पटना : बेटों को पीछे छोड़ बेटियां बन रहीं रक्षक, देश में पहली बार हो रहा लड़कियों की सफलता के खिलाफ आंदोलन!
अनुज शर्मा पुलिस की भर्ती में सिपाही के 69% पदों पर लड़कियों ने फहराया परचम पटना : बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. बिहार की बेटियों के दमखम के आगे यह बात छोटी लगने लगी है. अब तो वह पुरुषों के एकाधिकार वाले पुलिस फोर्स में भी लड़कों की हांफनी छुड़ा रही हैं. […]
अनुज शर्मा
पुलिस की भर्ती में सिपाही के 69% पदों पर लड़कियों ने फहराया परचम
पटना : बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. बिहार की बेटियों के दमखम के आगे यह बात छोटी लगने लगी है. अब तो वह पुरुषों के एकाधिकार वाले पुलिस फोर्स में भी लड़कों की हांफनी छुड़ा रही हैं. सिपाही की भर्ती में लड़कियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से 38 फीसदी आरक्षण की दीवार को तोड़ दिया. पुलिस सिपाही के 69 फीसदी पदों पर लड़कियों के परचम को सिपाही बनने से वंचित हुए लड़के पचा नहीं पा रहे हैं. पुलिस में बड़ी संख्या में महिलाओं के चयन के खिलाफ आंदोलन कर रहे है.
थाना- चौकी ही नहीं , चौराहों पर रात को चेकिंग और ट्रैफिक कंट्रोल करती नजर भी आ रही हैं. पुलिस महानिदेशक केएस द्विवेदी ने बताया कि बिहार में पुलिसिंग बदल रही है. तमिलनाडु के बाद बिहार ही ऐसा राज्य है जहां सबसे अधिक संख्या में महिलाएं हैं.
पुलिस में अन्य नौकरियों से तीन फीसदी आरक्षण अधिक है. थानों में महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती से वहां का माहौल बदलेगा. बच्चों और महिलाएं बेहिचक अपनी बात कह सकेंगी. प्रत्येक थाने में तीन महिला दारोगा और 10 कांस्टेबल की तैनाती की जा रही है.
महिला पुलिसकर्मी भी वही जिम्मेदारी निभा रहे हैं जो पुरुष पुलिस कर्मी निभा रहे हैं. समाज शास्त्री भी इस बात को मान रहे हैं कि महिला पुलिस की संख्या बढ़ने से पुलिस का चेहरा बिल्कुल बदल जायेगा. थानों में पुरुष सिपाहियोें के बीच महिला सिपाही भी साथ काम करेंगी तो उनका रहन सहन और बातचीत का तरीका तक बदलेगा. पुरुष स्वभाव है कि महिला सहकर्मी की मौजूदगी में वह अपनी छवि को बेहतर प्रदर्शित करने की कोशिश करता है.
बेटियों से शारीरिक दक्षता में भी पिछड़ गये बेटे
शारीरिक दक्षता में 42759 अभ्यर्थियों को बुलाया गया था. इसमें 22562 सफल हुए थे. बेटियों को प्रोत्साहन करने के लिए सरकार ने पुरुष और महिला अभ्यर्थियों के शारीरिक मापदंड अलग-अलग तय किये थे. दौड़ में 50 में से 50 अंक लाने वाले पुरुषों का अनुपात 35 फीसदी ही था. 85 फीसदी महिला अभ्यर्थी ने आसानी से इस स्कोर काे छू लिया.
सामान्य वर्ग से महिला 4446, पुरुष मात्र 269
सामान्य वर्ग से सिपाही के पद पर चयन की बात करें तो आंकड़े बुरी तरह से चौंकाते हैं. सामान्य वर्ग की 4446 बेटियां सफल रहीं. इसके मुकाबले मात्र 269 पुरुष ही अंतिम मेधा सूची में जगह पा सके. 9633 पदों को आधार मानें तो चयनितों में महिलाओं की संख्या 6620 और पुरुष अभ्यर्थियों की संख्या 3013 है.
9633 पदों के सापेक्ष 6620 पदों पर महिलाओं का चयन
देश में पहली बार हो रहा लड़कियों की सफलता के खिलाफ आंदोलन!
राजधानी के आयकर गोलंबर पर शुक्रवार को राज्यभर के सैकड़ों युवकों ने केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती ) की अंतिम मेधा सूची पर रोक लगाने के लिए प्रदर्शन किया. यह वह लोग हैं जिन्होंने सिपाही की भर्ती (विज्ञापन संख्या – 01/2017) में शारीरिक परीक्षा तो पास कर ली लेकिन मैरिट में लड़कियों से मात खाने के कारण अंतिम मेधा सूची में नहीं आ सके. शायद देश के अंदर होने वाला यह पहला आंदोलन है जाे एक तरह से लड़कियों की सफलता के विरोध मेंहै.
कोई एमएससी मैथ तो कोई बीकाॅम
सिपाही के लिए शैक्षिक योग्यता इंटर थी. शुक्रवार को प्रभात खबर राज्य ब्यूराे संवाददाता ने कुछ चयनित महिलाओं से उनकी शिक्षा के बारे में बात की. बक्सर की सुप्रिया तिवारी विज्ञान से स्नातक हैं. पूर्णिया की आरती एमएससी मैथ हैं. मधुबनी की संगीता बीए हैं. मुजफ्फरपुर की रेशमी बीए तो दरभंगा की रुबी बीकाम करने के बाद पुलिस में भर्ती हुई हैं.