पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने अलकतरा घोटाला में पूर्व सड़क मंत्री इलियास हुसैन समेत अन्य आरोपियों को सजा सुनाने के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट हो गया कि 90 के दशक में बिहार की सड़कें क्यों बदहाल थीं. उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री पर आय से अधिक संपत्ति (डीए) का मुकदमा दर्ज होना चाहिए. इसके लिए वह सीबीआई को अलग से पत्र लिखकर इसकी मांग करेंगे.
उन्होंने राजद और लालू परिवार पर तंज कसते हुए कहा कि जिस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद सजायाफ्ता है, उसमें अलकतरा घोटाले के सजायाफ्ता पर किसी तरह की कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है. एक सजायाफ्ता, दूसरे सजायाफ्ता को पार्टी से कैसे निकाल सकता है. यह कैसी पार्टी है, जिसमें आधे जेल में हैं और आधे जाने की कगार पर हैं. मो. शहाबुद्दीन, राजवल्लभ यादव समेत अन्य जेल में बंद है, तो तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती की तीन दर्जन से ज्यादा संपत्ति जब्त हो चुकी है. ये सभी चार्जशीटेड हैं और जेल जाने की कतार में हैं.
कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि लालू राज में जो सड़के गड्ढे में तब्दील हो चुकी थीं. इस भ्रष्टाचार में कांग्रेस भी बराबर की हिस्सेदार है. क्या ऐसे लोग देश और राज्य के विकल्प बन सकते हैं. उन्होंने अलकतरा घोटाला के बारे में कहा कि यह 200 करोड़ का घोटाला था. इसमें 1990 से 1996 के बीच राज्य की सड़कों के चौड़ीकरण और मरम्मती के नाम पर करोड़ों रुपये के अलकतरा की खरीद की गयी, लेकिन कहीं की सड़क नहीं बनी.
अलकतरा की खरीद 14 प्रतिशत से बढ़कर 93.70 प्रतिशत हो गयी. उस समय विधानसभा में पूर्व मंत्री ने बताया था कि 1991 से 1995 के बीच दो लाख 21 हजार मेट्रिक टन अलकतरा बिहार को प्राप्त हुआ था. जबकि, पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार, तीन लाख 14 हजार मेट्रिक टन अलकतरा बिहार को आपूर्ति करवायी गयी थी. इस तरह सिर्फ चार साल में राज्य और मंत्रालय के आंकड़े में 93 हजार मेट्रिक टन का अंतर आया, जिसकी कीमत 49 करोड़ है. अलकतरा घोटाला को अंजाम देने के लिए भुगतान का तरीका तक लालू सरकार ने बदल दिया था. घोटाला करने का सबसे बड़ा माध्यम मनमाना ढंग से ट्रांसपोर्टर की बहाली करना है.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय जब इस घोटाला पर हंगामा मचा, तो आनन-फानन में इसकी लीपापोती करने के लिए विधान मंडल की संयुक्त जांच समिति का गठन कर दिया गया. इसका संयोजक पशुपालन घोटाला के एक अभियुक्त को बना दिया गया. बाद में भाजपा की तरफ से सुशील कुमार मोदी ने इस मामले में उच्च न्यायालय में पीआईएल दाखिला किया. वर्तमान केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद इस याचिका के वकील थे.