पटना : जीत का रोडमैप तैयार, कुशवाहा की ‘कमान’ से जदयू ने छोड़ा विजय का तीर

अनुज शर्मा पटना : कुशवाहों को खुश कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने विरोधियों को सियासी दुख दे दिया है. रविवार को एक अणे मार्ग पर कुशवाहा समाज के नेताओं की बैठक के बाद जदयू यह मानकर चल रहा है कि इस समाज का 80 फीसदी वोटर उसके साथ है. ‘लव-कुश’ समीकरण के सहारे मुख्यमंत्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2018 8:30 AM
अनुज शर्मा
पटना : कुशवाहों को खुश कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने विरोधियों को सियासी दुख दे दिया है. रविवार को एक अणे मार्ग पर कुशवाहा समाज के नेताओं की बैठक के बाद जदयू यह मानकर चल रहा है कि इस समाज का 80 फीसदी वोटर उसके साथ है. ‘लव-कुश’ समीकरण के सहारे मुख्यमंत्री एनडीए को भी अपनी शक्ति का एहसास कराना चाहते हैं.
यही वह समीकरण है जिसकी धमक पड़ोसी प्रदेशों तक असर दिखायेगी. बिहार में कोईरी-कुर्मी जाति को लव-कुश वोट बैंक के रूप में जाना जाता है. इसे जदयू प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कोर वोटर माना जाता है.
बिहार में कुशवाहा समाज के वोटरों की आबादी करीब 11 फीसदी है. किसी को सत्ता में लाने या अलग करने के लिए यह संख्या बल बड़ी अहमियत रखता है.
केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने बीते दिनों बयान दिया था कि यदुवंशियों का दूध, कुशवंशियों का चावल, अतिपिछड़ों का पंचमेवा, सवर्णों की मिठास, दलितों के तुलसी पत्ता से जो खीर तैयार होगी उसे अल्पसंख्यकों के दस्तरखान पर बैठकर खायी जायेगी. यह नारा भी लगाया था कि जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी. इस घटनाक्रम को बिहार की बदलती सियासत के रूप में देखा जा रहा था. कुशवाहा समाज उनका कोर वोट बैंक में तब्दील हो गया.
वर्तमान में लोकसभा में भी जदयू का प्रतिनिधित्व ‘लव-कुश’ कर रहे हैं. पूर्णिया से संतोष कुशवाहा तथा मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा से कौशलेंद्र कुमार सांसद हैं. सूत्रों की मानें तो कुशवाहा समाज उपेंद्र कुशवाहा की ‘ खीर’ के झांसे में तो नहीं आ गया है, मुख्यमंत्री ने रविवार को इसकी सत्यता परखी थी. युवा जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक अभय कुशवाहा बताते हैं कि 80 फीसदी कुशवाहा नीतीश कुमार को ही अपना नेता मानते हैं.
बैठक ने इस तथ्य पर अपनी मुहर लगा दी है. वह खुलकर कहते हैं कि 2015 के विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा सहित कई कुशवाहा नेता एनडीए के साथ थे लेकिन इस समाज का साथ नीतीश कुमार को ही मिला. सीएम ने बीते चुनाव में विधानसभा की 17 सीटों पर कुशवाहा नेताओं काे टिकट दिया. इसमें 11 जीते. लोकसभा में भी 6 सीटों पर टिकट दिया था. अभय कुशवाहा का कहना है कि विधानसभा की 100 से 125 सीटों पर कुशवाहा वोटर अपना प्रभाव रखते हैं.
सीएम ने महागठबंधन के दावों का निकाला दम
समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के इस्तीफे के बाद महागठबंधन नीतीश कुमार को एंटी कुशवाह नेता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा था. रविवार को कुशवाहाें के हितों का पूरा ध्यान रखने की घोषणा और कुशवाहा राजनीतिक विचार मंच का गठन कर मुख्यमंत्री ने मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है.
उनकी यह दूरदर्शिता ही है कि उपेंद्र कुशवाहा भले ही एनडीए से टूट जाएं, लेकिन जदयू का वोटर नहीं टूटे इसका रोडमैप तैयार कर दिया है. यह भी स्पष्ट कर दिया है कि आगामी कैबिनेट विस्तार में कुशवाहा समाज से आने वाली मंजू वर्मा के इस्तीफा की पूरी भरपायी की जायेगी.
सीएम ने कुशवाहा समाज के साथ बैठक कर केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को सीधा-सीधा संदेश दे दिया है कि वे कुशवाहों के एकमात्र नेता नहीं हैं. कुशवाहा समाज के लोग ही केवल जदयू के साथ नहीं है, बल्कि कुशवाहा नेता भी उनके साथ हैं.
सुरेंद्र किशोर, राजनीतिक विश्लेषक

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