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रेलवे टेंडर घोटाला : लालू परिवार की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, 30 को पटियाला कोर्ट करेगी समन जारी करने पर फैसला

नयी दिल्ली : रेलवे टेंडर घोटाला मामले में शुक्रवार को सुनवाई किये जाने के बाद अदालत ने 30 जुलाई की तारीख निर्धारित कर दी. अदालत अब 30 जुलाई को राजद अध्यक्ष व पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बेटे व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव […]

नयी दिल्ली : रेलवे टेंडर घोटाला मामले में शुक्रवार को सुनवाई किये जाने के बाद अदालत ने 30 जुलाई की तारीख निर्धारित कर दी. अदालत अब 30 जुलाई को राजद अध्यक्ष व पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बेटे व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव को समन जारी करने के संबंध में फैसला करेगी. फिलहाल मामले पर फैसला अदालत ने सुरक्षित रख लिया है. मालूम हो कि सीबीआई ने रेलवे टेंडर घोटाला मामले में 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की है.

कौन-कौन हैं शामिल

सीबीआई ने राजद अध्यक्ष व पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बेटे व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव, प्रेम गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता, होटल चाणक्य के मालिक विजय कोचर और विनय कोचर, आईआरसीटीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर पीके गोयल, आईआरसीटीसी के डायरेक्टर राकेश सक्सेना, जनरल मैनेजर बीके अग्रवाल और लालू के करीबी रहे प्रेम गुप्ता समेत 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है.

क्या है पूरा मामला?

वर्ष 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने रेलवे के पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल के रखरखाव आदि के लिए आईआरसीटीसी को स्थानांतरित किया था. सीबीआई के मुताबिक, नियम-कानून को ताक पर रखते हुए रेलवे का यह टेंडर विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दे दिये गये थे. आरोप के मुताबिक, टेंडर दिये जाने के बदले 25 फरवरी, 2005 को कोचर बंधुओं ने पटना के बेली रोड स्थित तीन एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड को बेच दी, जबकि बाजार में उसकी कीमत ज्यादा थी. जानकारी के मुताबिक, इस जमीन को कृषि जमीन बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेच कर स्टांप ड्यूटी में गड़बड़ी की गयी. बाद में 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी संपत्ति लालू प्रसाद की पारिवारिक कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रुपये में ही दे दी गयी, जबकि उस समय बाजार में इसकी कीमत करीब 94 करोड़ रुपये थी. मालूम हो कि सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि इस जमीन पर पटना का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल बनाया जा रहा है.

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