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पटना : देश में शराबबंदी से गांधी को मिलेगा बड़ा सम्मान : सीएम नीतीश कुमार

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को चेन्नई में आयोजित राष्ट्रीय नेताओं की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू की गयी है. वर्ष 2019 में देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने जा रहा है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सबसे बड़ा सम्मान यही होगा कि इस […]

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को चेन्नई में आयोजित राष्ट्रीय नेताओं की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू की गयी है. वर्ष 2019 में देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने जा रहा है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सबसे बड़ा सम्मान यही होगा कि इस अवसर पर देश में शराबबंदी लागू की जाये. चेन्नई में डा कलाईगनार मुथुवेल करुणानिधि के लिए आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित राष्ट्रीय नेताओं के बीच मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएमके ने भी 2016 के विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में शराबबंदी को प्रमुखता दी थी.
बिहार में लागू शराबबंदी की भावना की प्रतिध्वनि करुणानिधि की धारणा में परिलक्षित उस समय हुई थी जब उन्होंने कहा था अगर डीएमके सत्ता में वापस आयी तो लोकहित में शराबबंदी राज्यभर में लागू की जायेगी.
एक साक्षात्कार में उन्होंने यह भी कहा था कि शराबबंदी जब बिहार में लागू हो सकती है तो तमिलनाडु में क्यों नहीं? नीतीश कुमार ने कहा कि डीएमके नेता एमके स्टालिन पर यह जवाबदेही आ जाती है कि वे करुणानिधि की घोषणा को तार्किक परिणति तक पहुंचाएं.
जीवन भर पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ी
नीतीश कुमार ने कहा कि तीन जून 2017 को जब वह चेन्नई पहुंचे थे तो डीएमके ने स्व करुणानिधि के तमिलनाडु विधानसभा में सफलतापूर्वक 60 वर्ष पूरा होने पर उनके सम्मान में डायमंड जुबली (हीरक जयंती) समारोह का आयोजन किया था. उस दिन उनका 94 वां जन्म दिन भी था.
यह उनका सौभाग्य है कि वे करुणानिधि जी से घर पर मिल सके. स्व करुणानिधि के आदर्श व समाजहित में किये गये कार्य राजनैतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं व नेताओं को हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे. स्व करुणानिधि को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह तमिलनाडु में सामाजिक न्याय एवं समानता के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे. जीवन भर पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ी.
अपनी बात रखने की आजादी, लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा एवं सामाजिक बदलाव करुणानिधि के राजनीतिक जीवन के अभिन्न अंग रहे. वह हमेशा छुआछूत, जमींदारी प्रथा और धार्मिक पाखंडों के विरोध तथा विधवा विवाह के पक्ष में काम करते रहे. 14 वर्ष की आयु में द्रविड़ियन आंदोलन से जुड़े रहने के बाद आठ दशकों तक सक्रिय राजनीति में अपनी भूमिका निभायी. साथ ही 50 वर्षों तक वह डीएमके के अध्यक्ष के रूप में बने रहे.
यह उपलब्धि किसी क्षेत्रीय व राष्ट्रीय पार्टियों से जुड़े नेता के लिए दुर्लभ है. वर्ष 1967 में डीएमके अध्यक्ष कांजीवरम नटराजन अन्नादुरै जिन्हें प्रेम से लोग पेरारिग्नर अन्ना के तौर पर जाना जाता है, उनके साथ पीडब्लूडी के मंत्री रहे. उन्होंने केंद्र सरकार के गठन में कई बार महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. वीपी सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में मंडल कमीशन को लागू कराने में अहम भूमिका निभायी.
स्व अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में धर्मनिरपेक्ष न्यूनतम साझा कार्यक्रम के प्रारूप तैयार कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत और पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की. मुख्यमंत्री ने डीएमके के प्रमुख एमके स्टालिन व सांसद कनिमोझी को धन्यवाद दिया.
चेन्नई में आयोजित बैठक में उपस्थित राष्ट्रीय नेताओं में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, एनसीपी नेता शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूख अब्दुल्ला, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडु, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायण स्वामी, सीपीआइ(एम) नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता एस सुधाकर रेड्डी, मुस्लिम लीग के केएम कादिर मोहिदीन, तृणमूल कांग्रेस नेता डिरिक ओ ब्रायन सहित अन्य लोग मौजूद थे.

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