पटना : बिहार अब नक्सल समस्या के मामले में तीसरे स्थान की बजाये पांचवें स्थान पर पहुंच गया है. अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) एसके सिंघल ने कहा कि बिहार में नक्सलियों के खिलाफ लगातार चलाए गए अभियान के फलस्वरूप स्थिति में बहुत सुधार आया है. उन्होंने बताया कि पूर्व में देश के नक्सल प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़ और झारखंड के बाद बिहार का नाम आता था, लेकिन स्थिति में बहुत सुधार होने के कारण बिहार का नाम छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र के बाद अब पांचवें नंबर पर आता है.
सिंघल ने बताया कि नक्सली गतिविधियों में कमी आने और स्थिति में हुए सुधार को लेकर भारत सरकार के गृह सचिव से बिहार को प्रशस्ति पत्र भी गत अगस्त महीने में प्राप्त हुआ है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 और 2017 में बिहार में क्रमश: 100 और 71 नक्सली घटनाएं घटी थीं और वर्ष 2018 के अगस्त माह तक मात्र 25 नक्सली वारदात हुई हैं. सिंघल ने बताया कि वर्ष 2016 और 2017 में क्रमश: 468 और 383 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि वर्ष 2018 में अगस्त महीने तक 262 नक्सली पकड़े गये.
उन्होंने बताया कि पुलिस ने नक्सलियों के पास से एके 47 राइफल के साथ पुलिस से लूटी गयीं 10 रेगुलर राइफल बरामद की हैं. सिंघल ने बताया कि वाम उग्रवादियों द्वारा लेवी के तौर पर वसूली गयी राशि में से वर्ष 2016 में 4 लाख 35 हजार 680, वर्ष 2017 में 1 लाख 92 हजार 600 एवं वर्तमान वर्ष के अगस्त माह तक 9 लाख 26 हजार 702 रुपये बरामद किये गये हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा बिहार पुलिस की अनुशंसा पर प्रवर्तन निदेशालय ने नक्सलियों द्वारा गलत तरीके से अर्जित की गयी संपत्ति को भी बड़े पैमाने पर कुर्क किया.
सिंघल ने प्रदेश में अपराधों में कमी आने का दावा किया. उन्होंने वर्ष 2017 के जुलाई और अगस्त महीने से इस वर्ष के जुलाई और अगस्त महीने का तुलनात्मक आंकड़ा पेश किया और बताया कि संज्ञेय अपराधों में 12.07 प्रतिशत की कमी आयी है. सिंघल ने कहा कि डकैती की वारदातों में 53.85 प्रतिशत, लूट की वारदातों में 29.34 प्रतिशत, गृह भेदन की वारदातों में 5.18 प्रतिशत, साधारण दंगों के मामले में 11.17 प्रतिशत, भीषण दंगों की घटनाओं में 7 प्रतिशत, अपहरण की घटनाओं में 13.9 प्रतिशत, बलात्कार की घटनाओं में 31.82 प्रतिशत, एससी/एसटी एक्ट से संबंधित घटनाओं में 12.18 प्रतिशत और महिला उत्पीड़न के मामलों में 12.45 प्रतिशत की कमी आयी है.
उन्होंने बताया कि हत्या और चोरी के मामलों में क्रमश: 1.43 प्रतिशत एवं 3.16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और फिरौती के लिए अपहरण के मामलों में तीन कांड दर्ज हुए हैं. सिंघल ने कहा कि अक्तूबर 2017 से अगस्त 2018 के दौरान जघण्य सहित अन्य अपराध के मामलों में एक लाख 77 हजार 448 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इनमें से जघण्य अपराध में गिरफ्तार लोगों की संख्या 1,49,45 है.
सिंघल ने बताया कि बदमाशों की केवल गिरफ्तारी ही नहीं हो रही है बल्कि, उन्हें सजा भी सुनाई जा रही है. उन्होंने कहा कि त्वरित मुकदमों के तहत इस साल जनवरी से जुलाई तक 3630 अभियुक्तों को सजा सुनायी गयी और गत जुलाई महीने में 646 अभियुक्तों को सजा मिली. सिंघल ने बताया कि त्वरित मुकदमों की संख्या में 6.21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि कर्तव्यहीनता के मामले में 369 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हुई तथा 41 पुलिसकर्मियों को नौकरी से बर्खास्त किया गया. सिंघल ने यह बताया कि गृह विभाग की मंगलवार को आयोजित होने वाली समीक्षा बैठक अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दी गयी है.