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नियोजित शिक्षकों के वेतन का मामला : सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार ने रखा अपना पक्ष, कल फिर होगी सुनवाई

पटना : बिहार केनियोजितशिक्षकोंको समान काम के बदले समान वेतनदेनेके मामले पर सुप्रीम कोर्ट मेंआज सुनवाईहुई. सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने इस मामलेमें अपना पक्ष कोर्ट मेंसमक्ष रखा. राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखने के दौरान एक बार फिर आर्थिक बोझ बढ़ने का हवाला दिया है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर कल यानि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2018 5:07 PM
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पटना : बिहार केनियोजितशिक्षकोंको समान काम के बदले समान वेतनदेनेके मामले पर सुप्रीम कोर्ट मेंआज सुनवाईहुई. सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने इस मामलेमें अपना पक्ष कोर्ट मेंसमक्ष रखा. राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखने के दौरान एक बार फिर आर्थिक बोझ बढ़ने का हवाला दिया है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर कल यानि बुधवार को सुनवाई करेगा.

बता दें कि समान काम के बदले समान वेतन देने के मामले परसुप्रीमकोर्ट मेंआज हाेनेवाली सुनवाई पर बिहार के कार्यरत लाखों नियोजित शिक्षकोंकीनजरें टिकी हुई थी. अब नियोजित शिक्षकों को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर दिये जाने वाले फैसले के लिए कल तक इंतजार करना होगा. कोर्ट में जस्टिस एएम स्प्रे और जस्टिस यूयू ललित की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. उल्लेखनीय है कि राज्य के 3 लाख 70 हजार नियोजित शिक्षक इस मामले पर फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर 2017 को नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया था. हालांकि, बाद में राज्य सरकार ने 15 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.

पूर्व में 29 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्टने मामले की पहली सुनवाईकेदौरान राज्य सरकार से पूछा था कि शिक्षकों का वेतन चपरासी से भी कम क्यों है. राज्य सरकार का कहना है कि नियोजित शिक्षक नियमत: शिक्षकों की श्रेणी में नहीं आते. इसके बाद भी अगर नियोजित शिक्षकों को समान काम, समान वेतन के आधार परवेतन दी जाती है तो राज्य के खजाने पर 36 हजार 998 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा. इस मामले में केंद्र सरकार ने भी बिहार सरकार के स्टैंड का समर्थन किया है. केंद्र का कहना है कि अगर बिहार में नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के बदले समान वेतन दिया जाता है तो दूसरे राज्यों से भी ऐसी मांग उठेगी.

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