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पटना : सरकारी जमीन के खाली हिस्से पर कब्जा जमा रहे इंजीनियर सहित 14 गिरफ्तार

राजीव नगर की बेशकीमती सरकारी जमीन पर है भू-माफिया की नजर पटना : राजीव नगर के नेपाली नगर में हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर अवैध रूप से निर्माण कर रहे 14 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इसमें सिंचाई विभाग के इंजीनियर पंकज कुमार भी शामिल हैं. इसके अलावा मकान निर्माण का ठेका लेने […]

राजीव नगर की बेशकीमती सरकारी जमीन पर है भू-माफिया की नजर
पटना : राजीव नगर के नेपाली नगर में हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर अवैध रूप से निर्माण कर रहे 14 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इसमें सिंचाई विभाग के इंजीनियर पंकज कुमार भी शामिल हैं. इसके अलावा मकान निर्माण का ठेका लेने वाला मकेश्वर प्रसाद गुप्ता और मजदूर भी पकड़े गये हैं.
दरअसल, इंजीनियर के खिलाफ बिहार स्टेट हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी ने थाने में शिकायत दर्ज करायी थी. पुलिस ने विभाग की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की थी. इसके बाद पुलिस ने छापेमारी कर इंजीनियर समेत 14 लाेगों को गिरफ्तार किया है. इंजीनियर ने कुछ महीने पहले ही घर बनाने का ठेका मकेश्वर प्रसाद गुप्ता को दिया था. राजीव नगर थाने की पुलिस टीम उनसे पूछताछ कर रही है.
दरअसल नेपाली नगर में सरकारी जमीन का एक बड़ा हिस्सा खाली पड़ा हुआ है. यह हिस्सा बिहार स्टेट हाउसिंग बोर्ड के अधीन है.
सरकारी जमीन पर सिंचाई विभाग के इंजीनियर पंकज कुमार का कब्जा जमाना और उस पर अवैध तरीके से घर बनाने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई लोग गिरफ्तार कर जेल भेजे जा चुके हैं. जबरन कब्जा जमाने को लेकर कई दफा दो गुटों के बीच खूनी खेल भी हो चुका है. बावजूद इस इलाके में अवैध निर्माण की गतिविधियां लगातार जारी रही है.
आवास बोर्ड के निर्देश पर पुलिस कर रही है कार्रवाई
पटना : दीघा के 1024.52 एकड़ के जमीन का विवाद काफी पुराना है. बिहार राज्य आवास बोर्ड के निर्देश पर पुलिस वहां घर बनाने वाले लोगों पर कार्रवाई करती है. बिहार राज्य आवास बोर्ड ने चार साल पहले भी इस विवाद को सुलझाने के लिए पूरे 1024.25 एकड़ को दो भागों में बांट कर कैबिनेट से स्वीकृत योजना लाकर स्थायी निदान की पहल की थी. इसमें दीघा-आशियाना रोड के पश्चिम 400 एकड़ जमीन में किसी तरह कोई प्राइवेट निर्माण पर रोक लगी हुई है.
किसानों को आवास बोर्ड से मुआवजा लेकर बोर्ड को ही जमीन देनी है. लेकिन, किसान प्राइवेट लोगों को सस्ती जमीन बेच चुके हैं. अब उसी अधिगृहीत जमीन पर लोग मकान का निर्माण करा रहे हैं. इसी को लेकर वैसे निर्माण करने वालों पर कार्रवाई की जा रही है.
फेल हो रही है आवास बोर्ड की स्कीम
जमीन अधिग्रहण का मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है. आवास बोर्ड कागज पर जमीन अधिग्रहण कर चुका है. बावजूद इसके आवास बोर्ड की स्कीम पर आम लोग विश्वास नहीं कर रहे हैं. आवास बोर्ड की स्कीम फेल हो चुकी है.
पहले भी राजीव नगर में जमीन को लेकर विवाद हो चुका है. स्थानीय लोग शुरू से विरोध करते रहे हैं. अधिग्रहण में राजीव नगर की तरफ आवास बोर्ड को पैसा लेकर जमीन अधिग्रहण मुक्त करना है. जबकि, नेपाली नगर की तरफ 400 एकड़ जमीन में आवास बोर्ड टाउनशिप बनाने की योजना है.
क्या थी स्कीम
अब तक कहां पहुंचा है मामला
दीघा अर्जित भूमि अधिनियम 2013 के तहत पूरे भू-भाग को बंदोबस्त के लिए सितंबर, 2014 में आवास बोर्ड ने तीन तरह के फाॅर्म निकाले थे. इसमें एक तरफ पैसा लेकर भूमि को अधिग्रहण मुक्त करना था.
दीघा-अाशियाना के पश्चिम टाउनशिप बनाने की योजना थी व तीसरा फाॅर्म जो वर्षों पहले टाउनशिप के लिए लोगों ने पैसा जमा किये थे उनको राशि लौटाने का विकल्प दिया गया. स्कीम के तहत दीघा-अाशियाना के पूर्व में 600 एकड़ को औसतन 7 लाख प्रति कट्ठे की दर से राशि लेकर राजीव नगर सहित आसपास के निर्माणों को वैध कर देना था.
तब कुल 55 लोगों ने फाॅर्म जमा किया था. 41 फाॅर्म वैध पाये गये थे. इन लोगों को लगभग 12 करोड़ रुपये की डिमांड दी गयी थी. लेकिन, कुछ लोगों ने ही आंशिक राशि जमा की. गौरतलब है कि इस क्षेत्र में दस हजार से अधिक लोग रहते हैं.
यह है मामला
—भू-धारकों से सस्ते में खरीद कर अधिगृहीत जमीन का किया जा रहा बंदरबांट
—जमीन की रजिस्ट्री पर भी है पाबंदी

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