पटना : स्ट्रीट वेंडिंग प्लान की मदद से शहरी फुटपाथों पर से हटेगा अतिक्रमण

पटना : सूबे के शहरी फुटपाथों को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग ने एक बार फिर से पहल की है. विभाग ने सभी नगर निकायों को जल्द से जल्द अपने शहर का सिटी स्ट्रीट वेंडिंग प्लान तैयार कर सौंपने का निर्देश दिया गया है. विभाग की मंजूरी के बाद प्लान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2018 9:27 AM
पटना : सूबे के शहरी फुटपाथों को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग ने एक बार फिर से पहल की है. विभाग ने सभी नगर निकायों को जल्द से जल्द अपने शहर का सिटी स्ट्रीट वेंडिंग प्लान तैयार कर सौंपने का निर्देश दिया गया है. विभाग की मंजूरी के बाद प्लान के मुताबिक स्ट्रीट वेंडरों को पुनर्वासित कर वेंडिंग जोन व नो वेंडिंग जोन निर्धारित किये जायेंगे ताकि फुटपाथों पर से अतिक्रमण हटाया जा सके.
नक्शा बना कर देनी होगी जानकारी
विभाग ने बकायदा नक्शे पर स्ट्रीट वेंडिंग प्लान की जानकारी मांगी है. शुरुआती फेज में बड़े नगर निकाय पूरे शहर का स्ट्रीट वेंडिंग प्लान तैयार करने की बजाय स्पेशल एरिया या जोन का प्लान तैयार करेंगे, जहां वर्तमान में फुटपाथ पर स्ट्रीट वेंडरों का कब्जा है.
प्लान में स्ट्रीट वेंडर की वर्तमान स्थिति को एक नक्शे पर दर्शाते हुए इसे सुव्यवस्थित करने का प्रस्तावित प्लान दूसरे नक्शे पर दर्शाया जायेगा. नक्शे में वार्ड वार वेंडिंग एरिया, नो वेंडिंग एरिया और रेस्ट्रिक्टेड वेंडिंग एरिया को अलग-अलग रंग से दिखाया जायेंगे.
वेंडरों का करें सटीक आकलन
विभाग ने नगर निकायों को वेंडरों का सटीक आकलन करने की भी सलाह दी है. इसके लिए वेंडिंग प्लान में वर्तमान में फुटपाथ पर दुकान चला रहे वेंडरों के साथ ही प्रस्तावित वेंडिंग जोन में शामिल किये जाने वाले वेंडरों की संख्या का जिक्र करने का भी निर्देश दिया गया है.
निकायों से आवश्यकतानुसार वेंडिंग जोन के प्रस्ताव की मांग की गयी है. वर्तमान में पांच निकायों भागलपुर, गोपालगंज, अरवल,
बेतिया व नवादा ने स्ट्रीट वेंडिंग प्लान का ड्राफ्ट तैयार कर लिये जाने की सूचनादी है. इन नगर निकायों को मैप पर पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के साथ ही इसे टीवीसी से अनुमोदित करा कर भेजने की सलाह दी है.
फेल हुईं वेंडिंग जोन की पुरानी योजनाएं
शहरों में स्ट्रीट वेंडिंग जोन का प्रस्ताव नया नहीं है. नगर निकायों के स्तर पर पहले भी इसको लेकर योजना तैयार कर भेजा गया, लेकिन उस पर अमल नहीं हो सका. इसके पीछे सरकारी इच्छाशक्ति का अभाव और निकायों की लापरवाही अधिक जिम्मेदार बतायी जा रही है. ऐसे प्रस्ताव काफी पुराने होने की वजह से उनकी उपयोगिता नहीं रह गयी. इसको देखते हुए विभाग ने नये सिरे से प्रस्ताव समर्पित करने का निर्देश दिया है.

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