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पटना : संस्कृत भाषा के ज्ञान के बिना भारतीयता की कल्पना व्यर्थ

कई संस्थानों में संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन, वक्ताओं ने कहा- भाषा से आत्मीयता का बोध है संस्कृत भाषा पटना : पाटलिपुत्र संस्कृत संस्थान एवं फिरोज गांधी महाविद्यालय करबिगहिया के संयुक्त तत्वावधान में संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन कॉलेज परिसर में किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य प्रो शैलेंद्र कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्ज्वलित करके […]

कई संस्थानों में संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन, वक्ताओं ने कहा- भाषा से आत्मीयता का बोध है संस्कृत भाषा
पटना : पाटलिपुत्र संस्कृत संस्थान एवं फिरोज गांधी महाविद्यालय करबिगहिया के संयुक्त तत्वावधान में संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन कॉलेज परिसर में किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य प्रो शैलेंद्र कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया. समारोह की अध्यक्षता पाटलिपुत्र संस्कृत संस्थान व फिरोज गांधी महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ मुकेश कुमार ओझा ने किया. मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय विद्यालय कंकड़बाग के वरीय हिंदी शिक्षक डाॅ मिथिलेश झा उपस्थित थे.
संस्कृत दिवस समारोह का प्रारंभ नेहा कुमारी, सृष्टि सेजल, सुनिधि, ज्योति, दृष्टि के देशभक्ति संस्कृत गीत ने हुआ. आगत अतिथियों का स्वागत कॉलेज के प्रो अनिल कुमार सिंह ने किया. शैलेंद्र कुमार ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी स्मिता है. इस भाषा के ज्ञान के बिना भारतीयता की कल्पना करना व्यर्थ है. इस भाषा से आत्मीयता का बोध होता है.
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ मिथिलेश झा ने कहा कि पौराणिक मूल्यों की स्थापना के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान आवश्यक है. संस्कृत भाषा के कारण ही विश्व में हमारी पहचान है. इस भाषा की रक्षा करना आवश्यक है.
अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ मुकेश कुमार ओझा ने कहा कि हमें संस्कृत पुस्तकों का सम्यक अध्ययन करना चाहिए. कौटिल्य के अर्थशास्त्र उद्योग पर आधारित व्यवस्था है जिसमें उत्पादन के साधनों के बीच समान रूप से उत्पादित वस्तुओं का वितरण होना चाहिए. किरण कुमारी ओझा, नागेंद्र शुक्ल, रामनाथ सिन्हा, प्रभात रंजन ने भी संस्कृत भाषा को व्यवहार की भाषा बनाने पर बल दिया. अवसर पर कृष्णाकांत, सौरभ कुमार, अभिषेक कुमार, प्रभात कुमार, प्रियांशु कुमार, डॉ मिथलेश कुमारी मिश्र सम्मान से सम्मानित किया गया. मौके पर भूमि वर्मा, अनुराज सिंह, हर्षिका, पवन, हरिओम, अभिषेक ने भी अपनी बात रखी. मंचल का संचालन प्रत्यूष ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ उदयन ने किया. प्रारंभ में पंडित संपूर्णानंद ने छात्रों के साथ वेदमंत्रों का पाठ किया तथा अपने कुलपति धर्माचार्य स्वामी हरिनारायणानंद के स्वस्थ्य जीवन के लिए प्रार्थना भी की. साथ ही संस्कृत भाषा में देशभक्ति, अनुशासन व माता-पिता और गुरु के प्रति श्रद्धाभाव अपनाने का आह्वान किया.
बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ आश्रम में रक्षा बंधन व संस्कृत-संस्कृति संरक्षण समारोह का आयोजन रविवार को किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन विद्यापीठ के संचालक मंडल के सदस्य व पूर्व न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद ने किया. उन्होंने कहा कि यह आध्यात्मिक व सामाजिक जागरण का मूल मंत्र है जिससे लोक-परलोक दोनों में जनता को सुख-शांति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. संस्कृत भाषा का संरक्षण एवं संवर्धन करना प्रशासन का कर्तव्य है. पूर्व निगरानी आयुक्त राम उपदेश सिंह ने कहा कि भगवान एक ही है. धर्म अनेक हैं इस भावना को जाग्रत बनाये रखना है.
संस्कृत भाषा विश्व को महान मानवीय निबंध के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं क्योंकि इसमें विवेक है. भारत सेवक समाज के महामंत्री विजय कुमार सिंह ने देश व प्रदेश की वर्तमान स्थिति में सभी धर्मों एवं वर्गों के बीच आपसी सद्भाव की भावना को जागृत करने का आह्वान किया.

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