पटना :त्याग और बलिदान के लिए प्रेरित करने वाला त्योहार ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व आज पूरे राज्य में पूरी अकीदत के साथ मनाया गया.बकरीद की नमाज राजधानी समेत राज्य के विभिन्न ईदगाहों, खानकाहों और मस्जिदों में अदा की गयी. इसके साथ ही राज्य के अन्य जिलों में भी शांति और सद्भाव के साथ बकरीद की नमाज अदा की गयी. पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में बकरीद की नमाज सुबह 8 बजे अदा की गयी. इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ईद-उल-अजहा (बकरीद) के अवसर पर प्रदेश एवं देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि ईद-उल-अजहा का त्योहार असीम आस्था का त्योहार है. खुदा के हुक्म पर बड़ी से बड़ी कुर्बानी दिये जाने के लिये तैयार रहना इस त्योहार का आदर्श है. यह त्योहार कुर्बानी के महत्व को दर्शाता है.
मुख्यमंत्री ने इस त्योहार को मेल-जोल, आपसी भाईचारा एवं सद्भाव के साथ मनाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि त्योहारों का आनंद आपसी भाईचारा एवं मेल-जोल के साथ मिल कर मनाने से बढ़ता है और त्योहार का सच्चा आनंद मिलता है. इस दौरान राजधानी स्थित हज भवन में भी ईद-उल-अजहा के नमाज का आयोजन किया गया. जहानाबाद में नमाज अदा करने के बाद सभी एक दूसरे ले गले मिल कर बधाई दी. मधुबनी में बड़ी ईदगाह में भी नमाज अदा की गयी. बेतिया के मैनाटांड़ में बकरीद के मौके पर सूबे के गन्ना उद्योग व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद ने सबके साथ मिल कर नमाज अदा की. वहीं, बेतिया के नरकटियागंज में भी बकरीद के मौके पर लोगों ने नमाज अदा की और एक दूसरे को बधाई दी.
वहीं, इस दौरान पूरे राज्य में पुलिस-प्रशासन चौकस रही. नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी, बांग्लादेश सीमा पर तैनात बीएसएफ समेत सीमावर्ती जिलों किशनगंज, कटिहार व अररिया के सहयोग से जिले की सीमा सील की गयी है. प्रशासन को अंदेशा है बकरीद के दौरान शरारती व कट्टरपंथी तत्वों द्वारा अफवाह फैला कर जिले की शांति भंग की जा सकती है. इसके मद्देनजर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी अफवाह फैलाने वालों की कड़ी निगरानी की जा रही है. दंगा निरोधी बल व रैपिड एक्शन फोर्स के अलावा दरभंगा जोन के विभिन्न जिलों से भी अतिरिक्त पुलिस बल मंगाये गये हैं.
प्रशासन ने बकरीद की नमाज के लिए खानकाह-ए-मुजिबिया समेत सभी ईदगाहों व मस्जिदों के पास पर्याप्त संख्या में दंडाधिकारी और पुलिस अधिकारी की तैनाती रहे. ज्ञात हो कि मुस्लिम धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार ईद-उल-अजहा इसे साधारण बोलचाल की भाषा में बकरीद भी कहते हैं. वैसे बकरीद शब्द का बकरों से कोई रिश्ता नहीं है और न ही यह उर्दू का शब्द है. असल में अरबी में ‘बकर’ का अर्थ है बड़ा जानवर, जो जिबह (कुर्बान) किया जाता है. वास्तव में कुर्बानी का असल अर्थ ऐसे बलिदान से है, जो दूसरों के लिए दिया गया हो. जानवर की कुर्बानी तो सिर्फ एक प्रतीक भर है.