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CM नीतीश ने ग्रामीण कार्य विभाग को सड़कों की मरम्मत, रखरखाव को लेकर ठोस नीति बनाने का दिया निर्देश

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा ग्रामीण कार्य विभाग को सभी पथों की अनिवार्य मरम्मत एवं रखरखाव की ठोस नीति बनाने के दिये गये निर्देश के आलोक में आज 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प में ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव द्वारा विभागीय अभियंताओं के साथ मुख्यमंत्री के समक्ष एक प्रस्तुतीकरण दिया गया. उल्लेखनीय […]

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा ग्रामीण कार्य विभाग को सभी पथों की अनिवार्य मरम्मत एवं रखरखाव की ठोस नीति बनाने के दिये गये निर्देश के आलोक में आज 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प में ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव द्वारा विभागीय अभियंताओं के साथ मुख्यमंत्री के समक्ष एक प्रस्तुतीकरण दिया गया.

उल्लेखनीय है कि ग्रामीण सड़कें राज्य सरकार के लिये सर्वोच्च प्राथमिकता रही हैं. इसी क्रम में ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा आज तक 73 हजार किलोमीटर की लंबाई में विभिन्न कार्यक्रमों के तहत ग्रामीण पथों का निर्माण कराया गया है और राज्य के लगभग 74 हजार बसावटों को संपर्कता प्रदान कर दी गयी है. अगले दो वर्षों के भीतर राज्य सरकार की योजना सभी चिह्नित ग्रामीण सड़कों के निर्माण को सुनिश्चित करने की है, जिससे न केवल 250 या अधिक आबादी वाले राज्य की सभी बसावटों को कम से कम एक पक्की सड़क मिल जायेगी बल्कि विशेष तौर पर चिह्नित किये गये सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के 4,647 टोलों को भी पक्की सड़क की सुविधा प्राप्त हो जायेगी.

जहां राज्य में अभूतपूर्व गति से ग्रामीण पथों का निर्माण चल रहा है, वहीं मुख्यमंत्री की एक बड़ी चिंता इन पथों की मरम्मत एवं रखरखाव को सुनिश्चित करने की रही है. आज की तिथि में राज्य में लगभग 9,500 ग्रामीण पथ जिसकी कुल लंबाई लगभग 35 हजार किलोमीटर है, वैसे हैं जिनका निर्माण के पश्चात पंचवर्षीय रखरखाव समाप्त हो चुका है और इन सड़कों की स्थिति खराब होती जा रही है. जैसे-जैसे सड़कों का निर्माण पूरा हो रहा है और उनके पांच वर्षों के रखरखाव का समय बीत रहा है, वैसे-वैसे सड़कों की मरम्मत की जरूरत बढ़ती जा रही है.

लगभग 1,400 सड़कें ऐसी हैं, जिनके रखरखाव की अवधि पांच साल पहले समाप्त हो चुकी है. इन सड़कों की मरम्मत, सुधार एवं रखरखाव की कोई सार्वभौमिक नीति नहीं है. कुछ सड़कों को श्रेणी-1 की सड़क मानकर मरम्मत एवं रखरखाव के लिये कार्य स्वीकृत किया जाता है किंतु यह जरूरत के हिसाब से काफी कम है.

ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा प्रस्तुतीकरण के क्रम में यह आकलन दिया गया कि वर्तमान में लगभग 35 हजार किलोमीटर की लंबाई में पथों की मरम्मत एवं रखरखाव की जरूरत है. अगले वर्ष से प्रतिवर्ष लगभग पांच हजार किलोमीटर की लंबाई में सड़कों की अतिरिक्त लंबाई की मरम्मत एवं रखरखाव की जरूरत होगी. ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा सड़कों की आयु का विश्लेषण करते हुए यह बताया गया कि यदि सभी पथों की मरम्मत एवं रखरखाव की अनिवार्य नीति बनायी जाये तो राज्य सरकार को लगभग 2600-3000 करोड़ रुपये की राशि की जरूरत होगी.

मुख्यमंत्री ने इसकी सहमति देते हुए ग्रामीण कार्य विभाग को अविलंब नयी अनिवार्य एवं सार्वभौमिक अनुरक्षण नीति राज्य मंत्रिपरिषद के समक्ष उपस्थापित करने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि विभाग न केवल सभी पथों का गुणवत्तापूर्ण निर्माण अगले दो वर्षों में पूरा करे बल्कि अगले एक-दो माह में सभी निर्मित पथों की अनिवार्य मरम्मत एवं रखरखाव के कार्य को शुरू करे ताकि गांवों के लिये बनायीगयी हर सड़क अच्छी स्थिति में रहे और एक भी सड़क मरम्मत एवं रखरखाव के अभाव में कभी खराब ही न हो.

इस अवसर पर ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार, विकास आयुक्त शशि शेखर शर्मा, प्रधान सचिव वित्त श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार, विशेष सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय अनुपम कुमार सहित ग्रामीण कार्य विभाग के अन्य वरीय पदाधिकारी एवं अभियंतागण उपस्थित थे.

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