पटना : अधिवेशन भवन में आयोजित ‘मुख्यमंत्री एससी/एसटी/पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग सिविल सेवा प्रोत्साहन, छात्रावास अनुदान व खाद्यान्न आपूर्ति योजना’ के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा 2001 में राजद-कांग्रेस की सरकार ने एससी/एसटी को आरक्षण दिये बिना राज्य में पंचायत का चुनाव करा दिया था. मगर जब 2005 में एनडीए की सरकार बनी तो इन्हें एकल पदों पर आरक्षण देने के साथ अत्यंत पिछड़ा वर्ग को पंचायत में 20 प्रतिशत आरक्षण दिया. जिसका नतीजा है कि आज बड़ी संख्या में इस वर्ग से मुखिया, प्रमुख चुन कर आ रहे हैं.
मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने एससी/एसटी अत्याचार निवारण एक्ट के मूल प्रावधानों को बहाल रखने के लिए संसद में संशोधन विधेयक पारित कर दलितों के खिलाफ अत्याचार रोकने के अपने कड़े रुख का परिचय दिया है. पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के साथ ही बिहार के कर्पूरी फर्मूले की तर्ज पर पिछड़े वर्ग की सूची के वर्गीकरण के लिए जस्टिस रोहिणी की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया है, जिसकी रिपोर्ट जल्द ही आने वाली है. एससी/एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण का मामला लंबित है मगर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बिहार सरकार ने आरक्षण देने का आदेश निकाल दिया है.
केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय के बजाय विभाग को इकाई मान कर शैक्षिक पदों पर नियुक्ति करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय को जहां चुनौती दिया है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने तक यूजीसी से अनुदन प्राप्त व केंद्रीय विश्व विद्यालयों में नियुक्ति पर रोक लगा कर एससी, एसटी और ओबीसी के हितों की रक्षा की है. वैसे बिहार में बीपीएससी द्वारा विश्वविद्यालय को इकाई मान कर नियुक्तियां की जा रही है.