पटना : धनबाद के कोल माफिया को भी बेची गयी एके-47, मुंगेर पहुंची क्राइम ब्रांच की टीम, शमशेर-नियाजुल से होगी पूछताछ
विजय सिंह पटना : मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल के बाद अब झारखंड का भी एके-47 सप्लाई कनेक्शन मिल गया है. मुंगेर में गिरफ्तार किये गये शमशेर के माध्यम से खुलासा हुआ है कि धनबाद के एक कोल माफिया जो राजनीति से जुड़े हैं, उन्हें भी एके-47 बेची गयी है. यह सौदा शमशेर के मामा […]
विजय सिंह
पटना : मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल के बाद अब झारखंड का भी एके-47 सप्लाई कनेक्शन मिल गया है. मुंगेर में गिरफ्तार किये गये शमशेर के माध्यम से खुलासा हुआ है कि धनबाद के एक कोल माफिया जो राजनीति से जुड़े हैं, उन्हें भी एके-47 बेची गयी है.
यह सौदा शमशेर के मामा मंजर उर्फ मंजीत के माध्यम से हुआ है. पुलिस मंजर को तलाश रही है. बहुत जल्द पुलिस धनबाद जायेगी. दरअसल सीओडी से एके-47 के सप्लाई का कनेक्शन सामने आने के बाद अब बेचे गये हथियारों की रिकवरी पुलिस के लिए चुनौती बन गयी है.
पुलिस सभी हथियारों को बरामद करने के लिए रणनीति बना रही है. इसमें अभी कई सफेदपोश और बड़े अपराधियों के नाम सामने अाना बाकी है. पुलिस के टारगेट पर नक्सली संगठन व गैंगवार वाले अपराधी गिरोह हैं.
जबलपुर से क्राइम ब्रांच की टीम मुंगेर पहुंच चुकी है. टीम ने मुंगेर एसपी बाबूराम से मुलाकात की है. इसके अलावा अन्य अधिकारियों के साथ भी मीटिंग हुई है.
अब सबसे पहले क्राइम ब्रांच की टीम अब तक गिरफ्तार किये गये आर्मोरर व सप्लायरों से पूछताछ करेगी. इसमें शमशेर और नियाजुल हसन सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है. दोनों से पूछताछ होगी कि आखिर हथियार कब लाये गये, कहां भेजा गया, कितने में सप्लाई हुई. कहां बेचे गये हैं असलहे. ऐसे तमाम सवाल है, जो दोनों से किये जायेंगे. इसके अलावा इमरान समेत कई लोगों से पूछताछ होगी.
कुछ हथियारों के अार्सलर नंबर का कराया जायेगा मिलान
मुंगेर से अब तक आठ एके-47 बरामद हो चुकी है. शुरुआत में जो हथियार बरामद किये गये थे उसमें आर्सलर नंबर नहीं मिला था. लेकिन, बाद में जो हथियार बरामद किये गये हैं उनमें कुछ हथियारों पर आर्सलर नंबर मौजूद है. सूत्रों कि मानें, ताे आर्सलर नंबर को मिटाने की कोशिश की गयी है लेकिन पूरी तरह से नंबर नहीं मिट सका है.
अब यह नंबर जबलपुलर एसपी और क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया गया है. उधर जबलपुर क्राइम ब्रांच ने सीओडी को पत्र लिखकर वहां वर्ष, 2008 से अब तक का रिकाॅर्ड मांगा है. इसमें असलहों की सप्लाई आर्सलर नंबर सहित मांगी गयी है.
अब अगर मुंगेर में बरामद हथियारों का आर्सलर नंबर जबलपुर के सीओडी के दस्तावेज से मेल खाता है, तो पुलिस के पास सीधे तौर पर प्रमाण हो जायेगा. यह साफ हो जायेगा कि सीओडी से जो हथियार निकले थे, वह मुंगेर लाये गये थे.
इसमें सीओडी में सप्लाई से जुड़े सेना के अधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं. हथियार किस डेट में निकला हैं, किसकी ड्यूटी के दौरान निकले हैं.
कौन-कौन इसके लिए जिम्मेदार हैं, इन सवालों के जवाब लगे हाथ पुलिस को मिल जायेंगे. इसलिए मुंगेर से बरामद हथियारों पर आर्सलर नंबर का मौजूद होना महत्वपूर्ण कड़ी मानी जा रही है. इसके अलावा अन्य बिंदुआें पर छानबीन चल रही है.