बिहार में सियासी ”खीर” की चर्चा, एनडीए के अन्य घटक दलों ने ”कहावत” की संज्ञा दी

पटना : राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी (रालोसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के अगले आम चुनाव में एक नये समीकरण रूपी ‘खीर’ की चर्चा किये जाने को बिहार राजग के अन्य घटक दलों भाजपा, जदयू और लोजपा ने ‘कहावत’ की संज्ञा दी है. रालोसपा के बीपी मंडल जन्म शताब्दी समारोह पर कल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2018 8:08 PM

पटना : राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी (रालोसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के अगले आम चुनाव में एक नये समीकरण रूपी ‘खीर’ की चर्चा किये जाने को बिहार राजग के अन्य घटक दलों भाजपा, जदयू और लोजपा ने ‘कहावत’ की संज्ञा दी है. रालोसपा के बीपी मंडल जन्म शताब्दी समारोह पर कल पटना में एक कार्यक्रम में कुशवाहा ने कहा था अगर यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियो का चावल मिल जाये तो खीर बन सकती है.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि लेकिन, खीर के लिए छोटी जाति एवं दबे-कुचले समाज का पंचमेवा भी चाहिए तथा चीनी भी पंडित जी (ब्राहमण समुदाय) के यहां से मिल जाएगी और तुलसी चौधरी जी (रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी) के यहां से तब जो खीर जैसा स्वादिष्ट व्यंजन बन सकता है यही सामाजिक न्याय की परिभाषा है और सोशल जस्टिस के मसीहा बीपी मंडल भी ऐसी ही व्यवस्था चाहते थे.

कुशवाहा ने सामाजिक आर्थिक जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस जनगणना रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग करती है. उन्होंने आरोप लगाया कि आज भी मंडल कमीशन में 27 प्रतिशत का आरक्षण पूरा नही मिल रहा है क्योंकि कुछ लोग गलत मंशा के इसे पूरा नही होने दे रहे हैं.

रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता अभयानंद सुमन से उनकी पार्टी के प्रमुख के उक्त बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हम राजग में हैं. लोकतांत्रिक पद्धति में हर दल और उसके नेता अपने सामाजिक आधार का विस्तार करने के लिए विभिन्न वर्गों और समुदायों तक पहुंचने की कोशिश में लगे रहते हैं और उसी दिशा में उनका यह एक प्रयास रहा होगा. कुशवाहा, जिनके राजग में स्वयं को असहज महसूस करने और बिहार में विपक्षी राजद और कांग्रेस के महागठबंधन में जाने को लेकर समय समय पर चर्चाएं होती रही हैं, को अक्सर वे खारिज करते रहे हैं, पर गत सात जून को राजग के शीर्ष नेताओं के भोज में उनके शामिल नहीं होने पर उनके राजग से दूरियां बढ़ने की अटकलें लगने पर उन्होंने व्यक्तिगत कारण से उसमें शामिल नहीं होने की बात कही थी.

राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने ट्वीट कर कुशवाहा के उक्त बयान पर आज कहा कि नि:संदेह उपेन्द्र जी, स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की जरूरत है. पंचमेवा के स्वास्थ्यवर्धक गुण ना केवल शरीर बल्कि स्वस्थ समतामूलक समाज के निर्माण में भी ऊर्जा देते हैं. प्रेमभाव से बनाई गई खीर में पौष्टिकता, स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है. यह एक अच्छा व्यंजन है.

तेजस्वी प्रसाद यादव उपेंद्र कुशवाहा को अपने महागठबंधन में शामिल होने का कई बार न्योता दे चुके हैं. कुशवाह के सहयोगी दल भाजपा, जदयू और लोजपा ने उनके बयान को एक ‘मुहावरे’ के तौर लिए जाने की बात करते हुए कहा कि उसका कोई और अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि कुशवाहा जी के बयान का जो भाव (अगले आम चुनाव में नये गठबंधन की ओर इशारा) निकाला जा रहा वह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि कुशवाह जी कई बार यह कहते रहे हैं कि अगले आम चुनाव में नरेंद्र मोदी जी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना है, ऐसे में उनका संकल्प तो यह है और बीच बीच में कही गयी बातों का अलग अलग अर्थ निकाला जाना मुनासिब नहीं होगा.

केंद्रीय मंत्री और लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने कहा कि कुशवाहा जी ने किसी और संदर्भ में उक्त बातें कही होंगी. बिहार में जो राजग के चारों घटक दल (भाजपा, जदयू, लोजपा और रालोसपा) हैं, एक साथ मिलकर अगला आम चुनाव लड़ेगी तथा बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटें जीतेगी.

जदयू प्रवक्ता और एमएलसी निराज कुमार ने कुश्वाहा के उक्त बयान को एक ‘कहावत’ के रूप में लिए जाने की बाते करते कहा कि वह राजग में हैं और बिहार से जंगल राज (राजद के पिछले 15 सालों के शासन) को उखाड़ फेंकने में अहम भूमिका निभाई है.

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