पटना : सीट शेयरिंग पर भाजपा अपने सहयोगियों से जल्द करेगी बात

पटना : देश में आम चुनाव की रणभेरी तो अगले साल बजेगी. लेकिन, भाजपा पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गयी है. भाजपा जल्द ही अपने सहयोगियों के साथ सीट शेयरिंग पर बात करेगी. भाजपा के लिए सबसे अहम व टफ टास्क बिहार में अपने सहयोगी जदयू के साथ सीट शेयरिंग पर बात को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2018 8:11 AM
पटना : देश में आम चुनाव की रणभेरी तो अगले साल बजेगी. लेकिन, भाजपा पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गयी है. भाजपा जल्द ही अपने सहयोगियों के साथ सीट शेयरिंग पर बात करेगी. भाजपा के लिए सबसे अहम व टफ टास्क बिहार में अपने सहयोगी जदयू के साथ सीट शेयरिंग पर बात को लेकर है. 2014 को छोड़ दें, तो अब तक जदयू का पलड़ा ही भारी रहा है.
चर्चा पर यकीन करें, तो अगले महीने भाजपा अपने सहयोगियों के साथ मिल बैठ कर इस मसले को सुलझा लेगी. पिछले महीने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा था कि एक महीने में भाजपा की ओर से प्रस्ताव आ जायेगा. वह समय सीमा भी पूरी हो चुकी है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद से भाजपा की सभी राजनीतिक गतिविधियां थमी हुई है.
अभी राज्य में एनडीए के पास लोकसभा की 32 सीटें हैं. इसमें भाजपा के पास 22, तो जदयू के पास दो सीटें है. लोजपा के पास पांच और रालोसपा के पास तीन सीटें हैं. सीटिंग का फाॅर्मूला चला तो जदयू को कम सीट मिलेगी.
इसके पहले 2004 में जदयू 24 व भाजपा 16 तथा 2009 में जदयू 25 व भाजपा 15 सीट पर चुनाव लड़ी थी. 2014 में दोनों दल अलग- अलग चुनाव लड़े थे. इतना तय है कि अमित शाह की जब सीधे जदयू के अपने समकक्ष से बात होगी, तभी परिणाम निकलेगा. अगले महीने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक होनेवाली है. इसके बाद प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी. दोनों बैठकों में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर भी चर्चा होगी.
नमिता होंगी पटना साहिब से उम्मीदवार?
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य पटना साहिब से भाजपा की उम्मीदवार बनेगी, इस पर पार्टी में चर्चा शुरू हो गयी है.
हालांकि, यह चर्चा अभी प्रारंभिक स्तर पर हुई है. किसी बड़े नेता ने इस तरह के कोई संकेत नहीं दिये हैं. नमिता भट्टाचार्य के ससुराल वाले मूल रूप से पटना के निवासी हैं. अटल जी के नाम के साथ बिहारी शब्द जुड़ा होने के कारण बिहार के लोग उन्हें अपना मानते हैं. उनका भी लगाव बिहार से था. हालांकि, नमिता कभी राजनीति में सक्रिय नहीं रही है.

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