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एक-एक ने कमाये 50 लाख, खरीदे फ्लैट व गाड़ी

पटना : सोमवार को पटना पुलिस की टीम ने टीईटी पात्रता परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी मामले का पूरी तरह खुलासा कर लिया. पुलिस ने इस मामले में बिहार बोर्ड के कंप्यूटर शाखा के अपर डिवीजन क्लर्क अमित कुमार व लोअर डिवीजन क्लर्क सुजीत कुमार को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के समक्ष इस मामले में आधा […]

पटना : सोमवार को पटना पुलिस की टीम ने टीईटी पात्रता परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी मामले का पूरी तरह खुलासा कर लिया. पुलिस ने इस मामले में बिहार बोर्ड के कंप्यूटर शाखा के अपर डिवीजन क्लर्क अमित कुमार व लोअर डिवीजन क्लर्क सुजीत कुमार को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के समक्ष इस मामले में आधा दर्जन से अधिक लोगों की संलिप्तता सामने आयी है और उन सभी को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी की जा रही है.
साथ ही जांच में और भी कई लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है. जिसमें शिक्षा विभाग के अधिकारी के साथ ही फर्जी शिक्षक भी शामिल होंगे. अनुमान के तहत इन लोगों ने 2011 से लेकर अब तक चार से पांच सौ फेल उम्मीदवारों के फर्जी टीईटी का प्रमाणपत्र बनवाया. अमित ही इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड निकला. इसने फर्जी टीईटी पात्रता परीक्षा के नतीजे में गड़बड़ी कर एक-एक कर्मचारी ने 50 लाख से अधिक की कमाई की और उससे फ्लैट व गाड़ी खरीद ली. इस गड़बड़ी में शामिल अन्य कर्मियों ने भी लाखों रुपये कमाये.
अवैध रूप से अर्जित संपत्ति को जब्त करने की भी होगी कार्रवाई : इसके अलावा बिहार बोर्ड के अन्य कर्मियों माइकल, राजेश व रहमान का नाम भी सामने आया है. ये सभी फरार है. इसके साथ ही अरविंद कुमार, रंजीत मिश्रा भी फरार है. इन सभी को पकड़ने के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है.
एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि इस मामले में कई और लोगों के नाम सामने आ सकते हैं और उन सभी को गिरफ्तार किया जायेगा. उन्होंने बताया कि अवैध रूप से अर्जित संपत्ति को जब्त करने के लिए भी कार्रवाई की जायेगी.कुछ दलालों के नाम सामने आये : इस खेल में कुछ दलालों के नाम सामने आये हैं. ये दलाल अमित के
पास उम्मीदवारों को लेकर आते थे
और कमीशन लेते थे. इसमें मुख्य दलाल पटना का है. इसके अलावा बेगूसराय, समस्तीपुर, जमुई और मुजफ्फरपुर के दलालों का भी नाम सामने आया है. पुलिस को यह जानकारी मिली है कि इन जिलों से काफी संख्या में उम्मीदवारों ने फर्जी टीईटी सर्टिफिकेट पैसा देकर बनवाया है और उसके आधार पर शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं. अब उन शिक्षकों के नामों की जानकारी के लिए पुलिस पात्रता परीक्षा के नतीजे के ऑरिजनल सीडी में अंकित नामों से टीआर का मिलान करेगी. इससे आसानी से स्पष्ट हो जायेगा कि किन-किन लोगों ने फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था और शिक्षक की नौकरी ले ली थी. इसके बाद उनकी गिरफ्तारी की जायेगी.
कंप्यूटर शाखा व टीआर शाखा के कर्मियों की मिलीभगत से हुआ पूरा खेल
अमित कुमार कंप्यूटर शाखा में सीनियर प्रोग्रामर की भूमिका में था. जबकि, अरविंद कुमार, अमितेश कुमार व सुजीत कुमार सहायक की भूमिका में थे. साथ ही टीआर (टेबुलेशन रजिस्टर) की जिम्मेदारी जटाशंकर मिश्रा व रंजीत मिश्रा के हाथों में थी. टीईटी का रिजल्ट प्रकाशित होने के बाद उसकी ऑरिजनल कॉपी को सीडी में रख कर सुरक्षित स्थान पर रख दिया गया.
जबकि, कंप्यूटर में पास व फेल होनेवाले तमाम उम्मीदवारों की सूची थी. उक्त कंप्यूटर में फीड किये फाइल का पासवर्ड अमित कुमार, अरविंद कुमार व अमितेश कुमार जानता था. अमित, अरविंद व अमितेश ने अपने स्तर पर उम्मीदवारों से पैसे लेकर कंप्यूटर में फेल को पास बनाने का काम शुरू कर दिया.
टीआर का फाड़ देते थे पन्ना
सुजीत उम्मीदवारों को लाता था और उसे कमीशन प्राप्त होता था. जिसके पास भी उम्मीदवार आते थे वे उनसे एक लाख रुपये तक लेते थे. इसके बाद उन्हें टीआर शाखा में कार्यरत कर्मचारी रंजीत मिश्रा व जटाशंकर मिश्रा से मुलाकात करायी जाती थी. ये दोनों भी उक्त उम्मीदवारों से 50 हजार रुपये लेते थे और टीआर रजिस्टर में पास उम्मीदवारों की श्रेणी में अंकित कर देते थे. इसके लिए ये लोग टीआर का पन्ना फाड़ देते थे और दूसरे पन्ने में फेल उम्मीदवारों काे पास छात्र दिखा कर फिर से रजिस्टर में अंकित कर देते थे.
इसके कारण कंप्यूटर शाखा व टीआर दोनों में उम्मीदवार पास हो जाते थे. इसके बाद सामान्य उम्मीदवार की तरह काउंटर से चालान जमा करा कर टीईटी की सर्टिफिकेट निकाल लेते थे. चूंकि, कंप्यूटर व टीआर दोनों में वे पास ही दिखते थे तो अन्य कर्मचारी सत्यापन कर सर्टिफिकेट देने की इजाजत दे देते थे. इसमें काउंटर के कर्मियों का कोई दोष नहीं था.
ऐसे पकड़े गये
टीईटी फर्जी सर्टिफिकेट मामले में पुलिस ने जब जांच शुरू की, तो यह जानकारी मिली कि कंप्यूटर शाखा व टीआर में बदलाव के बिना यह संभव नहीं है. इसके बाद पुलिस ने अपना ध्यान कंप्यूटर शाखा व टीआर शाखा की ओर लगाया तो तीन शिक्षक व बिहार बोर्ड के दो कर्मचारी जटाशंकर व अमितेश की संलिप्तता सामने आ गयी. इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. जटाशंकर व अमितेश को पुलिस ने रिमांड पर लिया, तो उन लोगों ने सभी लोगों के नामों की जानकारी दे दी. इसके बाद अमित को पकड़ा गया. अमित की निशानदेही पर सुजीत को पकड़ा गया और सारी कहानी सामने आ गयी.

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