पटना : सुपौल के त्रिवेणीगंज में यौन शोषण का विरोध किये जाने पर शरारती तत्वों द्वारा 34 स्कूली छात्राओं के साथ छेड़छाड़ और मारपीट किये जाने के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को कहा है कि बिहार के सुपौल में 34 नाबालिग बच्चियां के साथ यौन उत्पीड़न और मारपीट का मामला चिंता का विषय है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ‘अखबारों में प्रकाशित सभी खबरें अच्छी नहीं हैं- ‘लड़की का कंकाल बरामद हुआ है, छेड़खानी से खुद को बचाने की कोशिश करने पर 34 लड़कियों को पीटा गया.’ आप बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकते हैं? ऐसी समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं.’
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को पीड़ितों के साथ-साथ आरोपित किशोरों के उचित मनोवैज्ञानिक पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान स्थापित करने का सुझाव दिया. वहीं, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये सुझाव को लागू करने के लिए समय मांगा है.
क्या है मामला
सुपौल में दीवार पर लिखी अभद्र टिप्पणियों का लड़कियों ने विरोध किया था. यह अभद्र टिप्पणियां पड़ोस के एक स्कूल के लड़कों द्वारा लिखा गया था. लड़कियों ने विरोध के साथ ही लड़कों को पीट-पीट कर भी भगाया था. इस बात की जानकारी सभी नाबालिग लड़कों ने अपने घर वालों को दी. इसके बाद उनकी माताओं ने अन्य ग्रामीणों के साथ मिलकर स्कूल परिसर में लड़कियों पर हमला बोल दिया था. इस घटना में लड़कियां घायल हो गयी थीं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस संबंध में जिलाधिकारी बैद्यनाथ यादव ने बताया था कि दोनों स्कूल एक ही परिसर में हैं. इनकी बिल्डिंग अलग-अलग है. लेकिन, खेल का मैदान एक ही है. लड़कों ने कथित तौर पर लड़कियों के स्कूल की दीवार पर कुछ अभद्र टिप्पणी लिख दी थीं. वहीं, घटना के संबंध में त्रिवेणीगंज के एएसपी ने बताया था कि दीवार पर अभद्र टिप्पणी लिखे जाने के बाद लड़कियों द्वारा विरोध करने पर अभद्र टिप्पणियां कर रहे चार लड़कों के साथ लड़कियों ने मारपीट की थी. इस कारण कुछ लोगों ने लड़कियों पर हमला कर दिया था. इस मामले में पुलिस अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इनमें एक नाबालिग भी शामिल है.