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12 शातिर गिरफ्तार

साइबर थाने की पुलिस ने शनिवार को रामकृष्णानगर थाना क्षेत्र के किराये के मकान से अंतरराज्यीय साइबर गिरोह द्वारा चलाये जा रहे कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है.

– तीन महीने गिरोह के सदस्यों ने की करोड़ों की ठगी – गिरोह का सरगना नवादा का गोल्डन, टीम के सदस्यों को देता था 20 हजार रुपये सैलरी – लोन देने के नाम पर ठगी का चल रहा था खेल, 26 मोबाइल, 114 एटीएम और 100 से अधिक खाता जब्त संवाददाता, पटना साइबर थाने की पुलिस ने शनिवार को रामकृष्णानगर थाना क्षेत्र के किराये के मकान से अंतरराज्यीय साइबर गिरोह द्वारा चलाये जा रहे कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. साइबर थाना की टीम ने वहां से 12 जालसाजों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार लोगों में नवादा का सरगना गोल्डन उर्फ बादल, तेलंगाना के आठ और गुजरात के तीन जालसाज शामिल हैं. पुलिस ने मौके से 26 मोबाइल, 114 एटीएम कार्ड और 100 से अधिक खाता जब्त किये हैं. सिटी एसपी पश्चिमी शरथ आरएस ने कहा कि गिरोह के अन्य शातिरों के बारे में पता लगाया जा रहा है. खातों की जांच की जा रही है. गोल्डन ने इन लोगों को 15 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह की सैलरी देकर ठगी के लिए रखा था. तेलंगाना और गुजरात के इन ठगों ने पुलिस को बताया कि लोन देने के नाम पर देश भर के लोगों से ठगी की जा रही थी. गोल्डन ने रामकृष्णा नगर में किराये का घर लेकर वहां कॉल सेंटर खोल दिया था. इसके बाद लोगों को लोन देने के नाम पर ठगी कर रहा था. बीटेक करने के बाद नहीं मिली नौकरी, तो जामताड़ा में सीखा ठगी का खेल इस गिरोह का सरगना नवादा का गोल्डन कुमार उर्फ बादल है. बादल बीटेक कर चुका है. जिस कॉलेज से उसने बीटेक किया था, वहां से उसे न तो किसी कंपनी में प्लेसमेंट मिली और न ही कोई नौकरी. किसी तरह की छोटी-मोटी नौकरी मिली, लेकिन बाद में वह वापस गांव चला गया. गांव जाने के बाद वह साइबर ठगों के संपर्क में आ गया. इसके बाद उसने जामताड़ा जाकर 60 हजार खर्च किया और साइबर ठगी करना सीखा. गोल्डन के कई दोस्त और रिश्तेदार भी साइबर ठगी के इस धंधे में शामिल हैं. पुलिस को सभी का नाम पता मिल गया है, तलाश में छापेमारी चल रही है. सोशल मीडिया के जरिये बनाते थे निशाना, तीन महीने में करोड़ों की ठगी पूछताछ में यह बात आयी कि सभी शातिर कम ब्याज दर पर लोन देने का विज्ञापन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर देते थे. जैसे ही कोई व्यक्ति उनसे संपर्क करता था, तो उसे झांसे में लेकर उनके साथ ठगी करते थे. तेलंगाना और गुजरात के लोगों को इसलिए रखा जाता था ताकि लोगों को यह महसूस हो कि बैंक का कोई वरीय पदाधिकारी बात कर रहा है. बोलने की शैली और टोन से लोगों को यह भरोसा दिलाते थे कि अभी मेरी यहां पोस्टिंग हुई है और आपको लोन का ऑफर दिया जा रहा है. मामले की जानकारी तब हुई जब लोन के नाम पर हुई ठगी में आये मोबाइल नंबरों को पुलिस ने ट्रैक करना शुरू किया. इसके बाद इस गिरोह के बारे में पता चला. यह गिरोह पटना में तीन महीने से एक्टिव था. तीन में महीने में गिरोह सैकड़ों लोगों से करोड़ों की ठगी कर चुका है.

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