TISS की रिपोर्ट में बिहार के किन-किन गृहों पर उठायी गयी अंगुली, …..पढ़ें
पटना : टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट सामने आने पर मुजफ्फरपुर की घटना सार्वजनिक तो हो गयी. अब कार्रवाई भी हो रही है. लेकिन, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस्स) की जांच टीम ‘कोशिश’ की जिस रिपोर्ट पर यह सारी जानकारी उजागर हुई, उनमें सूबे के 14 अन्य गृहों पर भी अंगुली उठायी […]
पटना : टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट सामने आने पर मुजफ्फरपुर की घटना सार्वजनिक तो हो गयी. अब कार्रवाई भी हो रही है. लेकिन, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस्स) की जांच टीम ‘कोशिश’ की जिस रिपोर्ट पर यह सारी जानकारी उजागर हुई, उनमें सूबे के 14 अन्य गृहों पर भी अंगुली उठायी गयी है. ‘गंभीर चिंताएं : संस्थानों को ध्यान देने की आवश्यकता’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में स्थितियों का जिक्र है. पढ़ें रिपोर्ट के मुख्य बिंदु.
1. बालिका गृह, मुजफ्फरपुर : संचालक – सेवा संकल्प एवं विकास समिति
मुजफ्फरपुर बालिका गृह की ऑडिट रिपोर्ट के बाद ही सरकार हरकत में आयी. रिपोर्ट में बताया गया है कि गृह में बच्चियों के साथ गंभीर यौन उत्पीड़न और हिंसा की शिकायतें हैं. सजा और अनुशासन के नाम पर लड़कियों से यौन हिंसा की जाती थी. लड़कियों ने बताया कि पुरुष स्टाफ के द्वारा उनके साथ नियमित रूप से शोषण किया जाता था.
2. बाल गृह, मोतिहारी : संचालक – निर्देश
मोतिहारी के बाल गृह में सभी बच्चों के साथ मारपीट होती है. एक भी बच्चे की शरारत पर सभी की पिटाई होती है. बच्चों के मुताबिक, बदमाशी करने, भागने की कोशिश करने, आपस में लड़ाई करने पर बाल गृह के कर्मचारी द्वारा सभी बच्चों की पिटाई की जाती है. टीम ने कहा है कि बच्चों के साथ यौन शोषण और हिंसा हो रही है, जिस पर अविलंब कार्रवाई और विस्तृत जांच की जरूरत है.
3. बाल गृह, भागलपुर : संचालक – रूपम प्रगति समाज समिति
भागलपुर के बालगृह के सचिव पर टिस्स की रिपोर्ट में गंभीर सवाल उठाये गये हैं. संस्थान का एक कर्मचारी जो बच्चों के समर्थन में था, उसे सचिव द्वारा परेशान किया जाता था. ऑडिट टीम ने संस्थान में लगी शिकायत पेटी की पड़ताल की और आरटीओ रेखा के खिलाफ कई शिकायतें पायीं. बच्चों ने हिंसा की कई वारदातों का जिक्र लिखित शिकायतों में की थी.
4. बाल गृह, मुंगेर : संचालक – पनाह
मुंगेर के बाल गृह की अपनी कोई बिल्डिंग नहीं है. यह बैरक जैसे ढांचे के भीतर चलता है. निरीक्षक बालगृह परिसर में ही रहता है और वह बच्चों से सफाई और खाना बनवाने का काम कराता है. एक बच्चा जो निरीक्षक के लिए खाना बनाता है, उसने अपने गाल पर लगभग तीन इंच लंबा निशान दिखाया. चोट के कारण उसे अब बोलने और सुनने में समस्या आती है.
5. बाल गृह, गया : संचालक – दाउदनगर ऑर्गनाइजेशन फॉर रूरल डेवलपमेंट (डोर्ड)
गया का बाल गृह किसी कैदखाने की तरह संचालित हो रहा है. लड़कों ने बताया कि महिला कर्मचारी लड़कों से पेपर पर गंदे संदेश लिखवाती हैं और दूसरी महिला कर्मचारियों को देने को विवश करती हैं. बच्चों ने पिटाई की बात स्वीकार की है. यहां बच्चों का अन्य कामों में भी कर्मचारी इस्तेमाल करते हैं.
6. स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी : नारी गुंजन, पटना, आरवीईएसके, मधुबनी, ज्ञान भारती, कैमूर
जांच टीम कोशिश ने बताया कि ये तीनों संस्थान दयनीय स्थिति में संचालित हो रहे हैं. नवजात शिशुओं और बच्चों के अनुपात में केयरटेकर्स की संख्या बेहद कम है. तीनों जगह अस्वच्छ थे. ऑडिट टीम ने बच्चों को भूखा और नाखुश पाया.
7. ऑब्जर्वेशन होम, अररिया : संचालक- राज्य सरकार
अररिया का ऑब्जर्वेशन होम सीधे तौर पर सरकार द्वारा संचालित बाल गृह है. यहां के लड़कों ने शिकायत की है कि यहां बिहार पुलिस का एक गार्ड लड़कों के साथ ‘गंभीर’ मारपीट करता है. एक बच्चे ने ऑडिट टीम को छाती पर चोट के निशान दिखाये. देखने से ऐसा प्रतीत हुआ कि उसकी छाती को जोर से दबाया गया था, जिसकी वजह से छाती में सूजन भी थी.
8. शार्ट स्टे होम, पटना : संचालक – इंस्टीट्यूट ऑफ खादी एग्री एंड रूरल डेवलपमेंट (इकार्ड)
कई गुमशुदा लड़कियों को यहां रखा गया है. इन लड़कियों ने हिंसा की शिकायतें की हैं. कुछ लड़कियों के पास अपने घरवालों के नंबर थे, लेकिन संस्था के कर्मचारी उन्हें मां-बाप से संपर्क करने नहीं दे रहे थे. पिछले साल एक लड़की ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी.
9. शार्ट स्टे होम, मोतिहारी : संचालक – सखी
मोतिहारी के शार्ट स्टे होम में मानसिक बीमारी से पीड़ित लड़कियों और महिलाओं के साथ भी शारीरिक हिंसा की बात सामने आयी है. हिंसा के सभी आरोप काउंसिलर पर हैं. लड़कियों ने सेनेटरी पैड नहीं मिलने की शिकायतें भी कीं. यहां पर रहने का माहौल उपयुक्त नहीं बताते हुए तुरंत कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है.
10. शार्ट स्टे होम, मुंगेर : संचालक – नोवेल्टी वेलफेयर सोसाइटी
मुंगेर का शार्ट स्टे होम की बिल्डिंग का एक हिस्सा किराये पर है. इससे 10 हजार प्रतिमाह का किराया वसूला जाता है. लड़कियों ने कुछ ज्यादा नहीं बताया. सिर्फ इतना कहा कि बाथरूम में अंदर की कुंडी नहीं है. टीम ने एक बंद कमरा खुलवाया और एक मानसिक रूप से बीमार महिला को बाहर निकाला.
11. शार्ट स्टे होम, मधेपुरा : संचालक – महिला चेतना विकास मंडल
ऑडिट टीम ने महिला चेतना विकास मंडल को निर्दयी पाया. एक लड़की ने शिकायत में कहा, उसे सड़क से जबरदस्ती उठा कर लाया गया है. उसे परिवार से संपर्क करने नहीं दिया जा रहा है. ऑडिट टीम लड़की के केस के बारे में ज्यादा जानकारी इकट्ठा करना चाह रही थी, लेकिन उस वक्त संस्थान में रसोइया के अलावा और कोई नहीं था.
12. शार्ट स्टे होम, कैमूर : संचालक – ग्राम स्वराज सेवा संस्थान
कैमर के शार्ट स्टे होम की लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की. सुरक्षा गार्ड यौन उत्पीड़न में शामिल रहा है. लड़कियों और महिलाओं ने कहा, गार्ड भद्दी-भद्दी टिप्पणियां करता है. उसका लड़कियों के प्रति व्यवहार भी अनुचित है. गार्ड ही संस्था के सारे कामकाज की देखरेख करता है.
13. सेवा कुटीर, मुजफ्फरपुर : संचालक – ओम सांईं फाउंडेशन
मुजफ्फरपुर के सेवाकुटीर में भी लड़कियों ने गाली-गलौज और हिंसा की शिकायतें की हैं. ऑडिट टीम को संस्था से जुड़े दस्तावेज नहीं मिले. क्योंकि, संस्था के कर्मचारी ने अलमारी की चाबी नहीं होने की बात कही.
14. सेवा कुटीर, गया : संचालक – मेट्टा बुद्धा ट्रस्ट
गया का सेवा कुटीर वृद्धाश्रम है. टीम ने लोगों को बहुत दुबला-पतला पाया. लोगों से बातचीत करते समय ऑडिट टीम ने संस्थान के सदस्यों को इशारे करते देखा. बहुत ही शासकीय तरीके से संस्थान चलाया जा रहा था.
15. कौशल कुटीर, पटना : संचालक – डॉन बास्को टेक सोसाइटी
महिलाओं और पुरुषों दोनों के साथ गाली-गलौज की शिकायत मिली. बहुत सख्ती के साथ महिलाओं और पुरुषों को अलग रखा जाता है.