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समाजवाद से शक्ति लेकर जदयू कई राज्यों में बन रही वैचारिक आवाज
पटना : जदयू बिहार के लिए भले एक क्षेत्रीय दल है, पर नीतीश कुमार ने जबसे इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला है, इसको पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण के राज्यों तक फैलाने की दिशा में तेजी से पहल की है. संख्या के आधार पर यह क्षेत्रीय दल जरूर है, पर पार्टी ने […]
पटना : जदयू बिहार के लिए भले एक क्षेत्रीय दल है, पर नीतीश कुमार ने जबसे इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला है, इसको पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण के राज्यों तक फैलाने की दिशा में तेजी से पहल की है. संख्या के आधार पर यह क्षेत्रीय दल जरूर है, पर पार्टी ने अपनी वैचारिक पहचान राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ा ली है.
समाजवादी आंदोलन से निकली पार्टियों के नेता जहां अपने-अपने राज्य में ही सिमट कर रह गये हैं. उनकी आवाज कुंद हो गयी है या खेमों में बंट गये. लेकिन, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेपी, कर्पूरी, लोहिया को अपने दामन में बांध कर राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादियों को जोड़ने में लगे हैं. समाजवादी आंदोलन का प्रभाव एक बड़े क्षेत्र में है.
इस आंदोलन से निकली वारिस पार्टियां हैं. चाहे वह हरियाणा का लोकदल जिसके नेता ओमप्रकाश चौटाला रहे. अजीत सिंह का लोकदल, मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी. मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी में एक अखिलेश गुट हो गया तो दूसरा शिवपाल यादव गुट हो गया. ओडिशा की जेडीएस, बीजू जनता दल, देवेगौड़ा का जेडीएस और बिहार का राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यू और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी है.
सारी पार्टियां जेपी और लोहिया को मानने वाली पार्टियां हैं. इसमें से एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस के साथ अटैच हो गया है तो एक बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ. मुलायम सिंह यादव अस्वस्थ होकर राजनीति में हाशिये पर चले गये हैं. मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी में एक अखिलेश गुट हो गया तो दूसरा शिवपाल यादव गुट हो गया है. समाजवादी आंदोलन के दूसरे बड़े नेता लालू प्रसाद बीमार हैं और जेल में हैं.
नीतीश पर हैं सभी की निगाहें
अब जेपी लोहिया आंदोलन से निकले नीतीश कुमार ही हैं जिन पर सभी की निगाहें हैं. लोहिया विचार मंच और जेपी मूवमेंट से निकले हुए उन सभी सवालों को नीतीश कुमार की पार्टी पकड़ी हुई है. पार्टी का विस्तार चाहे संख्यात्मक रूप से न हो रहा हो लेकिन वैचारिक रूप से अपनी छाप छोड़ रही है. कर्नाटक के जदयू के प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पार्टी के बड़े नेता के पुत्र हैं.
राजस्थान में बांसवाड़ा के क्षेत्र में मामा बालेश्वर दयाल का प्रभाव है. छत्तीसगढ़ के रायपुर किसानों के बड़े नेता पुरुषोत्तम कौशिक की कर्मभूमि है. मध्यप्रदेश में भी नीतीश कुमार समाजवादियों के ठिकाने व पहचान के बिंदुओं को एकीकृत करने की कोशिश कर रहे हैं. महाराष्ट्र में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष शरद राव के पुत्र हैं. शरद राव जाॅर्ज फर्नांडिस के करीबी थे.
समाजवादी मुद्दे ही नीतीश कुमार की ताकत : त्यागी
जदयू के प्रधान महासचिव सह राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी बताते हैं कि जेपी लोहिया, मधु लिमये, कर्पूरी और लोहिया की वैचारिक विरासत के मुद्दों में गुड गर्वनेंस प्रमुख था. उन्होंने कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कोई भी आरोप नहीं है.
समाजवादी आंदोलन लोहिया और कर्पूरी ठाकुर के समय जो ज्वलंत मुद्दे थे उसको जदयू अभी भी दामन से बांधे हुए है. चाहे वह आरक्षण का मुद्दा हो, चाहे एसटी-एससी का मुद्दा हो. चाहे रामजन्म भूमि, बाबरी मस्जिद और सांप्रदायिकता का मुद्दा हो. जनता पार्टी के समय लोकदल और समाजवादी आंदोलन के समय के ये मुख्य मुद्दे रहे हैं. समाजवादी मुद्दे ही नीतीश कुमार की ताकत है.
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