पटना :नजदीक नहीं आयी गंगा, एप्रोच रोड बनाने में करोड़ों खर्च
दीघा से कलेक्ट्रेट घाट तक बनायी गयी थी गंगा नहर, अब उसमें आता है शहर के नालों का पानी पटना :दीघा से कलेक्ट्रेट घाट तक बने गंगा नहर में बारिश के मौसम को छोड़ दिया जाये तो पूरे वर्ष उसमें शहर के नालों के पानी की सड़न होती रहती है. मगर बीते कई वर्षों से […]
दीघा से कलेक्ट्रेट घाट तक बनायी गयी थी गंगा नहर, अब उसमें आता है शहर के नालों का पानी
पटना :दीघा से कलेक्ट्रेट घाट तक बने गंगा नहर में बारिश के मौसम को छोड़ दिया जाये तो पूरे वर्ष उसमें शहर के नालों के पानी की सड़न होती रहती है.
मगर बीते कई वर्षों से छठ पर्व के दौरान गंगा घाटों पर जाने के लिए उस पर बनने वाले अस्थायी पुल व एप्रोच करोड़ निर्माण को लेकर करोड़ों की राशि खर्च हो रही है. हर वर्ष कुर्जी से लेकर कलेक्ट्रेट व आगे महेंद्रू घाट तक लगभग छह से सात पुलिया का निर्माण किया जाता है. एक पुल पर पांच से 10 लाख रुपये की राशि खर्च की जाती है.
मतलब एक पर्व के दौरान केवल सभी पुलों और एप्रोच रोड के निर्माण करने में बुडको के माध्यम से एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च करता है. यानी गंगा को शहर के नजदीक लाने का प्लान भले ही फेल हो चुका है, लेकिन उसके लिए बने गंगा नहर पर बेकार में करोड़ों की राशि खर्च की जा रही है.
इन घाटों पर बनता है पुल
– कुर्जी
– एलसीटी
– पहलवान घाट
– बांस घाट
– राजापुरपुल घाट
– कलेक्ट्रेट घाट
– महेंद्रू घाट
इस बार नगर निगम को मिली है जिम्मेदारी
इस बार नगर निगम की सभी घाटों का निर्माण करने वाला है. इसके लिए निगम की ओर से निविदा का भी प्रकाश कर दिया गया है. निगम ने दस नवंबर तक सभी घाटों के निर्माण की समय सीमा रखी है. एप्रोच रोड पर पुलिया का निर्माण पुल निर्माण निगम करेगा. इसके अलावा भवन निर्माण विभाग को बैरिकेडिंग, शौचालय निर्माण, चेंजिंग रूम निर्माण से लेकर अन्य आवश्यक निर्माण करने हैं. हालांकि निगम की कार्य क्षमता को देखते हुए अभी से आशंकाएं होने लगी है.
नौ करोड़ रुपये से बनी थी गंगा नहर
हाईकोर्ट के निर्देश पर गंगा को शहर के नजदीक लाने को लेकर जल संसाधन विभाग ने दीघा से लेकर कलेक्ट्रेट घाट तक लगभग सौ फुट चौड़े व 50 फुट से अधिक गहरे नाले की खुदाई की गयी थी.
दीघा से होते हुए कुर्जी, एलसीटी,बांस घाट, राजापुर पुल के आगे कलेक्ट्रट घाट तक नाला बनाया गया था, लेकिन अभियंताओं की टीम ने दीघा में जहां मुहाने पर गंगा नहर को नदी से कनेक्ट किया था, वहीं से पानी की धारा प्रवेश की नहीं कर सकी और गंगा अपने प्राकृतिक रूप से शहर के उत्तर तरफ सारण व वैशाली जिले में कटाव करती है. उस वक्त उस नगर के निर्माण में लगभग नौ करोड़ से अधिक की राशि खर्च गयी थी.
तीन वर्षों में सात करोड़ खर्च
आमतौर पर बीते तीन वर्षों से कलेक्ट्रेट से लेकर दीघा तक सभी बड़े घाटों का निर्माण बुडको की ओर से किया जाता रहा है. बाकी महेंद्रू घाट से आगे पटना सिटी के तक छोटे-छोटे घाटों को नगर निगम की ओर से तैयार किया जाता था. एक पर्व के दौरान बुडकों की ओर से घाट निर्माण, पुल व एप्रोच रोड निर्माण से लेकर लाइटिंग व अन्य व्यवस्था में दो से ढाई करोड़ रुपये की राशि खर्च करता रहा है. यानी बीते तीन वर्षों में सात कराेड़ रुपये के लगभग राशि खर्च की जा चुकी है.