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निरक्षरों को पढ़ाने की शुरू होगी मुहिम

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस l टोला स्तर पर फिर से शुरू होगा साक्षरता कार्यक्रम पटना : अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस (8 सितंबर) के मौके पर बिहार के सभी लोगों में शिक्षा का अलख जगाने के लिए साक्षरता अभियान की शुरुआत होने जा रही है. राज्य की साक्षरता दर वर्तमान में करीब 63 फीसदी है, जिसमें महिलाओं की […]

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस l टोला स्तर पर फिर से शुरू होगा साक्षरता कार्यक्रम

पटना : अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस (8 सितंबर) के मौके पर बिहार के सभी लोगों में शिक्षा का अलख जगाने के लिए साक्षरता अभियान की शुरुआत होने जा रही है. राज्य की साक्षरता दर वर्तमान में करीब 63 फीसदी है, जिसमें महिलाओं की साक्षरता दर 53 फीसदी और पुरुषों की 73 फीसदी है. राष्ट्रीय साक्षरता दर 80 फीसदी से यह काफी पीछे है. बिहार की आबादी का घनत्व देश में सबसे ज्यादा है, लेकिन इसके मुकाबले साक्षरता की स्थिति उतनी बेहतर नहीं है. यहां की बची हुई 37 फीसदी आबादी को साक्षर बनाने के लिए फिर से साक्षरता अभियान शुरू किया जा रहा है. इसके तहत सभी रहवासी टोलों
निरक्षरों को पढ़ाने…
में टोला सेवकों और तालीमी मरकज के शिक्षा दूतों की सहायता से 15 से 45 वर्ष की महिला और पुरुषों को साक्षर बनाने के लिए पाठशाला लगेगी. करीब 30 हजार टोला सेवक या तालिमी मरकज इस काम में जुटेंगे. इसमें 12 हजार नये टोला सेवकों की बहाली भी जल्द ही शुरू होने जा रही है. यह पाठशाला सामान्य स्कूल से बिलकुल अलग होगी और गांव की चौपाल या अन्य किसी सार्वजनिक स्थान पर लगायी जायेगी. इसका समय इस तरह से निर्धारित होगा कि लोग अपने कामकाज को करने के बाद दो अक्षर सीखने के लिए आसानी से समय निकाल सकें. इस अभियान में केंद्र सरकार की भी भूमिका अहम होगी.
इस बार इस साक्षरता अभियान का नाम ‘पढ़ना-लिखना अभियान’ किया जा सकता है. इसकी कार्ययोजना की अंतिम रूप-रेखा तैयार करने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय में एक अहम बैठक अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के मौके पर होने जा रही है, जिसमें सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे और इसी फाइनल कार्ययोजना की घोषणा होगी. हालांकि राज्य सरकार ने इसे लेकर पहले से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी है. 8 सितंबर के मौके पर सभी टोलों में साक्षरता रैली निकाली जायेगी. ताकि लोगों को शिक्षा की अलख जगाते हुए उन्हें साक्षर बनने के लिए प्रेरित किया जा सके. इसके लिए शिक्षा विभाग ने अपने स्तर से पूरी तैयारी कर ली है.
साक्षरता में बिहार को मिल चुका राष्ट्रपति पुरस्कार
इससे पहले चलने वाली साक्षर भारत अभियान कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के कारण बिहार को राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है. इसके तहत राज्य में वर्ष 2001 से 2011 के बीच महिलाओं की साक्षरता दर में 17 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी. इस योजना के तहत प्रत्येक छह महीने पर ‘बुनियादी साक्षरता या समकक्षता’ परीक्षा होती थी, जिसे पास करने वाले को साक्षर माना जाता था. पिछले शैक्षणिक वर्ष तक चलायी गयी इस योजना से राज्य में करीब 15 लाख लोग साक्षर हो चुके हैं. इस बार नये रूप में शुरू होने जा रही योजना की केंद्र के स्तर से कार्ययोजना तय होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पायेगी.
वे पांच जिले जिनमें
साक्षरता दर सबसे बेहतर
रोहतास 73.37
पटना 70.68
भोजपुर 70.47
मुंगेर 70.46
औरंगाबाद 70.32
वे पांच जिले जिनमें
साक्षरता दर खराब
साक्षरता दिवस के मौके पर होंगे ये कार्यक्रम
सभी कार्यरत शिक्षा सेवक और तालिमी मरकज अपने-अपने टोले पर साक्षरता रैली का आयोजन करेंगे. इस रैली में टोले के पुरुष सदस्य, नव साक्षर महिलाओं और बच्चों को शामिल किया जायेगा.
जिले के विभिन्न प्रखंडों के केआरपी (रिपोर्स पर्सन) अपने-अपने प्रखंड के विभिन्न टोलों पर कार्यरत शिक्षा सेवकों को आवश्यक सहयोग और मार्गदर्शन प्रदान करेंगे. साथ ही किसी एक रैली में शामिल होंगे.
जिला स्तर पर भी नगर क्षेत्र में कार्यरत शिक्षा सेवक माताओं के साथ गोष्ठी करके बच्चों की पढ़ाई तथा 15 से 45 आयु वर्ग की महिलाओं के साथ साक्षरता के महत्व को लेकर चर्चा करेंगे.
टोला स्तरीय रैली और कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (साक्षरता) एवं राज्य संसाधन समूह के सदस्य अनिवार्य रूप से एक टोला में भाग लेंगे.
राज्य स्तर से भी निदेशालय में पदस्थापित पदाधिकारी और परामर्शी भी इस अवसर पर निदेशक की तरफ से आवंटित जिले के टोले पर कार्यक्रम में भाग लेंगे.

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