बेली रोड पर पानी निकाल कर डाली जा रही मिट्टी, सड़क चालू होने में लगेंगे और दो दिन

पटना : बीपीएससी के सामने बेली रोड के धसान स्थल की मरम्मत मंगलवार को दिनभर जारी रही. ट्यूबवेल लगा कर गड्ढे में भरे पानी को निकाला जा रहा था और धंसान को भरने के लिए मिट्टी डाली जा रही थी. अगल-बगल की सड़क के अंदर की मिट्टी बह जाने की वजह से उनके भी टूट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 1, 2018 4:26 AM

पटना : बीपीएससी के सामने बेली रोड के धसान स्थल की मरम्मत मंगलवार को दिनभर जारी रही. ट्यूबवेल लगा कर गड्ढे में भरे पानी को निकाला जा रहा था और धंसान को भरने के लिए मिट्टी डाली जा रही थी. अगल-बगल की सड़क के अंदर की मिट्टी बह जाने की वजह से उनके भी टूट कर गिरने का अंदेशा था. इसलिए पानी निकालने का काम धीरे-धीरे हो रहा था और उसी अनुपात में मिट्टी डाली जा रही थी. बुधवार तक गड्डे को भरने का काम पूरा होगा. उसके बाद उसके ऊपर सड़क बनाने में भी कम-से-कम दो दिन लगेंगे.

कम-से-कम छह महीने देर होगा प्रोजेक्ट
लोहिया पथ चक्र के निर्माण स्थल पर शनिवार की बारिश से हुए नुकसान को दुरुस्त करने के लिए 300 मजदूर और अधिकारी लगातार काम में जुटे हुए हैं. बगल की सड़क धंसने से भूमिगत रास्ते को बनाने के लिए लगाये गये लोहे के रॉड भी जमीन में समा गये हैं. साथ ही, पानी से हुए नुकसान को खत्म करने के लिए रास्ते का एक हिस्सा भी भरना पड़ रहा है. पूरे बरसात अब यहां काम बंद रहेगा. उसके बाद जमीन खोद कर भूमिगत रास्ते को दोबारा खोला जायेगा. इससे प्रोजेक्ट कम-से-कम छह महीना देरी से पूरा होगा. साथ ही, इस पूरी कवायद में संवेदक एजेंसी को 4-5 करोड़ रुपया अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा.
दोपहिया और चरपहिया निजी वाहनों के लिए खोला गया एक लेन : मंगलवार सुबह से बेली रोड के राजवंशी नगर मोड़ से हड़ताली मोड़ की तरफ जाने वाले लेन को बाइक और निजी चरपहिया वाहनों के लिए खोल दिया गया. हालांकि टेंपो, बस आदि व्यावसायिक वाहनों को राजभवन मोड़ से राजेंद्र चौक होते हुए सर्कुलर रोड से बेली रोड आना-जाना पड़ रहा था. इससे वाहन चालकों और यात्रियों दोनों को परेशानी हो रही थी.
बीपीएससी के कैचमेंट एरिया से आया था पानी
निर्माण कार्य में लगे अभियंताओं का अनुमान है कि शनिवार रात की भारी बारिश के बाद बीपीएससी के कैचमेंट एरिया से उमड़े पानी के प्रवाह और दबाव ने सारा नुकसान किया. इस क्षेत्र में सड़क किनारे बनी सीवर लाइन भी बारिश के जल के प्रवाह को संभाल नहीं सकी, क्योंकि यह उसकी क्षमता से कई गुणा अधिक था.

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