सप्ताह भर की मोहलत दे काम पर लौटे जूनियर डॉक्टर

पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल प्रशासन से लिखित समझौते के बाद मंगलवार को दोपहर में अपनी हड़ताल समाप्त कर दी. दोपहर दो बजे के बाद जूनियर काम पर लौट आये. हालांकि, सुबह से ही अस्पताल में मरीजों की भीड़ उपचार कराने के लिए जुटी हुई थी. सीनियर डॉक्टरों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2018 10:05 AM
पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल प्रशासन से लिखित समझौते के बाद मंगलवार को दोपहर में अपनी हड़ताल समाप्त कर दी. दोपहर दो बजे के बाद जूनियर काम पर लौट आये. हालांकि, सुबह से ही अस्पताल में मरीजों की भीड़ उपचार कराने के लिए जुटी हुई थी.
सीनियर डॉक्टरों ने मरीजों का ओपीडी व इमरजेंसी में उपचार किया. अस्पताल के अधीक्षक डॉ चंद्रशेखर ने बताया कि ओपीडी में लगभग साढ़े छह सौ मरीजों का उपचार किया गया. केंद्रीय पंजीयन कर्मियों की मानें तो 2010 नये व 601 पुराने मरीज का पुर्जा कटा, जबकि 32 मरीज भर्ती किये गये. सीनियर डॉक्टरों की ओर से कामकाज का मोर्चा संभालने की स्थिति में 14 मरीजों का आॅपरेशन किया गया. अधीक्षक ने बताया कि सीनियर डॉक्टरों की मदद से अस्पताल में काम काज सुचारु ढंग से चला. जूनियर डॉक्टर भी दोपहर बाद काम पर लौट आये.
सप्ताह भर में होगी पूरी होगी डिमांड : हड़ताली जूनियर डॉक्टरों के साथ मंगलवार को भी अस्पताल के अधीक्षक डॉ चंद्रशेखर व उपाधीक्षक डॉ गोपाल कृष्ण ने बैठक की.
सभागार में आयोजित बैठक में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने दस सूत्री मांगों को एक सप्ताह में पूरा करने का लिखित आश्वासन दिये जाने की बात कही. एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि रंजन कुमार रमन ने बताया कि सप्ताह भर में दस सूत्री मांगों को पूर्ण करने का भरोसा मिलने के बाद जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने की घोषणा करते हुए दोपहर दो बजे से काम पर लौट आये . बैठक में एसोसिएशन के सचिव डॉ राहुल शेखर, डॉ रणविजय भारती, डॉ उमेश कुमार, डॉ निर्मला कुमारी, डॉ पल्लवी, डॉ तूलिका प्रकाश, डॉ राजलक्ष्मी, डॉ राजेश,डॉ लाल बिहारी, डॉ संजीव व डॉ अमित समेत अन्य थे. बैठक के दरम्यान जूनियर डॉक्टरों ने दस सूत्री मांगों को फिर उठाया, जिनमें ड्यूटी पर कार्यरत डॉक्टर के साथ मारपीट करने वाले मरीजों के परिजनों पर प्राथमिकी दर्ज कराने, प्रसूति गृह के आगे ग्रिल लगाने, इमरजेंसी में ग्लबस, दवा, कॉटन गॉज व उपकरण की आपूर्ति कराने की मांग की गयी. वहीं, नीकू, महिला व प्रसूति विभाग और सेंट्रल इमरजेंसी में बैरिकेडिंग कराने, इमरजेंसी में मरीज के साथ दो परिजन रहने व पास निर्गत करने, इमरजेंसी गेट पर स्कैनर व मेटल डिटेक्टर लगाने, नयी सुरक्षा एजेंसी के माध्यम से गार्ड की नियुक्ति, प्रसूति गृह के गलियारे में सीसीटीवी लगाने, क्षतिग्रस्त गेट बदलवाने व पीजी स्टूडेंट के लिए अस्पताल परिसर में ही सुविधाओं से युक्त छात्रावास की व्यवस्था करने की मांग की गयी.
क्या है विवाद की वजह
मामला यह है कि रानीपुर नीमतल निवासी संतोष कुमार की 25 वर्षीया पत्नी रूपा रानी को प्रसव के लिए में बीते 30 अगस्त को महिला व प्रसूति विभाग में डॉ अलका सिंह की यूनिट में भर्ती की कराया गया था. जहां आॅपरेशन की बात कही गयी. टाल-मटोल की स्थिति में बीते 31 अगस्त को महिला की मौत हो गयी थी. इसी बात से नाराज होकर परिजनों ने हंगामा किया था. परिजनों की ओर से मचाये गये हंगामे से नाराज जूनियर डॉक्टरों ने एक सितंबर की सुबह से कार्य बहिष्कार कर दिया था. ड्यूटी पर उपस्थित रहने के बाद भी मरीजों का उपचार नहीं किया. सोमवार को हड़ताल की घोषणा कर दी थी.

Next Article

Exit mobile version