन क्षेत्रों के विकास पर भी हमारा विशेष ध्यान है. पहले के मुकाबले इन क्षेत्रों का काफी विकास हुआ है.
जैसे पहले इन क्षेत्रों में मोबाइल टॉवर नहीं होने से कनेक्टिविटी की समस्या थी, जिसे दूर किया गया है. हजारों मोबाइल टॉवर लगे हैं और चार हजार से ज्यादा मोबाइल टॉवर अभी और लगेंगे. सड़कों का निर्माण, ग्रामीण आवास योजना के तहत घरों का निर्माण किया गया है. इन क्षेत्रों में रहने वाली गरीब जनता है, आदिवासी जनता है, उनसे सीधा संवाद कर उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए भी काम हो रहा है. आने वाले दिनों में इसका असर दिखेगा.
Qजम्मू-कश्मीर में सीजफायर की एकतरफा घोषणा और फिर पीडीपी सरकार से समर्थन वापस लेना कितना तर्कसंगत है?
यह पूरी तरह से तर्कसंगत और यह सोच-समझकर लिया गया फैसला है, क्योंकि आतंकियों के खिलाफ हमारी सेना, अर्द्धसैनिक बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस तीनों मिलकर लगातार ऑपरेशन कर रहे हैं. आम नागरिक को नुकसान नहीं हो, इससे बचने की जरूरत है. कश्मीर घाटी की अमन पसंद जनता रमजान के महीने को बहुत ही मुकद्दस महीना मानती है. उसे ठीक तरह से मनाने का एक अवसर मिले, इसे ध्यान में रखते हुए सीजफायर का कदम उठाया गया था. यह केवल एक महीने के लिए और वह भी सिर्फ रमजान महीने के लिए था.
आप पहले का इतिहास देखेंगे, तो पहले भी कई-कई महीनों के लिए सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन हुए हैं, जबकि हमारी सरकार ने वहां के अमन पसंद अवाम की खातिर सिर्फ एक महीने के लिए ही संघर्ष विराम किया था. लेकिन रमजान का महीना खत्म होते ही आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चालू हो गया और प्रभावी तरीके से यह चल रहा है. सेना के ऑपरेशन में रोजाना दो-तीन आंतकी मारे जा रहे हैं.
Qलेकिन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तो आतंकी घटनाएं बढ गयी हैं और जवान भी मारे जा रहे हैं? सरकार कब तक सोचती रहेगी?
जहां तक हमारी सरकार की सोच का प्रश्न है, तो हमलोगों ने शुरू से ही यह कोशिश की है कि हमारे जितने भी पड़ोसी देश हैं, उससे हमारे संबंध सौहार्दपूर्ण हों. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपेयी ने भी अपने समय में यही किया था. हमलोगों ने पड़ोसी देशाें के साथ अच्छे रिश्ते बनाने का प्रयास किया. जिस समय हमारी सरकार का गठन हुआ तो शपथ- ग्रहण के समय पहली बार सारे पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाया था, उसी दिशा में यह एक और प्रयास था. जहां तक पाकिस्तान का सवाल है, तो हमारे प्रधानमंत्री प्रोटोकॉल को तोड़कर वहां गये थे, उनके साथ अच्छे रिश्ते बनाने की कोशिश भी की, लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. आतंकी गतिविधियां उनकी धरती पर होती रहती हैं. और वह अपने यहां से आतंकियों और घुसपैठियों को भारत में भेज कर भारत को अस्थिर करने के प्रयास के फिराक में लगा रहता है. लेकिन हमारी सेना और सुरक्षा के जवान उसका मुंहतोड़ जवाब देते हैं.
Qपाकिस्तान तो अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है, फिर आप कबतक संयम बरतेंगे….
संयम बरतने का क्या? आतंकवाद को खत्म करना है. एक बात और बता दूं कि आतंकवाद सिर्फ एक देश की समस्या नहीं है. यह वैश्विक समस्या है. हमारे प्रधानमंत्री ने इस आतंकवाद के खिलाफ पूरे विश्व को एक होने की बात कही है.
पूरे विश्व समुदाय को भी इस आतंकवाद के खिलाफ एक मंच पर लाने की कोशिश हो रही है. दूसरे देशों को हम आश्वस्त करना चाहते हैं कि आतंकवाद से देश को मुक्ति मिलेगी. इसका खात्मा करेंगे. यह हमारी सरकार की देन नहीं है. यह पुरानी समस्या है. उग्रवाद, माओवाद, आतंकवाद चुनौती है, लेकिन इस पर हमलोग धीरे-धीरे विजय प्राप्त कर रहे हैं और एक दिन ऐसा आयेगा कि इसका समूल नाश होगा.
Qविपक्षी दलों समेत कई अल्पसंख्यक धार्मिक संगठनों का कहना है कि धर्म के नाम पर देश में भय का वातावरण पैदा किया जा रहा है. क्या अल्पसंख्यक समुदाय भय के साये में जी रहे हैं?
देखिए, इस तरह की बात भाजपा को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है? यह बहुभाषी और बहुसंख्यक आबादी वाला देश है. यहां पर विभिन्न धर्म और पंथ के लोग एक साथ रहते हैं. सबको साथ लेकर चलने की परंपरा भारतीय संस्कृति में है. भारतीय संस्कृति पूरे विश्व को अपना कुटुंब मानती है. भारत के लिए पूरा विश्व ही एक परिवार है और यही भारतीय संस्कृति की आधार और पहचान है. उस पहचान को हम बनाकर रखना चाहते हैं.
स्वाभाविक तौर पर चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष ऐसा माहौल सभी को बनाने की जरूरत है, जिससे हमारी संस्कृति का जो मूलाधार है, वसुधैव कुटुंबकम, वह बरकरार रहे और सभी लोग आपस में मिलकर भाइचारे के साथ रह सकें. यही प्रयास सभी के द्वारा होना चाहिए. जहां तक भारत का प्रश्न है, तो भारत विश्व का इकलौता देश है जहां पर विश्व में जितने भी धर्म पाये जाते हैं उनके लोग यहां पर हैं.
यदि मैं इस्लामिक देशों की चर्चा करूं, तो जो इस्लामिक देश हैं, उनमें भी 72 फिरके होते है, वो भी दुनिया के किसी इस्लामिक देश में नहीं मिलते हैं, यदि पूरीे 72 के 72 फिरके आपको मिलेंगे, तो वह सिर्फ भारत में. भारत एक एेसा देश है जो सभी को साथ लेकर चलने की क्षमता रखता है.
Qयानी अल्पंसख्यको काे डरने की कोई जरूरत नहीं है?
बिल्कुल उन्हें आश्वस्त रहना चाहिए. वैसे भी मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि लंबे समय से सभी लोग एक साथ मिल-जुल कर रहते आये हैं, लेकिन कुछ वैसी ताकतें हैं, जो भय पैदा करने की कोशिश करती हैं.
हम किसी भी समाज के भीतर भय का भाव पैदा नहीं करना चाहते हैं, बल्कि विश्वास का भाव पैदा करना चाहते हैं. इसके लिए लगातार कोशिश करते रहते हैं. किसी के मन में सेंस ऑफ फियर नहीं, बल्कि सेंस ऑफ कंफिडेंस का भाव होना चाहिए.
Qब्लैक मनी को लेकर आपकी सरकार काफी मुखर रही हैृ, लेकिन पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि इसमें और अधिक इजाफा हुआ है?
ऐसा नहीं है कि स्विस बैंक में जो भी पैसा है, वह सारा का सारा काला धन ही है. जिन लोगों का काला धन जमा है, उसको लाने की कार्रवाई की जा रही है.
इतना ही नहीं, जिन लोगों ने काले धन की कमाई की थी और भारत छोड़कर किसी दूसरे देश में भी चले जाये, तब भी उन पर कार्रवाई होगी और उनका पैसा जब्त होगा. इकोनॉमिक अाफेंडर बिल इसीलिए बनाया है. जहां तक कांग्रेस और यूपीए का सवाल है, तो उस समय बेनामी प्रॉपर्टी बहुत सारे लोगों की हुआ करती थी, बेनामी संपति बिल पास हुआ था 1988 में, लेकिन तब से सरकार ने इसे नोटिफायड ही नहीं किया था, जिसे हमारी सरकार ने किया है. पारदर्शिता और काले धन की रोक के लिए डिजिटल लेन-देन को भी बढ़ावा दिया है, लेकिन आवश्यकता है कि लोगों की सोच में भी परिवर्तन हो.
Qदेश में महंगाई बढ रही है और रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं. किसान सरकार से नाराज चल रहे हैं. आप वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री थे, तब में और आज में आप क्या अंतर पाते हैं?
आपने महसूस किया होगा कि इसे हवा देने की बहुत कोशिश हुई है, जबकि वास्तविकता यह नहीं है. जो भी पैदावार होती है, उसका एमएसपी इस सरकार ने ज्यादा किया गया है. हमारी सरकार की कोशिश यह है कि किसानों की आज जितनी आमदनी होती है, वह 2022 आते-आते तक दोगुनी हो जाये. इस संकल्प के साथ हमारी सरकार काम कर रही है.
इसके करने के लिए जो एग्रीकल्चर टूल्स है, उसे किसानों को दिया जा रहा है, जिससे लागत मूल्य कम किया जा सके. साथ ही उससे पैदावार पर भी असर न पड़े. पहले यूरिया खाद के लिए किसानों को कई-कई दिनों तक लाइन में लगना होता था, लेकिन अब कम कीमत पर नीम कोटेड यूरिया मिल रहा है जो लागत में भी कम है और इससे खेत की उर्वरा शक्ति भी नहीं घटती है.
Qदेश में कई गैरसरकारी संगठनों के चंदे पर रोक लगा दी गयी है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार के खिलाफ आवाज कमजोर करने के लिए ऐसी कार्रवाई की गयी है?
यह आवाज कमजोर करने के लिए नहीं है. जो भी संगठन विदेशों से पैसा लेते हैं, कम से कम उन्हें भारत सरकार को हिसाब तो देना ही होगा. जो भी पैसा विदेशों से प्राप्त हो रहा है, उसका वह किस तरह से उपयोग कर रहे हैं, कितना पैसा प्राप्त हुआ, कितने पैसे का उपयोग किया और किस काम के लिए किया इसकी जानकारी तो सरकार को देना आवश्यक है ही. जिन लोगों ने इसकी जानकारी नहीं दी है, उन्हीं का रजिस्ट्रेशन समाप्त किया गया है. यह कहा जाये कि राष्ट्रविरोधी कामों के लिए भी उन पैसों का उपयोग होता था, जिसे हमने पूरी सख्ती से रोका है.
Qदाउद और हाफिज सईद जैसे आतंकियों को भारत लाने की क्या तैयारी है?
उन लोगों के खिलाफ मामले हैं और जो प्रयत्न होना चाहिए, वह प्रयत्न हो रहा है. देखते हैं भविष्य में क्या होता है.
Qझारखंड में पत्थलगड़ी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. इसका समाधान आप किस रूप में देखते हैं?
इस संबंध में हमने राज्य सरकार से बात की है. राज्य सरकार से कहा है कि इसका संज्ञान लिया जाना चाहिए और उन क्षेत्रों की जनता से राज्य सरकार का सीधा संवाद होना चाहिए, ताकि यदि किसी प्रकार का असंतोष है, तो उसे दूर किया जा सके.
Qप्रशासन कहता है कि पत्थलगड़ी करनेवाले नक्सलियों से मिले हुए हैं. वहीं पत्थलगड़ी करनेवाले इसे अपनी परंपरा का अंग बताते हुए इससे छेड़छाड़ करने का आरोप सरकार पर लगा रहे हैं. इसका समाधान कैसे निकलेगा?
हम सरकार के इस संकल्प को बताना चाहते हैं कि देश में समाज का कोई भी वर्ग हो, उनकी जो भी परंपराएं, मान्यताएं हैं, उनकी संस्कृति और उनके जो मूल्य हैं, जिनके प्रति उनकी आस्था है, उसके साथ सरकार की ओर से छेड़छाड़ किये जाने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है. बल्कि उसे और अधिक प्रभावी बनाने का काम हमारी सरकार की ओर से किया जा सकता है.
Qतो क्या उनके साथ सीधा संवाद किया जाना चाहिए?
हां. यह तो राज्य सरकार से हमने कहा है कि उनके साथ सीधा संवाद भी स्थापित कीजिए.
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