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निजी अस्पताल अब नहीं कर पायेंगे मरीजों का शोषण, अस्पताल और चिकित्सकों को भी मिलेगी सुरक्षा, …जानें कैसे?

पटना : बिहार में निजी अस्पताल अब मरीजों का शोषण नहीं कर पायेंगे. अस्पताल प्रबंधन से लेकर मरीजों व तीमारदारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. बिहार स्वास्थ्य सेवा से संबंधित व्यक्तियों एवं बिहार राज्य के चिकित्सा सेवा संस्थानों की सुरक्षा के लिए ‘बिहार चिकित्सा सेवा संस्थान एवं व्यक्ति सुरक्षा […]

पटना : बिहार में निजी अस्पताल अब मरीजों का शोषण नहीं कर पायेंगे. अस्पताल प्रबंधन से लेकर मरीजों व तीमारदारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. बिहार स्वास्थ्य सेवा से संबंधित व्यक्तियों एवं बिहार राज्य के चिकित्सा सेवा संस्थानों की सुरक्षा के लिए ‘बिहार चिकित्सा सेवा संस्थान एवं व्यक्ति सुरक्षा नियमावली 2018’ लागू किया गया है. कैबिनेट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

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अस्पतालों का होगा सिक्यूरिटी ऑडिट

मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर बिहार सरकार ने खास रणनीति बनायी है. निजी और सरकारी अस्पतालों में अक्सर विवाद की स्थिति आती है. मरीज के परिजन और चिकित्सक आमने-सामने आ जाते हैं. इसे देखते हुए सरकार ने सुरक्षा के बिंदुओं को गंभीरता से लिया है. नये नियम के अनुसार, अब जिलाधिकारी और आरक्षी अधीक्षक अस्पतालों की जांच करेंगे. सीसीटीवी कैमरा हो या सुरक्षा गार्ड. इसकी आवश्यकता को देखते हुए निर्देशित करेंगे. गार्ड की जरूरत पड़ी, तो गृह विभाग की ओर से रजिस्टर्ड निजी सुरक्षा एजेंसियों से गार्ड की तैनाती की जायेगी.

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फॉर्म-1 और फॉर्म-2 भरकर थाने में की जायेगी शिकायत

निजी अस्पतालों में आय दिन मारपीट की घटनाएं सामने आती हैं. अस्पताल में किसी तरह का विवाद उत्पन्न होने पर अस्पताल या डॉक्टरों को सुरक्षा का खतरा महसूस हो तो वे अस्पताल प्रबंधन फार्म-1 भरकर थाने में शिकायत दर्ज करा सकते हैं. वहीं, मरीजों के परिजनों को अस्पताल प्रबंधन से संबंधित कोई शिकायत होती है, तो मरीज के परिजनों को फार्म-2 को भरकर स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज करायी सकती है. इसके बाद थाने की जिम्मेदारी होगी कि मामले की जांच कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को दी जाये. जिलाधिकारी वैसे अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जांच के लिए कमेटी गठित करेंगे. यह कमेटी सात दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. इस रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी को अस्पताल या डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार होगा. हालांकि, इस मामले में डॉक्टर को गिरफ्तारी से छूट मिलेगी. जिलाधिकारी डॉक्टर को गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं.

बजट के अभाव में दवा की आपूर्ति नहीं होगी बाधित

बजट मिलने में विलंब होने पर भी अब दवा की आपूर्ति में बाधा नहीं आयेगी. स्वास्थ्य विभाग के अधीन गठित बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लि के लिए 50 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड का इंतजाम किया गया है.

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