बिहार पशु विज्ञान विवि के स्थापना समारोह में बोले सीएम कृषि विज्ञान केंद्र की तर्ज पर अब खुलेंगे पशु विज्ञान केंद्र

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में कृषि विज्ञान केंद्र की तर्ज पर पशु विज्ञान केंद्र खुलेंगे. इसके लिए किसी तरह के संसाधन की कमी नहीं होगी. जिलों व प्रखंडों में कृषि फार्म हैं, जहां की जमीन पशु विज्ञान केंद्र खोलने के लिए उपलब्ध करायी जायेगी. उन्होंने कहा कि पशु एवं मत्स्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2018 8:50 AM
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में कृषि विज्ञान केंद्र की तर्ज पर पशु विज्ञान केंद्र खुलेंगे. इसके लिए किसी तरह के संसाधन की कमी नहीं होगी.
जिलों व प्रखंडों में कृषि फार्म हैं, जहां की जमीन पशु विज्ञान केंद्र खोलने के लिए उपलब्ध करायी जायेगी. उन्होंने कहा कि पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग और बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय मिल कर इस दिशा में काम करें. जहां इस तरह के केंद्र की जरूरत है, वहां केंद्र खोलें. मुख्यमंत्री बुधवार को अधिवेशन भवन में आयोजित बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रथम स्थापना दिवस समारोह का उद्धाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे.
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने विवि के प्रतीक चिह्न व सील का लोकार्पण किया और वेबसाइट का शुभारंभ किया. इसके अलावा सीएम ने विवि के प्रकाशन, विजन–2030, वार्षिक रिपोर्ट और स्मारिका का विमोचन भी किया. उन्होंने मत्स्य महाविद्यालय किशनगंज का रिमोट के जरिये शुभारंभ किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि रोड मैप में कृषि और इससे संबद्ध अन्य क्षेत्रों के विकास के लिए काम किया जा रहा है. जमीन, शिक्षा, सिंचाई, पशु, मत्स्य, पर्यावरण जैसे विषयों को कृषि रोड मैप में विशेष स्थान दिया गया है.
उन्होंने कहा कि जब हमने राज्य में शासन की बागडोर संभाली थी तो उस समय हरित आवरण क्षेत्र 9% था. कृषि रोड मैप में इसे 15% तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. सर्वे रिपोर्ट आ गयी है, लक्ष्य को प्राप्त करने में कामयाबी मिली है. राज्य में अब हरित आवरण क्षेत्र 17% तक ले जाया जायेगा. उन्होंने कहा कि 22 करोड़ से ज्यादा पौधारोपण किया जा चुका है.
पशुपालन से महिलाओं को जोड़ें
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के एसजीडीपी में कृषि का बड़ा योगदान है और कृषि में एक तिहाई योगदान पशु एवं मत्स्य संसाधन का है. आपदा की स्थिति में किसानों का सबसे बड़ा सहारा पशुपालन हो सकता है. राज्य सरकार पशु व मत्स्यपालन को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने कहा कि एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी नाम का व्यापक संदर्भ है.
पशु से संबंधित अध्ययन, शोध से पशुपालन के क्षेत्र में प्रेरणा मिलेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि डेयरी के क्षेत्र में काफी काम किया गया है. पशुपालन क्षेत्र में को-अॉपरेटिव सोसायटी की ओर से काम किया जा रहा है, जिसमें महिलाओं को ज्यादा-से-ज्यादा संख्या में जोड़ने की जरूरत है. समारोह में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री पशुपति कुमार पारस भी मौजूद थे.
मुख्यमंत्री भी करते हैं गौ पालन
सीएम नीतीश कुमार ने बताया कि वह भी गाय पालते हैं. उनके पास फ्रीजियन, जर्सी और देशी नस्लों की गायें हैं. फ्रीजियन में बीमारी की संभावना अधिक रहती है. जर्सी और देशी नस्लों की गायें रखने में कम परेशानी है. उनके पास देशी बाछी है. उन्होंने बताया कि उनकी फ्रीजियन गाय को एक बीमारी हुई. स्थानीय पशु चिकित्सकों के अलावा आईसीएचआर के विशेषज्ञों को भी बीमारी का पता नहीं चला. उसी समय विधानसभा अध्यक्ष, तत्कालीन मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की गाय में भी इसी प्रकार की बीमारी हुई थी. इस बीमारी से गाय बच नहीं सकी.
पटना : दिल्ली में बनी सहमति, अब 70% जमीन अधिग्रहण पर शुरू हो जायेगा निर्माण कार्य
नयी दिल्ली/पटना : अब 70% जमीन अधिग्रहण होने पर भी एनएच का निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा. बुधवार को नयी दिल्ली में केंद्रीय सड़क एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हुई बैठक में इस पर सहमति बनी. बैठक में पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव भी मौजूद थे. पहले 90% जमीन अधिग्रहण होने पर ही काम करने की अनुमति कॉन्ट्रैक्टर को मिलती थी.
बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में जनसंख्या घनत्व ज्यादा है. इसलिए राज्य में कम-से-कम 90% जमीन अधिग्रहण की शर्त से थोड़ी परेशानी हो रही थी, जिसे गडकरी जी ने हमारी बात मान ली है. अगली बैठक आठ सितंबर को बुलायी गयी है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी भाग लेंगे. आज की बैठक के बाद एनएच के लंबित प्रोजेक्ट की राह की अड़चनें दूर हो गयी हैं.
नयी व्यवस्था के बाद अब रुके हुए काम में तेजी आयेगा. एनएच-107, मोकामा में राजेंद्र सेतु के समानांतर छह लेन नये पुल के निर्माण सहित अन्य प्रोजेक्टों के काम में तेजी आयेगी. गडकरी के साथ पीएम पैकेज पर विशेष रूप से चर्चा हुई .
बैठक में गांधी सेतु के समानांतर पुल, सोन नदी पर बनने वाले पंडुका पुल, कोसी नदी पर फुलौत और भेजा के पास पुल, मुंगेर-भागलपुर-मिर्जाचौकी एनएच की स्थिति, महेशखूंट-मधेपुरा-पूर्णिया पथ सहित विभिन्न प्रोजेक्टों के क्रियान्वयन के सिलसिले में बातचीत हुई. बैठक में मुख्य सचिव दीपक कुमार और पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
कहा, संसाधन की नहीं होगी कमी, कृषि फार्म की जमीन करायी जायेगी उपलब्ध
देशी नस्लों को बढ़ावा देने की जरूरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि देशी नस्ल के पशुओं का प्रतिशत देश में बिहार का बेहतर है. फ्रीजियन, साहिवाल, जर्सी नस्लों की गायें बिहार में लोग पाल रहे हैं, लेकिन फ्रीजियन और साहिवाल नस्लों की गायें बिहार के वातावरण के अनुकूल अपने आपको नहीं ढाल पाती हैं.
कुछ हद तक जर्सी गायें हमारे प्रदेश के वातावरण के अनुकूल ढल चुकी हैं. देशी नस्लों को बढ़ावा देना है. इसके लिए देशी सीमन की व्यवस्था करने की जरूरत है. पूर्णिया में सीमन फ्रोजेन केंद्र की स्थापना की गयी है. पशुओं के बेहतर रखरखाव के लिए अच्छे अस्पताल बनाने की आवश्यकता है.
अभी जो अस्पताल हैं, उन्हें और प्रभावशाली बनाने की जरूरत है. पशुओं का इलाज बेहतर ढंग से हो, इसके लिए अस्पताल में अलग–अलग विभाग बनाकर विशेषज्ञों को बहाल करने की जरूरत है. पशुपालन से जुड़ा है जैविक खेती मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो पशुपालन से भी जुड़ा है.
जैविक खेती को बढ़ावा देने से जैविक खाद की आवश्यकता होगी. वर्मी कंपोस्ट, बायो पेस्टिसाइट के लिए गोबर और गोमूत्र की जरूरत होगी. बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के माध्यम से बिहार देश का एक उदाहरण बनेगा.

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