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GST दर में कटौती से घट सकता है राजस्व संग्रह : सुशील मोदी

कोलकाता : जीएसटी क्रियान्वयन समिति के चेयरमैनएवंबिहार के उपमुख्यमंत्री सुशीलकुमार मोदी ने आज कहा कि कई वस्तुओं पर जीएसटी की दर में कटौती से अगले 3-4 महीने में राजस्व संग्रह घट सकता है.सुशील मोदी ने कहा कि जीएसटी परिषद ने अपनी पिछली बैठक में 450 जिंसों (वस्तुओं) पर दरों में कटौती की है. उन्होंने यह […]

कोलकाता : जीएसटी क्रियान्वयन समिति के चेयरमैनएवंबिहार के उपमुख्यमंत्री सुशीलकुमार मोदी ने आज कहा कि कई वस्तुओं पर जीएसटी की दर में कटौती से अगले 3-4 महीने में राजस्व संग्रह घट सकता है.सुशील मोदी ने कहा कि जीएसटी परिषद ने अपनी पिछली बैठक में 450 जिंसों (वस्तुओं) पर दरों में कटौती की है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र अपने वादे के अनुसार राजस्व में कमी को लेकर राज्यों को क्षति पूर्ति उपलब्ध करा रहा है.

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) द्वारा यहां जीएसटी पर आयोजित सेमिनार में बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री ने कहा कि जुलाई में राजस्व संग्रह 96,483 करोड़ रुपये रहा और इसे एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है. उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी परिषद 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दरों का विलय करके 14-15 प्रतिशत की एक श्रेणी में रखने पर विचार कर सकती है. हालांकि, यह राजस्व संग्रह स्थिर होने पर निर्भर करता है.

सुशील मोदी ने कहा, ‘‘28 प्रतिशत कर के दायरे में आने वाली वस्तुओं की संख्या भी कम की जा सकती है, लेकिन राज्य अहितकर वस्तुओं तथा विलासित की वस्तुओं पर उपकर या अधिभार लगा सकते हैं. उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में जीएसटी की एक दर रखा संभव नहीं है. पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के बारे में उन्होंने कहा कि यह इस पर निर्भर है कि राजस्व कब स्थिर होता है. जीएसटी परिषद की शनिवार को बैठक होगी जिसमें सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों की समस्याओं पर विचार किया जायेगा.

बाद में संवाददाताओं से बातचीत में मोदी ने कहा कि जीएसटी गंतव्य आधारित कर होने के बावजूद विनिर्माणकर्ता राज्यों में राजस्व की कमी उपभोक्ता राज्यों के मुकाबले कम है. उन्होंने कहा, ‘‘यह हैरान करने वाला है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात जैसे औद्योगिक गतिविधियों वाले राज्यों में जीएसटी राजस्व में कमी अपेक्षाकृत कम है.” सुशील मोदी ने कहा कि महाराष्ट्र के मामले में यह कमी 2 प्रतिशत तथा तमिलनाडु के संदर्भ में 3 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल जैसे उपभोक्ता राज्य में यह कमी 10 प्रतिशत है. उत्तर प्रदेश में 8 प्रतिशत तथा बिहार में 30 प्रतिशत है.

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