तीन बैंकों के विलय का मामला : बदल जायेगा खाता संख्या, एटीएम व चेक बुक

20 लाख ग्राहकों के खाते हैं इन बैंकों में सुबोध कुमार नंदन पटना : बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी), देना और विजया बैंक के विलय हो जाने के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या कम हो जायेगी. इस विलय से इन बैंकों के ग्राहकों पर काफी असर पड़ेगा, क्योंकि इन सभी खाताधारकों का खाता संख्या, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2018 6:13 AM
20 लाख ग्राहकों के खाते हैं इन बैंकों में
सुबोध कुमार नंदन
पटना : बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी), देना और विजया बैंक के विलय हो जाने के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या कम हो जायेगी. इस विलय से इन बैंकों के ग्राहकों पर काफी असर पड़ेगा, क्योंकि इन सभी खाताधारकों का खाता संख्या, एटीएम और चेक बुक तक बदलनी पड़ेगी. मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल बिहार में तीनों बैंक की कुल 322 शाखाएं हैं और एक शाखा में लगभग छह हजार से अधिक बैंक खाते हैं.
इनमें बैंक ऑफ बड़ौदा की 240, देना बैंक की 45 और विजया बैंक की 35 शाखाएं कार्यरत हैं. एक अनुमान के अनुसार लगभग 20 लाख से अधिक ग्राहकों के खाते इन बैंकों में हैं, जबकि पटना जिले में बीओबी की 37, देना बैंक की 12 तथा विजया बैंक की 9 शाखाएं हैं.
विलय कॉरपोरेट क्षेत्र के हित में : व्यावसायिक बैंकों का विलय कॉरपोरेट सेक्टर के हितों को ध्यान में रख कर किया गया है, क्योंकि उनका वर्तमान आकार और पूंजी आम जनता के ऋण की आवश्यकता पूरी करने में सक्षम है.
जहां तक एनपीए और सकल हानि में कमी के तथाकथित उद्देश्य की बात है रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार स्टेट बैंक में उनके पूरक बैंकों के विलय के बाद उसके एनपीए और सकल हानि में लगातार वृद्धि हुई है. इस परिस्थिति में जहां नये बैंक तथा नयी शाखाएं खोलने की आवश्यकता है, वहीं बढ़ते एनपीए के बहाने बैंकों के आपस में विलय की प्रक्रिया प्रारंभ कर सरकार आम जनता के हितों के विरुद्ध कार्य कर रही है.
विलय के बाद स्टेट बैंक का बढ़ा एनपीए
अप्रैल, 2017 में स्टेट बैंक के 5 पूरक बैंकों का उसमें विलय
हो गया, जिससे स्टेट बैंक अपने आकार और पूंजी के मामले में विश्व का 50वां बैंक तो बन गया, लेकिन इसके एनपीए की वृद्धि दर और न ही लाभग्राहिता पर कोई असर पड़ा.
अलबत्ता एनपीए और सकल हानि के मामले में यह देश का सबसे बड़ा बैंक जरूर बन गया. विलय के बाद स्टेट बैंक को 122 प्रशासनिक कार्यालयों तथा 1200 से ज्यादा शाखाओं को बंद करना पड़ा, जिससे ग्राहकों को परेशानी हुई.
बनेगा देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक
इन तीन बैंकों के विलय की प्रक्रिया पूरी करने के बाद देश में तीसरा बड़ा बैंक अस्तित्व में आ जायेगा. वैसे अभी इन नये बैंकों को अस्तित्व में आने में कम-से-कम छह-सात महीने का समय लगेगा. देना और विजया बैंक का बीओबी में विलय नहीं होगा, बल्कि तीनों बैंकों का विलय करके एक नया बैंक बनाया जायेगा.
फिर से खोलना पड़ सकता है खाता
इन तीन बैंकों के ग्राहकों को नये बैंक में अपना फिर से खाता खोलना होगा. इससे उनका पेपर वर्क काफी बढ़ जायेगा. ग्राहकों को खाता खोलने के लिए एक बार फिर से केवाईसी की प्रक्रिया को दोहराना होगा. केवाईसी हो जाने के बाद ग्राहकों को नयी चेक बुक, एटीएम कार्ड और पासबुक मिलेगा.
ग्राहकों पर सीधा असर
सामान्य तौर पर विलय के बाद एनपीए बढ़ेगा, जिससे लाभ पर असर पड़ेगा. फलस्वरूप उसके प्रभाव को दूर करने के लिए बैंक द्वारा जमा पर ब्याज कम करना, सेवा शुल्क में बढ़ोतरी करना पड़ेगा, जिससे ग्राहक सीधे-सीधे प्रभावित होंगे. साथ ही बैंकों के विलय के बाद कुछ काल अवधि के लिए ग्राहकों को परेशानी उठानी पड़ेगी. इसके शेयर धारकों पर असर पड़ेगा.
बीडी प्रसाद, पूर्व प्रबंधक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
कर्मचारियों की होगी छंटनी
बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक व विजया बैंक के विलय का प्रस्ताव जो अप्रैल, 2019 तक पूरा होने की संभावना है, जनविरोधी व देश की वर्तमान अर्थव्यवस्था के प्रतिकूल है, क्योंकि आईएफएससी कोड बदलने से राशि ट्रांसफर व कारोबारी भुगतान में कठिनाई होगी. अधिक स्टाफ होने से उनकी छंटनी व जबरन वीआरएस का विकल्प चुनना होगा.
डीएन त्रिवेदी, संयुक्त सचिव, एआईबीओए

Next Article

Exit mobile version