पटना : एनडीए के घटक दलों के बीच बिहार में सीटों के बंटवारे का फार्मूला तैयार होने की चर्चा है. हाल ही में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के बयान के बाद एनडीए में सीटों की संख्या को लेकर ऑल-इज-वेल की खबरें आने लगी हैं. खबरों के अनुसार लोकसभा की 40 सीटों में 20 पर भाजपा और 12 सीटों पर जदयू की सहमति बन गयी है. एनडीए के घटक दलों में लोक जनशक्ति को पांच सीटें और रालोसपा को दो सीटें मिलेंगी. रालोसपा से बागी सांसद अरुण कुमार को जहानाबाद से एनडीए की एक सीट दी जायेगी.
दर्जन भर सीटों के अलावा भाजपा जदयू को पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश और झारखंड में लोकसभा की एक-एक सीट दे सकती है. हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा किसी दल ने नहीं की है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पटना आने के बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बैठ कर सीटों के बंटवारे पर पूरा खाका तैयार कर लिया था. भाजपा छोड़ सकती है दरभंगा की सीट : भाजपा 2019 लोकसभा चुनाव में जीती अपनी कुछ सीटें छोड़ने के लिए तैयार है.
इसमें बाल्मीकीनगर और शिवहर लोकसभा सीट शामिल हैं. मुंगेर सीट जेडीयू को मिल सकती है. यहां से नीतीश कुमार के करीबी ललन सिंह के चुनाव लड़ने की संभावना है. 2014 में ललन सिंह चुनाव हार गये थे. इस सीट पर लोजपा की वीणा देवी चुनाव जीती है. यह सीट लोजपा छोड़ सकती है. वीणा देवी ने पिछले दिनों एनडीए से बागी तेवर भी दिखाया था. इसी तरह से भाजपा से बागी बने दरभंगा के सांसद कीर्ति झा आजाद की सीट जदयू को मिल सकती है. यहां से संजय झा गठबंधन के उम्मीदवार हो सकते हैं.
कुछ सीटों में फेरबदल भी हो सकता है
कुछ सीटें सहयोगियों के बीच फेरबदल भी किया जा सकता है. उपेंद्र कुशवाहा अगर एनडीए गठबंधन छोड़कर जाते हैं तो उनकी सीटें बीजेपी और जेडीयू में बंटेंगी. यह भी खबर है कि अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पटना साहिब, दरभंगा, बेगूसराय, बाल्मीकिनगर , मधुबनी और वैशाली में उम्मीदवार बदले जा सकते हैं. भाजपा ने अपने कुछ बुजुर्ग उम्मीदवारों पर भी फैसला ले सकती है. माना जा रहा है कि मधुबनी से दिग्गज नेता हुकुमदेव नारायण यादव की जगह उनके बेटे को टिकट दिया जायेगा. स्वास्थ्य कारणों से बेगूसराय से भोला सिंह उम्मीदवार नहीं होंगे. 2014 लोकसभा चुनाव में एनडीए को 40 में से 31 सीटें मिली थीं. भाजपा के पास 22, लोजपा के पास छह और रालोसपा के पास 3 सांसद हैं. 2014 में लोकसभा चुनाव में जेडीयू एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था और उसे सिर्फ दो सीटें ही मिली थीं.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि सीटों के बंटवारे की घोषणा किसी भी क्षण हो सकती है. कितनी सीटों पर कौन लड़ेंगे कहां से लड़ेंगे और चेहरा कौन होगा, यह उनके केंद्रीय नेतृत्व के अधिकार क्षेत्र में है. वह इतना कह सकते हैं कि एनडीए एकजुट है. यह गठबंधन विकास के मुद्दे पर है. उनके पास पीएम का नाम और काम है. बिहार में नीतीश कुमार का नाम है. जदयू के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अभी तक भाजपा की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं हैं. इस मामले पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व को निर्णय लेना है. यह जरूर है कि जल्द ही सीटों के बंटवारे की घोषणा होनेवाली है.
सीट बंटवारे पर नहीं हुआ है औपचारिक फैसला: उपमुख्यमंत्री
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को ट्वीट कर जानकारी दी है कि एनडीए में 2019 के चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर कोई औपचारिक फैसला नहीं हुआ है. इस मुद्दे पर घटक दलों के बीच कोई विवाद भी नहीं है. हमारे सामने केवल सभी 40 सीटें जीतने का लक्ष्य है. सभी घटक इसी उद्देश्य पर काम कर रहे हैं. चिड़ियां की आंख देखने वालों को और कुछ नजर नहीं आता. उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता के मुकाबले 17 पार्टियों के पास इस पद के योग्य कोई प्रत्याशी नहीं है. वहीं लालू प्रसाद दावा कर रहे हैं कि चुनाव के बाद विपक्ष पांच मिनट में अगला पीएम तय कर लेगा. उन्होंने पांच मिनट में राबड़ी देवी को सीएम बनाने का जो फैसला किया था, उसका परिणाम बिहार की पीढ़ियां भुगत रही हैं. अपने तीसरे ट्वीट में मोदी ने लालू प्रसाद पर निशाना साधते हुए कहा है कि भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए नोटबंदी का वे विरोध कर रहे थे. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा फैसला कर 2016 में नोटबंदी लागू की. इससे 18 लाख बैंक खाते जांच के दायरे में आये. पांच लाख से ज्यादा मुखौटा कंपनियों पर ताला लगा और राजस्व संग्रह में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. विपक्ष को नोटबंदी के फायदे नहीं दिखते.