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सौरभ की कॉपी का सही ढंग से मूल्यांकन नहीं करने का मामला, हाईकोर्ट का आदेश, छात्र को 1 लाख रुपये मुआवजा दे बिहार बोर्ड

पटना : इंटर परीक्षार्थी के रिजल्ट के बाद स्क्रूटनी में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को उसकी लापरवाही बहुत महंगी पड़ी. न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने गुरुवार को याचिकाकर्ता सौरभ कुमार को एक लाख रुपये बतौर मुआवजा देने निर्देश बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को दिया है . मालूम हो कि वर्ष 2017 के इंटर […]

पटना : इंटर परीक्षार्थी के रिजल्ट के बाद स्क्रूटनी में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को उसकी लापरवाही बहुत महंगी पड़ी. न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने गुरुवार को याचिकाकर्ता सौरभ कुमार को एक लाख रुपये बतौर मुआवजा देने निर्देश बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को दिया है .
मालूम हो कि वर्ष 2017 के इंटर परीक्षा का रिजल्ट पिछले वर्ष 23 मई को निकाला गया था . उस परीक्षा में याचिकाकर्ता के वैकल्पिक विषय अंग्रेजी में मात्र 32 अंक प्राप्तांक थे .
अंग्रेजी में मिले कम अंक से क्षुब्ध होकर छात्र ने अपने अंग्रेजी विषय के अंकों की स्क्रूटनी का आवेदन दिया . जुलाई 2017 में बिहार बोर्ड ने स्क्रूटनी कर याचिकाकर्ता को उसके अंग्रेजी विषय में मिले 32 अंक की जगह महज दो अंक देते हुए फेल कर दिया . आरटीआई के तहत जब उसने अपनी कॉपी मंगवानी चाही तब परीक्षा समिति ने उसके रिजल्ट को 23 मई 2017 की तारीख से अंग्रेजी पेपर में 32 अंक देकर उत्तीर्ण घोषित कर दिया.
परीक्षार्थी पटना हाईकोर्ट की शरण में आया तब परीक्षा समिति ने अपनी गलती मानी. परीक्षा समिति की लापरवाही और उसे सुधारने में देर करने की वजह से छात्र का एक साल बर्बाद हो गया . इसी कारण हाई कोर्ट ने बोर्ड को एक लाख रुपये याचिकाकर्ता को बतौर मुआवजा देने का निर्देश दिया .
बोर्ड ने कर दिया था फेल
जुलाई 2017 में बिहार बोर्ड ने स्क्रूटनी कर याचिकाकर्ता को उसके अंग्रेजी विषय में मिले 32 अंक की जगह महज दो अंक देते हुए फेल कर दिया.
परीक्षार्थी ने पटना हाईकोर्ट में लगायी न्याय की गुहार
बिहार के मूल निवासियों का मेडिकल दाखिले में 85 फीसदी स्टेट कोटा
इधर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
पटना : पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले से यह तय किया कि नीट परीक्षा के परिणाम के तहत जो अभ्यार्थी राज्य के मूल निवासी हैं, किन्तु उनकी स्कूली शिक्षा बिहार से बार हुई हो, उनको भी स्टेट कोटे में सुरक्षित 85 प्रतिशत सीटों में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का लाभ दिया जा सकता है.
न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने जिज्ञाषा कुमारी की तरफ से दायर रिट याचिका को सुनते हुए यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता भागलपुर जिले की स्थायी निवासी है. उसके पिता का ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट उसी जिले में स्थित आवासीय पते पर बना हुआ था.
जिज्ञाषा ने मैट्रिक गुड़गाव एवं इंटर दिल्ली से किया था. उसने 2018 की नीट परीक्षा भी पास किया. किंतु बिहार के स्टेट कोटे के तहत उसको इसलिए काउंसिलिंग से वंचित कर दिया गया क्योंकि उसकी स्कूली शिक्षा बिहार से बाहर हुई थी. हाईकोर्ट ने इसे भेदभावपूर्ण करार देते हुए बीसीईसीई बोर्ड को आदेश दिया कि अगले साल के मेडिकल दाखिले की काउंसिलिंग में याचिकाकर्ता को भी उसके इस वर्ष की नीट परीक्षा प्राप्तांक के आधार पर शामिल किया जाना चाहिए.

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