पटना : सरकार को सिर्फ मौसम से आस

पटना : मौसम की मार से पस्त किसानों की पीड़ा पर मरहम लगाने के प्रयास में जुटी राज्य सरकार को मौसम से अंतिम आस बची है. आईएमडी ने एक हफ्ते में बारिश की संभावना जतायी है. इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के यहां 31 जुलाई को बैठक रखी गयी है. उम्मीद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 24, 2018 8:59 AM
पटना : मौसम की मार से पस्त किसानों की पीड़ा पर मरहम लगाने के प्रयास में जुटी राज्य सरकार को मौसम से अंतिम आस बची है. आईएमडी ने एक हफ्ते में बारिश की संभावना जतायी है. इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के यहां 31 जुलाई को बैठक रखी गयी है.
उम्मीद जतायी जा रही है कि अगर इस अवधि में पर्याप्त बारिश नहीं होती है तो सरकार प्रदेश को सूखाग्रस्त घोषित कर देगी. बहरहाल, इसके लिए मानक तय हैं. अन्नदाताओं का जितना नुकसान होना था, हो चुका है. सूखा घोषित होने के बाद भी बहुत राहत की उम्मीद करनी बेमानी होगी. दरअसल प्रक्रिया बहुत आसान नहीं है. राज्य सरकार सूखा से हुए नुकसान का आकलन करती है. उसके बाद उसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेजा जाता है. इस रिपोर्ट में आवश्यकतानुसार राशि की भी मांग की जाती है.
इसके बाद केंद्र सरकार की टीम प्रदेश के दौरे पर आती है. यहां से विभिन्न जिलों का टीम मौका मुआयना करती है. यह टीम केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपती है. उसके बाद कहीं जाकर केंद्र सरकार राहत राशि देने पर विचार करती है. धरातल पर देखें तो किसानों को नुकसान बहुत होता है और
राहत राशि के रूप में जो मुआवजा मिलता है वह नाकाफी होता है. किसानों की किस्मत तो मौसम ने बिगाड़ ही दी है. ऊपर से मुआवजा लेने के लिए तमाम प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. बता दें कि वर्ष 2009 में 26, 2010 में 28, 2013 में 33 जिले सूखाग्रस्त घोषित हुए थे. वर्ष 2016 में भी कुछ जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था.
राज्य सरकार अपने स्तर पर ही पहुंचा पायेगी राहत
परेशान किसानों की मुश्किलों पर सही मायने में राहत का मरहम राज्य सरकार ही लगा पायेगी. इसकी शुरुआत भी कर दी गयी है. बिजली के रेट में कमी और डीजल अनुदान बढ़ा कर नीतीश सरकार ने किसानों की परेशान को बहुत हद तक दूर करने का प्रयास किया है. इसके अलावा आधा दर्जन से अधिक विभागों को भी अलर्ट किया गया है.
गांव-गांव तक कर्मचारियों और अधिकारियों को जाने के निर्देश दिये गये हैं. 22 जुलाई को ही मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों के मंत्रियों, प्रधान सचिवों, सचिवों के साथ बैठक कर समीक्षा की थी. मुख्य सचिव दीपक कुमार लगातार अपने स्तर से नजर रख रहे हैं.
किसानों की परेशानी दूर करने के लिए सरकार गंभीर
मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि सूखे की मार से किसान परेशान हैं. इसकी लगातार समीक्षा हो रही है. मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार बारिश सामान्य से कम हुई है. सरकार की प्राथमिकता में इसको रखा गया है. इसके लिए सरकार पर्याप्त धनराशि भी खर्च करेगी. किसी भी स्तर से कोई कोताही नहीं बरती जायेगी.

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