पटना : राजद नेता तेज प्रताप ने कार्यकर्ताओं को साफ संकेत दिया कि वह तेज प्रताप में ही अपने नेता लालू प्रसाद को देखें. तेजस्वी निश्चिंत होकर दिल्ली जाएं यहां संगठन को हम संभाल लेंगे. मौका था राजद के 22वें स्थापना दिवस समारोह का. इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मंच पर तेज प्रताप यादव का ‘विराट’ रूप देखने को मिला. उन्होंने कहा कि आदरणीय लालू प्रसाद जी आज भी हमारे ही बीच में हैं, हम उनकी ही टोन में बोल रहे हैं, तो फिर आप लोग काहे को बोलते हो कि वह हमारे बीच में नहीं हैं.
गीता के श्लोक की सियासी व्याख्या की
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत,अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्,धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।
गीता के इस श्लोक की सियासी व्याख्या करते हुए तेज प्रताप ने कहा कि इसका मतलब यह है कि गरीब साधु-संतों, दलितों-पिछड़ों के उद्धार के लिए लालू प्रसाद-सा महात्मा जन्म लेगा. कार्यकर्ता और जनता के बीच न जाने पर सभी नेताओं की जमकर क्लास ली. उन्होंने कहा कि बहुत लोग किताबी कीड़ा है. घर में बैठे रहते हैं, आप जनता के बीच में जाइये. जनता बहुत बड़ी किताब है. संबोधन के ही दौरान तेजस्वी को बुलाकर कहते हैं कि अब तेजस्वी मेरा आशीर्वाद लेगा. वह छोटे भाई को मुकुट पहनाते हैं, तेजस्वी चुपचाप उनके पैर छूते हैं. तेज प्रताप बुलंद आवाज में कहते हैं इसने हमारा विराट रूप देखा है, तब जाकर यह राजनीति में आया. कृष्ष्ण ने अर्जुन को जब विराट रूप दिखाया था, तो अर्जुन कांप रहे थे. जो असामाजिक तत्व हमदोनों भाइयों को बदनाम करना चाहते हैं, वह खबरदार हो जाएं. असामाजिक तत्व जो डेरा बनाने का, जो पनपने का काम कर रहे हैं, उनके जड़ में ऐसा इंजेक्शन देंगे कि वह वहीं सूख जायेंगे.
अंत में उन्होंने सलाह दी कि पार्टी का आगे से स्थापना दिवस किसी गांधी मैदान के सभागार में किया जाये. उनका कहना था कि हम लोग तो एसी में रहते हैं, लेकिन ये लोग धूप पसीना में रहते हैं. इन लोगों को भी बैठने को जगह मिलनी चाहिए. वहीं, पहली पंक्ति के बुजुर्ग नेता ने यह स्वीकार कर लिया कि पुराने और नये नेताओं के बीच संवाद की कमी है. पार्टी को अब युवा नेता ही चला रहे हैं. हालांकि, लालू के साथ दौड़ने वाले पार्टी के पुराने नेता अभी यह स्वीकार करने में हिचक रहे हैं कि विशेष मौकों को छोड़ दिया जाये तो वह हाशिये पर चले गये हैं.