पटना : आईपीएआई का सेमिनार आज, बिहार विधानसभा स्पीकर करेंगे उद्घाटन
पटना : आईपीएआई (इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ऑडिटर्स ऑफ इंडिया) की ओर से गुरुवार को सेमिनार का आयोजन किया जायेगा. आईपीएआई बिहार चैप्टर के सेक्रेट्री परशुराम सिंह ने बताया कि सेमिनार का उद्घाटन गुरुवार सुबह 10 बजे बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार चौधरी करेंगे. कार्यक्रम में मुख्य सचिव दीपक कुमार, आद्री के डायरेक्टर पीपी घोष, […]
पटना : आईपीएआई (इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ऑडिटर्स ऑफ इंडिया) की ओर से गुरुवार को सेमिनार का आयोजन किया जायेगा. आईपीएआई बिहार चैप्टर के सेक्रेट्री परशुराम सिंह ने बताया कि सेमिनार का उद्घाटन गुरुवार सुबह 10 बजे बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार चौधरी करेंगे. कार्यक्रम में मुख्य सचिव दीपक कुमार, आद्री के डायरेक्टर पीपी घोष, पूर्व विकास आयुक्त शशि शेखर शर्मा, रेरा के सदस्य आरबी सिन्हा शामिल होंगे.
नयी दिल्ली : मुजफ्फरपुर आश्रयगृह कांड की जांच की मीडिया में रिपोर्टिंग पर पटना हाईकोर्ट की रोक के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक याचिका दायर की गयी. केंद्रीय जांच ब्यूरो इस आश्रयगृह में अनेक लड़कियों के कथितरूप से बलात्कार और यौन शोषण की घटनाओं की जांच कर रहा है.
अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से एक पत्रकार द्वारा दायर इस याचिका में हाईकोर्ट के 23 अगस्त के आदेश के अमल पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है. याचिका में इस आदेश को पूरी तरह गलत बताते हुए कहा गया है कि यह इस मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने जैसा है.
याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट द्वारा इस तरह से नागरिकों को जानकारी प्राप्त करने और प्रेस की आजादी के मौलिक अधिकारों को नजरअंदाज करना न्यायोचित नहीं है. मुजफ्फरपुर आश्रयगृह मामले की जांच की निगरानी हाईकोर्ट कर रहा है. हाईकोर्ट ने 23 अगस्त को इस मामले की जांच का विवरण लीक होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए मीडिया से कहा था कि वह इसे प्रकाशित करने से बचे, क्योंकि यह जांच के लिए अहितकर हो सकता है.
एक गैर सरकारी संस्था द्वारा संचालित इस आश्रय गृह में कथित बलात्कार और यौन शोषण की घटनाएं मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज के सोशल ऑडिट के बाद सामने आयीं.याचिका दायर करने वाले पत्रकार ने दावा किया है कि मीडिया रिपोर्टिंग से इस मामले की जांच प्रभावित होने के नतीजे पर पहुंचने के लिए हाईकोर्ट के पास कोई सामग्री नहीं थी.
याचिका में हाइकोर्ट के आदेश को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) में प्रदत्त अधिकारों पर सीधा कुठाराघात बताया गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि मीडिया की सकारात्मक भूमिका की वजह से ही हतप्रभ करने वाली यह घटना सामने आयी और इस तरह से जांच की रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाया जाना मनमाना है .
याचिका में यह भी कहा गया है कि मुजफ्फरपुर मामले की मीडिया रिपोर्टिंग के कारण ही बिहार के आरा में किशोर गृह में लड़के शारीरिक और यौन शोषण के बारे में अपने माता पिता से शिकायत करने का साहस जुटा सके. शीर्ष अदालत ने इससे पहले मुजफ्फरपुर आश्रय गृह की घटना की कथित पीड़ितों के बार-बार लिए जा रहे इंटरव्यू और उनके प्रकाशन तथा प्रसारण को लेकर पटना निवासी रणविजय कुमार के पत्र का संज्ञान लिया था.