पटना : जीविका सदस्यों को अपने घरों में शौचालय बनाना अनिवार्य

ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जीविका सदस्यों के लिए निर्धारित किया टास्क पटना : राज्य में स्वच्छ भारत मिशन को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत जीविका की दीदीयों समेत सभी सदस्यों को खासतौर से जोड़ा गया है. गांवों में प्रभात फेरी, सांध्य फेरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2018 7:02 AM
ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जीविका सदस्यों के लिए निर्धारित किया टास्क
पटना : राज्य में स्वच्छ भारत मिशन को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत जीविका की दीदीयों समेत सभी सदस्यों को खासतौर से जोड़ा गया है.
गांवों में प्रभात फेरी, सांध्य फेरी से लेकर गरीबों को शौचालय बनाने के लिए हर तरह से प्रेरित करने की जवाबदेही सौंपी गयी है. परंतु इस बार ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जीविका सदस्यों के लिए भी टास्क निर्धारित कर दिया है.
इसके तहत सभी जीविका से जुड़े परिवार या लोगों को अपने घर में पहले शौचालय बनाना होगा. सभी जीविका सदस्यों के घर में शौचालय होना हर हाल में जरूरी है. इसके लिए 15 अगस्त तक की समय सीमा निर्धारित कीगयी है. इस समय सीमा के पहले जीविका से जुड़ी सभी महिलाओं या अन्य लोगों को अपने घर में शौचालय का निर्माण करवा लेना है.
यह पहला मौका है, जब बिहार में इस सरकारी संगठन से जुड़े लोगों के लिए इस तरह का अभियान शुरू किया गया है. एक आंकड़ा के मुताबिक राज्य में जीविका से 91 लाख परिवार जुड़े हुए हैं. ये सभी परिवार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जीविका से जुड़े हुए हैं. इसी वजह से जीविका के सदस्यों के लिए यह अभियान शुरू किया गया है, ताकि शौचालय निर्माण में गति आ सके. इतनी बड़ी संख्या में जीविका सदस्यों के घर में शौचालय का निर्माण हो जाता है, तो काफी बड़ी संख्या में इनके घरों में शौचालय का निर्माण हो जायेगा.
इससे पहले इन परिवारों के लिए अलग से कोई शौचालय निर्माण की योजना नहीं चलायी गयी थी. परंतु शौचालय निर्माण में गति लाने और 2 अक्तूबर 2019 तक सभी घरों में शौचालय का निर्माण कार्य पूरा कर राज्य को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित करने के लिए यह पहल की गयी है.
कई स्तर पर किये जा रहे हैं प्रयास
वर्ष 2014-15 से शौचालय का निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन अब तक 60 फीसदी घरों में ही शौचालय का निर्माण हो सका है. लंबे इंतजार के बाद प्रदेश का एकमात्र जिला सीतामढ़ी ही ओडीएफ हो पाया है. इसके अलावा 534 में 32 प्रखंड, आठ हजार 472 पंचायतों में एक हजार 170 पंचायतें और छह हजार 55 गांव ओडीएफ हो चुके हैं. इस स्थिति को बदलना बड़ी चुनौती है, जिसके लिए कई स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं.

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