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घर से 1.15 लीटर शराब मिलने पर पुलिस ने बना दिया सप्लायर, कोर्ट ने कहा- क्यों न करायी जाये CBI जांच?
पटना : हाईकोर्ट ने शराबबंदी से जुड़े एक मामले में उत्पाद विभाग और बिहार पुलिस के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि क्यों नहीं इस तरह के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाये. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने धीरेंद्र कुमार सिंह की रिट याचिका […]
पटना : हाईकोर्ट ने शराबबंदी से जुड़े एक मामले में उत्पाद विभाग और बिहार पुलिस के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि क्यों नहीं इस तरह के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाये. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने धीरेंद्र कुमार सिंह की रिट याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई पर सीबीआई के वरीय पदाधिकारी को अदालत में तलब किया है. अदालत सीबीआई से यह जानना चाहती है कि वह इस मामले की जांच कर सकती है या नहीं? सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने अदालत को बताया कि महज 1.15 लीटर शराब की बरामदगी होने पर पुलिस ने बिना किसी आधार के याचिकाकर्ता को शराब का सप्लायर बना कर उसके घर से नकद रुपये भी जब्त कर लिये.
उन्होंने शराबबंदी कानून का सही ढंग से पालन नहीं होने की बात कहते हुए अदालत से अनुरोध किया कि पुलिस जब्त की गयी नकद राशि को भी लौटने का निर्देश दिया जाये. वहीं, पुलिस की ओर से जवाब आया कि पुलिस को शिकायत मिली थी कि याचिकाकर्ता शराब की अवैध बिक्री बहुत दिनों से करता है. इसके खिलाफ पहले से भी ऐसे दो-तीन मामले दर्ज हैं.
पुलिस ने इसी आशंका पर याचिकाकर्ता के घर से इतने रुपये जब्त किये कि ये पैसे शराब की बड़ी मात्रा में किये गए अवैध बिक्री से आये होंगे. पुलिस ने आरोपित के घर से करीब पांच लाख 78 हजार रुपये जब्त किये थे. हाईकोर्ट ने अनुसंधान पदाधिकारी को अदालत में बुला कर जब पूछा कि पुलिस की आशंका का आधार क्या है? क्या शराब का कोई बड़ा स्टॉक अवैध रूप से याचिकाकर्ता के कब्जे से मिला है तो पुलिस की तरफ से कोई भी संतोषजनक उत्तर अदालत को नहीं मिला.
हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट होकर इस पूरे मामले की सीबीआई जांच का संकेत देते हुए सीबीआई के वकील को बुलाकर कहा कि वह 10 जुलाई को सीबीआई के किसी वरीय पदाधिकारी को अदालत में उपस्थित रहने को कहें. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 10 जुलाई निर्धारित की है.
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