आनंद तिवारी @ पटना
पटना सहित पूरे बिहार में आज विश्व फिजियोथेरेपी दिवस मनाया जा रहा है. फिजियोथेरेपी शरीर की मांसपेशियों, जोड़ों, हड्डियों व नसों के दर्द या तकलीफ वाले हिस्से की वैज्ञानिक तरीके से आधुनिक मशीनों, एक्सरसाइज, टेपिंग आदि के माध्यम से मरीज को आराम पहुंचाया जाता है. पिछले कुछ सालों से बिहार में इस तकनीक पर लोगों का विश्वास बढ़ा है. लेकिन, वर्तमान समय में सरकारी अस्पतालों में इसकी सुविधा बदहाल है. शहर के आईजीआईएमएस, एम्स, पीएमसीएच जैसे बड़े अस्पतालों में सुविधा तो दी गयी है, लेकिन मरीजों को समय पर इलाज नहीं हो पाता है. सुविधाएं कम होने के कारण इलाज के लिए मरीजों को एक से दो महीने की वेटिंग दी जाती है.
काउंसिल बनेगी तो बढ़ेगी बात
फिजियोथेरेपिस्ट डॉ राजीव कुमार सिंह का कहना है कि बिहार में फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति के प्रति मरीजों का विश्वास बढ़ा है. लेकिन, बिहार में फिजियोथेरेपी काउंसिल की गठन के लिए फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन ने स्वास्थ्य विभाग से लेकर कई आला मंत्रियों और अधिकारियों को लिखित में मांग की. लेकिन, आज तक फिजियोथेरेपी काउंसिल का गठन नहीं हो पाया. नतीजा पटना में कई ऐसे फिजियोथेरेपी क्लिनिक संचालित हो रहे हैं, जो नियमानुसार अवैध है. अधिकतर डॉक्टरों के पास डिग्री और डिप्लोमा तक नहीं है. बावजूद मरीजों का इलाज चल रहा है. ऐसे में इलाज पर सवाल खड़े हो गये हैं.
ऑपरेशन से छुटकारा दिलाती है फिजियोथेरेपी
साई फिजियोथेरेपी क्लिनिक के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ राजीव सिंह ने कहा कि अगर दवा, इंजेक्शन और ऑपरेशन के बिना दर्द से राहत पाना चाहते हैं, तो फिजियोथेरेपी कारगर उपाय है. स्वास्थ्य और सेहत दोनों ही क्षेत्रों के लिए यह तकनीक उपयोगी है. डॉ राजीव ने बताया कि जानकारी की कमी की चाह में लोग दर्द निवारक दवाएं लेते रहते हैं. मरीज तभी फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाते हैं, जब दर्द असहनीय हो जाता है. फिजियोथेरेपी कमजोर पड़ते मसल्स और नसों को मजबूत करता है. यही वजह है कि अब इसकी जरूरत हृदय रोग से संबंधित बीमारी से लेकर प्रेगनेंसी तक में जरूरत महसूस की जा रही है. हर प्रकार के क्रोनिक डिजीज में यह काम करता है.