पटना : पर्यावरण व वन विभाग और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य में नये ईंट-भट्ठा स्थापित करने के लिए नयी स्वच्छता तकनीक को अपनाना अनिवार्य होगा. पूरे राज्य में करीब 6500 ईंट-भट्ठों की संख्या हैं जिनमें से 2 हजार संचालकों ने अपने ईंट-भट्ठे को नयी स्वच्छता तकनीक में परिवर्तित करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को एफिडेविट दिया है. 700 ने अपने भट्ठों को नयी स्वच्छता तकनीक में परिवर्तित कर लिया है. पहले से संचालित ईंट-भट्ठों को परिचालन की अनुमति के लिए एफिडेविट करना होगा कि अगले एक वर्ष में वे अपने भट्ठों को नयी स्वच्छता तकनीक में परिवर्तित कर लेंगे.
मोदी ने कहा कि पुरानी तकनीक वाले ईंट-भट्ठों से 1 लाख ईंट तैयार करने में 20 टन कोयले की खपत होती है जबकि नयी स्वच्छता तकनीक अपनाने के बाद 12 टन कोयले की ही खपत होगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होने से वायु प्रदूषण पर नियंत्रण होगा़ WHO की रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक वायु प्रदूषित 10 शहरों में बिहार के पटना, गया और मुजफ्फरपुर भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि पटना के निकटवर्ती पांच प्रखंडों मनेर, दानापुर, पटना सदर, फतुहा व फुलवारीशरीफ में नये ईंट-भट्ठा लगाने पर रोक है. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद अब किसी को भी पुरानी तकनीकी पर आधारित ईंट-भट्ठों के परिचालन की अनुमति नहीं देगा. बैठक में पर्यावरण व वन विभाग के प्रधान सचिव त्रिपुरारी शरण व बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सदस्य सचिव आलोक कुमार उपस्थित थे.