झारखंड के 88 एनजीओ की जांच करे सीबीआइ, सीआइडी ने डीजीपी को सौंपी रिपोर्ट, की अनुशंसा
रांची : झारखंड के 88 विदेशी सहायता प्राप्त एनजीओ की जांच सीबीआइ से कराने की अनुशंसा सीआइडी के एडीजी ने की है. एडीजी अजय कुमार सिंह ने अनुशंसा के साथ ही 88 में से 10 एनजीओ की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भी डीजीपी को भेज दी है. इसमें कहा है कि 10 संस्थाओं की जांच में […]
रांची : झारखंड के 88 विदेशी सहायता प्राप्त एनजीओ की जांच सीबीआइ से कराने की अनुशंसा सीआइडी के एडीजी ने की है. एडीजी अजय कुमार सिंह ने अनुशंसा के साथ ही 88 में से 10 एनजीओ की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भी डीजीपी को भेज दी है.
इसमें कहा है कि 10 संस्थाओं की जांच में गड़बड़ियां सामने आयी हैं. करोड़ाें रुपये का गलत लेखा संधारण, संदिग्ध भुगतान, भुगतान में धार्मिक विश्वास के प्रसार के लिए निधि का उपयोग और सरकार को गलत सूचना दिये जाने के सबूत मिले हैं. यह विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) की धारा 33(ए)(बी)/35/37 के तहत दंडनीय अपराध है. ऐसे एनजीओ की संख्या झारखंड में 88 है. विदेशी कोष का व्यवहार उक्त संस्थाओं ने राज्यों के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया है.
अत: एफसीआरए की धारा 43 के तहत गृह मंत्रालय की अधिसूचना 2039 (27-10-11) में उक्त संस्थाओं का अनुसंधान सीबीआइ से कराने पर विचार किया जा सकता है. रिपोर्ट मेंं यह भी कहा गया है कि एफसीआरए एक्ट 2010 के मुताबिक, एक करोड़ से अधिक की विदेशी सहायता राशि को पब्लिक डोमेन में वेबसाइट पर अपलोड करना है. पर अधिकांश संस्थाओं ने इस निर्देश का पालन नहीं किया. स्वयंसेवी संस्थाओं ने एफसीआरए एकाउंट को डोमेस्टिक फंड एकाउंट के साथ घालमेल कर संधारित किया है. जबकि एफसीआरए के तहत विदेशी सहायता प्राप्त कोष के लिए अलग से बैंक खाता का संधारण करना है. किसी भी परिस्थिति में इसे डोमेस्टिक फंड से नहीं मिलाना है. यह एफसीआरए अधिनियम 2010 की धारा 17(1) का उल्लंघन है. संस्थाआें द्वारा विदेशी कोष से प्राप्त राशि को पारदर्शी नहीं रखा गया है.
बिना तथ्य पहले भी की गयी थी अनुशंसा
मिशनरीज ऑफ चैरिटी और इससे जुड़ी संस्थाओं को मिले विदेशी फंड की जांच सीबीआइ से कराने की अनुशंसा सीआइडी एडीजी से पूर्व डीजीपी डीके पांडेय ने जुलाई 2018 में गृह विभाग से की थी. फिर वहां से फाइल राज्य सरकार के आलाधिकारियों के समक्ष रखी गयी थी.
सूत्र बताते हैं कि पहले डीजीपी द्वारा की गयी अनुशंसा में संस्थाओं के खिलाफ ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया गया था, जिसको अाधार बना कर मामले की सीबीआइ जांच के लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजती. यही वजह रही कि मामले में कुछ दिनों बाद 88 एनजीओ की सीआइडी जांच का आदेश दिया गया था.
विदेशी फंड के गलत इस्तेमाल का मामला
इन संस्थाओं की प्रारंभिक जांच हुई पूरी
लुथोरियन गर्ल्स हॉस्टल (एफसीआरए नं. 337800058)
रांची कैथोलिक आर्चडियोसिस (एफसीआरए नं. 337800018)
डॉ. ऑफ सिस्टर ऐनी (एफसीआरए नं. 3378000134)
रांची कार्मेलाइट सोसाइटी (एफसीआरए नं. 337800099)
इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिश्चन डी. फादर सोसाइटी (एफसीआरए नं. 337800004)
होली फेथ ट्रायब्ल वेलफेयर एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट (एफसीआरए नं. 337800214)
इंस्टीट्यूट ऑफ ऑबलेट सिस्टर्स ऑफ नाजारेथ सोसाइटी (एफसीआरए नं. 337800173)
संत अल्बर्ट कॉलेज (एफसीआरए नं. 337800027)
सिस्टर्स ऑफ संत चार्ल्स सोसाइटी (एफसीआरए नं. 337800101)
सिस्टर्स ऑफ चैरिटी ऑफ संत विंसेंट डी पॉल (एफसीआरए नं. 337800003)
जांच में किस तरह की गड़बड़ियां आयी सामने
लुथेरियन गर्ल्स हॉस्टल : इस संस्था ने वर्ष 2016-17 का इनकम टैक्स रिटर्न ही दाखिल नहीं किया है. इसमें करोड़ों रुपये के अनियमितता की आशंका है. संस्था ने बड़ी मात्रा में कैश का नकद भुगतान किया है. एक्ट के अनुसार अधिकतम 20 हजार रुपये तक ही नकद भुगतान किया जा सकता है. जबकि शेष भुगतान चेक, ड्राफ्ट व ई-बैंकिंग आदि से किया जा सकता है. यह एफसीआर अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है.
विदेशी सहायता प्राप्त धार्मिक संस्थाओं को धर्म, राजनैतिक व सामाजिक विश्वास के संकीर्ण दायरे से ऊपर उठ कर कार्य करना है. लुथेरियन गर्ल्स हॉस्टल ने अपने बायलॉज में धर्म, जाति, लिंग व उम्र से ऊपर उठकर काम करने की घोषणा की है. लेकिन इसके उप नियम में दिये गये निर्देश से साफ जाहिर होता है कि छात्रों में एक धर्म के प्रति रुझान पैदा की जाये. जिसका अंतिम परिणाम धर्मांतरण भी हो सकता है. यह एफसीआरए अधिनियम की धारा 08(ए) का उल्लंघन है.
रांची कार्मेलाइट सोसाइटी : एफसीआरए अधिनियम के अनुसार, एफसीआरए कोष को किसी भी हालत में नन एफसीआरए कोष में स्थानांतरित नहीं किया जाना है. पर रांची कार्मेलाइट सोसाइटी ने इस प्रावधान का उल्लंघन किया है.
इंस्टीट्यूट ऑफ ऑबलेट सिस्टर्स ऑफ नाजारेथ सोसाइटी : गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर संस्थाओं के लिए क्या करें और क्या ना करें इसकी जानकारी दी गयी है. इसके अनुसार, किसी भी संस्था को किसी प्रकार का विदेशी आतिथ्य स्वीकार करने के पूर्व केंद्र सरकार से अनुमति लेने के बाद ही विदेश यात्रा करनी है.
लेकिन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑबलेट सिस्टर्स ऑफ नाजारेथ सोसाइटी ने इसका उल्लंघन किया है. संस्था द्वारा अनुमति लिए जाने संबंधी कोई साक्ष्य भी नहीं दिया गया है. यह एफसीआरए अधिनियम की धारा 06 का स्पष्ट उल्लंघन है.