पटना : पीएमसीएच में डॉक्टरों की हड़ताल, 6 मरीजों की मौत, टले कई ऑपरेशन

आपात सेवाएं ठप, ओपीडी में सन्नाटा, टले कई ऑपरेशन पटना : पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर व मरीज के परिजनों के बीच मारपीट के बाद अस्पताल के सभी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गये. अचानक हुए इस घटनाक्रम के बाद इलाज व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी. इमरजेंसी सेवाएं ठप हो गयीं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 25, 2018 7:06 AM

आपात सेवाएं ठप, ओपीडी में सन्नाटा, टले कई ऑपरेशन

पटना : पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर व मरीज के परिजनों के बीच मारपीट के बाद अस्पताल के सभी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गये.

अचानक हुए इस घटनाक्रम के बाद इलाज व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी. इमरजेंसी सेवाएं ठप हो गयीं. देखते ही देखते ओपीडी में सन्नाटा पसर गया. हड़ताल के दौरान समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से छह मरीजों की मौत हो गयी. हड़ताल की वजह से अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गयीं.

इमरजेंसी और ओपीडी दोनों के जूनियर डॉक्टरों हड़ताल पर चले गये. इस वजह से मरीज और उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जानकारी हो कि पिछले नौ अगस्त को हुई चिकित्सकों की हड़ताल के दौरान आठ लोगों की मौत हुई थी.

जानकारी के अनुसार पटना खगौल के रहने वाले 12 साल के आदित्य कुमार को रविवार की रात सांप ने काट लिया था. आनन-फानन में परिजनों ने पीएमसीएच में इलाज कराने के लिए लेकर आये, हालत गंभीर देखते हुए डॉक्टरों ने शिशु रोग विभाग में भर्ती कर दिया. लेकिन सुबह में मरीज की हालत में सुधार आने लगा.

आदित्य को डिस्चार्ज कर परिजन प्राइवेट अस्पताल में ले जाना चाहते थे. डिस्चार्ज करने के लिए परिजनों ने शिशु रोग विभाग के डॉक्टरों से कही. लेकिन मरीज की हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने डिस्चार्ज करने से मना कर दिया. डॉक्टरों का कहना है कि खुद के मर्जी से ले जाने के लिए आदेश जारी कर दिया गया था. लेकिन मरीज के परिजन डिस्चार्ज स्लिप के साथ ही पक्की बीएसटी की मांग कर रहे थे.

लेकिन डॉक्टरों ने देने से मना कर दिया. इस पर नाराज आदित्य के परिजनों ने शिशु रोग विभाग के डॉक्टर दीनानाथ सिंह के साथ मारपीट की और अपने मरीज को प्राइवेट अस्पताल में लेकर चले गये. इधर डॉक्टर के साथ मारपीट के बाद जूनियर डॉक्टर एकजुट हो गये और हड़ताल पर चले गये.

क्या कहते है जूनियर डॉक्टर

आदित्य नाम के मरीज को गंभीर हालत में शिशु रोग विभाग में भर्ती कराया गया था. दिन में सुधार आने के बाद परिजन डिस्चार्ज कराने की जिद करने लगे. लेकिन हालत देखते हुए हमने रुकने को कहना, मैने कहा कि एक दो दिन में मरीज पूरी तरह से ठीक हो जायेगा.

लेकिन परिजन नहीं माने और बुरी तरह से पीटा. इतना ही नहीं परिजन डिस्चार्ज के साथ ही असली स्लिप व बीएसटी की डिमांड करने लगे. जबकि असली बीएसटी की जगह फोटो काफी देने की बात कही जा रही थी. इस पर परिजन नाराज हो गये और मारपीट करने लगे.

डॉ दीनानाथ सिंह, जूनियर डॉक्टर

क्या कहते हैं परिजन

बेहतर इलाज के लिए हमने प्राइवेट अस्पताल में ले जाने के लिए कहा. क्योंकि जिस तरह से मेरे बेटे की हालत थी उस हिसाब से इलाज नहीं किया जा रहा था. रात में डॉक्टर भी नहीं आये, हमने कई बार नर्स व डॉक्टर से गुहार लगायी.

इलाज में अनदेखी को देखते हुए हमने बेहतर इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया. लेकिन प्राइवेट में भर्ती के दौरान डिस्चार्ज बिल के साथ ही सभी तरह के कागजात मांगे जाते हैं. हमने गुहार लगायी लेकिन कोई डॉक्टर फोटो काफी तक देने को तैयार नहीं हुआ. मारपीट करने का जो आरोप लगा है वह गलत है.

अनिल कुमार, परिजन

क्या कहते हैं अधीक्षक

मारपीट की घटना पूरी तरह से निंदनीय है. इस घटना के बाद हमने जांच करायी तो इसमें परिजन ही दोषी पाये गये. क्योंकि मरीज की हालत पहले से ही खराब थी और परिजन तुरंत डिस्चार्ज के साथ ही बीएसटी की मांग कर रहे थे.

इतना ही नहीं डॉक्टर को देख कर साफ पता चलता है कि उसे बुरी तरह से पीटा गया है. रही बात मरीजों की इलाज की तो सिर्फ पांच ही ऑपरेशन टले हैं. बाकी सभी ऑपरेशन किये गये हैं. ओटी में डॉक्टरों की ड्यूटी डबल कर दी गयी थी. वहीं जिन मरीज की मरने की बात हो रही उनकी हड़ताल की वजह से मौत नहीं हुई है.

डॉ राजीव रंजन प्रसाद, अधीक्षक पीएमसीएच.

इमरजेंसी सेवाएं बाधित करना गैरकानूनी

पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता अरुण कुमार ने बताया कि अस्पताल का काम बाधित कर हड़ताल नहीं की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट हड़ताल को लेकर कई राज्य सरकारों को आदेश भी जारी कर चुका है.

अरुण ने बताया कि एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट (ईएसएमए) 1981 के तहत सरकार से डिमांड की गयी थी कि डॉक्टर हड़ताल नहीं करें, अगर उनको अपनी बात रखनी है, तो वह सरकार के सामने अपनी बात रखें. सुप्रीम कोर्ट का कामेश्वर प्रसाद व अन्य बनाम बिहार सरकार एवं अन्य पर 1962 में आदेश आ चुका है. 1962 में भी कोर्ट ने स्ट्राइक को गैर कानूनी बताया था. वहीं संविधान का अनुच्छेद 19 (1 ए) कहता है कि स्ट्राइक मौलिक अधिकार नहीं है.

एनएमसीएच में भी डॉक्टर आज से हड़ताल पर

पटना सिटी : पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के बाद हड़ताल का समर्थन नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने भी किया. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की आपात बैठक सोमवार की दोपहर अध्यक्ष रवि रंजन कुमार रमन अध्यक्षता में हुई, जिसमें हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा गया कि मंगलवार के बाद एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर भी समर्थन में हड़ताल पर चले जायेंगे. इन लोगों ने दोषियों पर कार्रवाई करने व सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की है.

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