पटना : बिहार की राजधानी पटना स्थित आइजीआइएमएस में ‘ब्रेनडेथ ऑर्गन डोनेशन’ पर आयोजित संगोष्ठी में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि आज ही बिहार का पहला ब्रेनडेथ घोषित नालंदा के हिलसा निवासी सौरभ प्रतीक (19 वर्ष) के अंगों का दान कर उनके परिजनों ने एक नया इतिहास रच दिया है. सौरभ के अंगों से 7 लोगों को नयी जिंदगी मिलेगी. उसके हार्ट को सफलतापूर्वक निकाल कर प्रत्यारोपण के लिए आरएनटी, कोलकाता तथा लिवर को आइएलबीएस, नयी दिल्ली भेज दिया गया है. किडनी और कॉर्निया का प्रत्यारोपण आइजीआइएमएस, पटना में ही होगा.
सुशील मोदी ने कहा कि ब्रेनडेथ घोषित किसी मरीज के अंगों को परिजनों की सहमति से दान करने की इस पहली घटना से अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ेगी. आइजीआइएमएस की पूरी टीम को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि यहां अब तक 40 किडनी और करीब 250 कॉर्निया का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया जा चुका है.
तमिलनाडु के सरकारी अस्पतालों में किसी मरीज का ब्रेनडेथ होता है तो उसे ब्रेनडेथ घोषित करना अनिवार्य है. देह और अंगदान करना परिजनों की सहमति पर निर्भर करता है. 2008 में ही वहां के 3 मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में ब्रेनडेथ घोषित करना अनिवार्य कर दिया गया था. तमिलनाडु की तर्ज पर पटना के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच और एनएमसीएच को अनिवार्य रूप से ब्रेनडेथ घोषित करने के लिए नामित किया जा सकता है.
आइजीआइएमएस के बाद पीएमसीएच में आयी बैंक खोला जा चुका है तथा राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी शीघ्र इसकी स्थापना हो जायेगी. मगर अंगदान, नेत्रदान के लिए लोगों को जागरूक करने जरूरत है. चिकित्सक समुदाय को अंगदान, नेत्रदान के लिए आगे आना चाहिए.
अंगदान के लिए राज्यस्तर पर एक निष्ठावान टीम बनाने, कुछ डॉक्टरों को तमिलनाडु व कर्नाटक भेज कर अंगदान का अध्ययन कराने व मानक प्रक्रिया अपनाने का उन्होंने सुझाव दिया. कार्यक्रम को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय, आइजीआइएमएस के निदेशक डाॅ. एनआर बिस्वास ने भी संबोधित किया. बैठक में आइजीआइएमएस के अलावा मेडिकल कॉलेज दरभंगा, गया, मुजफ्फरपुर और एम्स पटना की ब्रेनडेथ कमिटी के सदस्य चिकित्सकों ने भाग लिया.