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किशोर को मिली जमानत, किया गया परिजनों के हवाले, मुफ्त में सब्जी नहीं देने पर पुलिस ने भेजा था जेल

पटना सिटी : गायघाट स्थित बाल सुधार गृह में बंद नाबालिग के मामले में गुरुवार को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने सुनवाई की. सुनवाई के दरम्यान अगमकुआं थाना से जुड़े कांड संख्या 191/18 में जमानत दे दिया गया. इसके बाद न्यायालय के आदेश पर नाबालिग को परिजनों के हवाले कर दिया गया. बाल सुधार गृह स्थित […]

पटना सिटी : गायघाट स्थित बाल सुधार गृह में बंद नाबालिग के मामले में गुरुवार को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने सुनवाई की. सुनवाई के दरम्यान अगमकुआं थाना से जुड़े कांड संख्या 191/18 में जमानत दे दिया गया. इसके बाद न्यायालय के आदेश पर नाबालिग को परिजनों के हवाले कर दिया गया.
बाल सुधार गृह स्थित जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के प्रधान दंडाधिकारी एसके चंदबाबी की अदालत ने यह जमानत दिया. बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के सदस्य सचिव सुनील दत्त मित्र के निर्देश पर सुधार गृह में विधिक सेवा केंद्र के अधिवक्ता रमाकांत प्रसाद वर्मा ने जमानत आवेदन देकर बोर्ड से जमानत देने का आग्रह किया था.
मामले में सुनवाई के बाद बोर्ड ने जमानत प्रदान की. अधिवक्ता रमाकांत प्रसाद वर्मा ने बताया कि यह मामला भी बाइक चोरी से जुड़ा था. जमानत मिलने के बाद नाबालिग लगभग साढ़े तीन माह न्यायिक हिरासत में रहने के बाद गुरुवार को सुधार गृह से बाहर आ गया.
अधिवक्ता ने बताया कि अदालत ने पिता सुखल पासवान व मां ज्ञांती देवी के अंडरटेकिंग पर नाबालिग को परिजनों के हवाले किया गया. इससे पहले बाइक चोरी, डकैती की योजना बनाने व आर्म्स एक्ट से जुड़े बाईपास थाना कांड संख्या 87/18 में नाबालिग को बीते दो जुलाई को जमानत दी गयी थी.
लेकिन अगमकुआं थाना से जुड़े कांड संख्या 191/18 में नाबालिग रिमांड होम में था. इस मामले में गुरुवार को जमानत मिलते ही परिजनों के हवाले कर दिया गया.
क्या है मामला : दरअसल मामला यह है कि पत्रकार नगर थाना के महात्मा गांधी नगर किराये के मकान में रहने वाले सुखल पासवान के नाबालिग पुत्र को बाईपास पुलिस ने 20 मार्च को महिंद्रा शो रूम के पास से विशाल कुमार व नितेश कुमार सिंह के साथ गिरफ्तार कर आदर्श केंद्रीय कारा बेऊर भेजा था. पुलिस ने उसी समय बाइक व लोडेड देशी कट्टे के साथ गिरफ्तारी दिखायी थी. नाबालिग को जेल भेजने के मामले में मुख्यमंत्री के संज्ञान लेने के बाद पुलिस महानिरीक्षक पटना प्रक्षेत्र की ओर से जांच प्रतिवेदन में अभियुक्त को नाबालिग पाया गया. जांच प्रतिवेदन में यह भी कहा गया कि उसे घर से गिरफ्तार किया गया.
गिरफ्तारी के वक्त उसके पास से कोई चीज बरामद नहीं हुई. अधिवक्ता ने बताया कि पुलिस ने 16 जून को आरोपपत्र कोर्ट में समर्पित किया था. 27 जून को नाबालिग को बेऊर जेल से बाल सुधार गृह भेजा गया. नाबालिग के पिता ने बताया कि मुफ्त में सब्जी नहीं देने पर पुलिस ने नाबालिग बेटे को तीन अलग-अलग मामलों में फंसा कर जेल भेज दिया था.

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